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Sunday, March 21, 2021

पूर्व आकलन प्रपत्र- एन.सी.ई.आर.टी. कक्षा-१ पाठ्यपुस्तक उन्मुखीकरण प्रशिक्षण (चरण-१)

 

पूर्व आकलन प्रपत्र 

N.C.E.R.T CLASS-1 BOOK USAGE TRAINING (PHASE-1) 


एन.सी.ई.आर.टी. कक्षा-१ (हिंदी, अंग्रेजी एवं गणित) पाठ्यपुस्तकों पर आधारित ब्लॉक स्तरीय छ: दिवसीय शिक्षक प्रशिक्षण-




निर्देश :- निम्नलिखित प्रश्नों के संक्षेप में उत्तर दीजिए:


Email address *

Name *

NEELESH KUMAR

Block Name (English Capital letters) *

SHERGARH

School Name *

PRIMARY SCHOOL VASUDHARAN JAGIR-1

Mobile Number *


1. पाठ्यपुस्तकों में छिपी पाठ्यचर्या से आप क्या समझते हैं? *

छिपी पाठ्यचर्या पाठ्य-विषयों का स्पष्ट भाग न होकर उसमें निहित सन्देश विशेष है। ये अनौपचारिक विषयों के माध्यम से सिखाए गये व्यवहार होते हैं, जिनका प्रयोग बालक अपने वास्तविक जीवन में करता है। किसी भी पाठ को पढ़ने से शब्द ज्ञान, संख्या बोध, चिंतन कौशल और रुचि का विकास होता है किंतु विषयों में समाहित पाठ्यचर्या पाठ का वह अंश होती है जिससे विश्लेषण, मूल्यांकन तथा रचनात्मक कार्यों को करने की क्षमता का विकास होता है। इसके अंतर्गत सामाजिक सन्देश, जीवन कौशल और अन्य विषयों के अन्तर्सम्बन्ध भी पाठ्यवस्तु के साथ-साथ गतिमान रहते हैं जिनको शिक्षण के दौरान उभारना आवश्यक होता है। इसमें पाठ को पढ़ाने के दौरान दी गई जानकारी तथा पूर्वज्ञान और अनुभव को समाहित किया जा सकता है। इसमें छिपे सूक्ष्म एवम् आवश्यक संदेशों को बच्चों तक पहुँचाया जा सकता है, जैसे- स्वच्छता सम्बन्धी आदतें, सन्तुलित आहार का महत्व, पेयजल की स्वच्छता एवम् सुरक्षा, अच्छे-बुरे स्पर्श की पहचान, जीव-जंतुओं एवम् पेड़-पौधों को हानि न पहुँचाना, एक-दूसरे के साथ सम्मानजनक एवम् सहयोगात्मक व्यवहार, लिंग-भेद को दूर करना इत्यादि। पाठ्यचर्या का दायरा किसी एक खाँचे में सीमित न होकर समग्र एवम् व्यापक है जो नौनिहालों के सर्वांगीण विकास हेतु अपरिहार्य व वांछनीय है।


2. चित्रपाठ किसे कहते हैं?  *

चित्रपाठ चित्रों पर आधारित आश्यपूर्ण पारस्परिक संवाद निष्पादन व स्वतंत्र वैचारिक अभिव्यक्ति हेतु विकसित चित्रात्मक साधन है जिसके द्वारा गहन वैचारिक मंथन के माध्यम से पूर्वज्ञान व संचित अनुभवों के समृद्धिकरण के साथ ही अंतर्निहित महत्वपूर्ण संदेशों का आदान-प्रदान समग्र व्यक्तित्व विकास की अवधारणा को फलीभूत करने के लिये एक तार्किक एवम् महत्वपूर्ण युक्ति है जिसमें बालक द्वारा कल्पनाशक्ति व तर्कशक्ति के अनुप्रयोग से सहज अभिव्यक्ति कौशल तथा बोधगम्यता का विकास सुनिश्चित होता है।


 3.चित्रकथा से क्या आशय है?  *

चित्रकथा से आशय बाल-सुलभ साहित्य का शाब्दिक रूप के साथ-साथ सुंदर एवम् आकर्षक ढंग से दृश्यात्मक निरूपण है जिसके माध्यम से अधिगम प्रक्रिया को अधिक रोचक, प्रेरक एवम् प्रभावशाली बनाया जा सके क्योंकि आकर्षक एवम् सुरुचिपूर्ण दृश्यरतिक सामग्री नैसर्गिक उद्दीपन की द्योतक है।


4. पोस्टर तथा चार्ट में क्या अंतर होता है?  *

पोस्टर- प्रायः शैक्षिक, सामाजिक, नैतिक, सांस्कृतिक सरीखे महत्वपूर्ण सरोकारों के सम्प्रेषण हेतु प्रयुक्त होने वाली आकर्षक व मनमोहक प्रिन्ट समृद्ध सामग्री।


चार्ट- चार्ट या लेखाचित्र प्रायः आँकड़ों का आलेखीय प्रस्तुतिकरण है जिसमें वांछित विवरण को विशिष्ट प्रतीकों द्वारा दर्शाया जाता है। यथा- बार चार्ट में छड़ों के रूप में, रेखा चार्ट में रेखाओं के रूप में तो पाई चार्ट में टुकड़ों के रूप में।


5. संख्या पूर्व संबोध क्या होता है?  *

बच्चों को संख्या अथवा गणितीय अवधारणाओं को सिखाने से पूर्व यह आवश्यक है कि उन्हें ठोस वस्तुओं के साथ स्वयं कार्य करने तथा उससे अनुभव प्राप्त करने के समुचित अवसर प्रदान किये जायें, जैसे- परिवेश में उपलब्ध वस्तुओं को पहचानना, आकार के अनुसार उन्हें क्रमबद्ध करना, उनका समूहीकरण एवम् तुलना करना। यही क्षमतायें संख्यापूर्व अवधारणाएँ कहलाती हैं।


6.संख्या पूर्व संबोध विकसित करने हेतु आपके द्वारा की जाने वाली कोई एक गतिविधि बताइए।

आदर्श प्रस्तुतिकरण हेतु समुचित भूमिका निर्माण के पश्चात् कविता के माध्यम से 'क्या हल्का और क्या भारी' का ज्ञान कराना।

आओ बच्चों बारी-बारी, 

मिलकर सीखें हल्का-भारी

तुमने देखा हाथी भारी,

करते इस पर लोग सवारी

दौड़ लगाता चूहा हल्का, 

मुर्गी का चूजा भी हल्का

हल्का तिनका, पत्थर भारी, 

देखो इनको बारी-बारी।


7. खेल गीत का कोई उदाहरण दीजिए. *

न्यौता-

चूहे के घर न्यौता है

देखो क्या-क्या होता है

चिड़िया चावल लाएगी

बिल्ली खीर पकाएगी

बन्दर पान बनाएगा 

शेरू मामा खाएगा

मुन्ना तू क्यों रोता है

तेरा भी तो न्यौता है।


8. आपके अनुसार कक्षा एक की पाठ्यपुस्तकों को बदलने की आवश्यकता क्यों है?  *

चूँकि आरम्भिक शिक्षा बच्चों की भावी शिक्षा रूपी मजबूत भवन के संदर्भ में सुदृढ़ नींव का कार्य करती है अतएव सैद्धांतिक ज्ञान के साथ ही व्यावहारिक शिक्षा भी परमावश्यक हो जाती है जिसकी सम्प्राप्ति हेतु पारम्परिक शिक्षण पद्धति को नवाचारी एवम् नवोन्मेषी कलेवर प्रदान करने के उद्देश्य से व्यक्तितव के सर्वांगीण विकास के विनिश्चय हेतु समस्त वांछित पहलुओं का समावेशन अनिवार्य है जिसकी पूर्ति हेतु N.C.E.R.T. के सौजन्य से प्रकाशित पाठ्यपुस्तकें अपेक्षाकृत रूप से प्रासंगिक एवम् प्रभावी हैं। बाल सुलभ सामग्री एवम् गतिविधियों के माध्यम से यह पाठ्यपुस्तकें बच्चों की तर्कशक्ति, चिंतन एवम् कल्पनाशीलता का विकास करने के पर्याप्त अवसर प्रदान करने में कहीं अधिक सक्षम सिद्ध हुई हैं। बच्चों की रुचि व रुझान के अनुकूल यह पुस्तकें भाषायी एवम् गणितीय ज्ञान के साथ ही तर्क, अनुभव, पूर्वज्ञान व चिंतन के आधार पर स्वायत्त अभिव्यक्ति एवम् समग्र विकास के अवसर प्रदान करती हैं।


9. बच्चों में सुनने की क्षमता विकसित करने हेतु कोई एक गतिविधि जो आपने अपने विद्यालय में की हो।  *

ICT उपकरणों की सहायता से विभिन्न ध्वनियाँ सुनाना। यथा- किसी पशु-पक्षी की आवाज़, बस का हॉर्न, रेल की आवाज़, बाँसुरी की आवाज़, सीटी की आवाज़, ढोल की आवाज़, घुँघरू की आवाज़.........आदि सुनाते हुये पूछना कि ध्वनि किसकी थी। जो बच्चा सुनकर सबसे पहले बताए उसे प्रोत्साहित करना।


10. इस प्रशिक्षण से आपकी क्या अपेक्षाएं हैं?  *

सामान्यतः क्लिष्ट, गूढ़ एवम् अमूर्त अवधारणाओं को रोचक, आनन्ददायक तथा सरल-सुगम बनाने हेतु यथोचित दक्षतायें प्राप्त करना। वास्तविक जीवन एवम् दिनचर्या से तारतम्य स्थापित कर प्रत्यक्ष अनुभवों को आधार बनाते हुये विषयगत कौशलों व अवधारणाओं को सुस्पष्ट करने की कला में निपुणता अर्जित करना।