⚡🔥संघर्ष से स्वाभिमान तक🔥⚡
स्वरचित प्रेरणास्पद लघु कविता
आत्मग्लानि से बचने को, दृष्टांत स्वाभिमान का गढ़ने को,
संघर्षों के दम पर भूत-भविष्य-वर्तमान रचने को!
देहरी लाँघ निकलना होगा, कुंदन की भाँति तप-तपकर बन स्वर्ण फिर निखरना होगा!
चाह नहीं अमरत्व की, फिर भी गरिमापूर्ण मरण हेतु पहले तिल-तिल मरना होगा!
कपटी जग में अस्मिता रक्षण हेतु, बन योद्धा रण तो लड़ना होगा!
तज दुःख-सन्ताप-विषाद समस्त, पग-पग आगे बढ़ना होगा!!