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Saturday, January 26, 2019

भारतीय गणतंत्र दिवस का इतिहास

🇮🇳भारतीय गणतंत्र दिवस का इतिहास🇮🇳

भारतीय गणतंत्र दिवस का इतिहास काफी रोचक है, इसकी शुरुआत 26 जनवरी 1950 को हुई थी। जब हमारे देश में भारत सरकार अधिनियम को हटाकर भारत के संविधान को लागू किया, तब से इसी के उपलक्ष्य में हमारे देश के संविधान और गणतंत्र को सम्मान प्रदान करने के लिए हर वर्ष 26 जनवरी के दिन गणतंत्र दिवस का कार्यक्रम मनाया जाता है। हालाँकि इस दिन से जुड़ा एक इतिहास भी है और इसकी शुरुआत 26 जनवरी 1930 को हुई थी क्योंकि यह वह ऐतिहासिक दिन था जब कांग्रेस ने पहली बार पूर्ण स्वराज की माँग रखी थी। इसकी शुरुआत तब हुई, जब सन् 1929 में लाहौर में पंडित जवाहर लाल नेहरू की अध्यक्षता में हुए कांग्रेस अधिवेशन के दौरान यह प्रस्ताव पारित किया गया कि यदि 26 जनवरी 1930 तक अंग्रेज़ी सरकार भारत को डोमीनियन स्टेटस नहीं प्रदान नहीं करती तो भारत अपने आपको पूर्णतः स्वतन्त्र घोषित कर देगा। इसके बाद 26 जनवरी 1930 तक अंग्रेज़ी हुकूमत ने कांग्रेस की इस माँग का कोई जवाब नहीं दिया तो उस दिन से कांग्रेस ने पूर्ण स्वतंत्रता के निश्चय के लिये अपना सक्रिय आंदोलन आरम्भ कर दिया और जब 15 अगस्त 1947 को भारत स्वतन्त्र हुआ तो भारत सरकार ने 26 जनवरी की ऐतिहासिक महत्ता को ध्यान में रखते हुए इस दिन को गणतंत्र स्थापना के लिए चुना। गणतन्त्र दिवस भारत के तीन महत्वपूर्ण राष्ट्रीय पर्वों में से एक है जिसे 26 जनवरी के दिन पूरे देश में काफी जोश और सम्मान के साथ मनाया जाता है। यह वह दिन है जब भारत में गणतंत्र और संविधान की स्थापना हुई थी। यही कारण है कि इस दिन को हमारे देश के आत्मगौरव तथा सम्मान से भी जोड़ा जाता है। इस दिन देश भर में कई तरह के कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं और खासतौर से विद्यालयों तथा सरकारी कार्यलयों में इसे काफी धूमधाम के साथ मनाया जाता है तथा इसके उपलक्ष्य में भाषण तथा निबन्ध लेखन जैसी प्रतियोगिताओं का भी आयोजन किया जाता है। हर साल 26 जनवरी को भारत अपना गणतंत्र दिवस मनाता है क्योंकि इसी दिन भारत का संविधान लागू हुआ था जिसे हम सब राष्ट्रीय पर्व के रूप में मनाते है और इस दिन को राष्ट्रीय अवकाश घोषित किया गया है। इसके अलावा गाँधी जयंती और स्वतंत्रता दिवस को भी राष्ट्रीय अवकाश घोषित किया गया है।
भारतीय संसद में भारत के संविधान के लागू होते ही 26 जनवरी 1950 को हमारा पूरा देश पूर्णतः लोकतांत्रिक गणराज्य बन गया। इस महान दिन के पावन अवसर पर भारतीय सेना द्वारा भव्य परेड का संचालन किया जाता है जो सामान्यतः विजय चौक से शुरू होकर इंडिया गेट पर समाप्त होती है। इस दौरान तीनों भारतीय सेनाओं(थल, जल और नभ) द्वारा राष्ट्रपति को सलामी दी जाती है, साथ ही सेना द्वारा अत्याधुनिक हथियारों और टैंकों का प्रदर्शन भी किया जाता है जो हमारी राष्ट्रीय शक्ति का प्रतीक है। आर्मी परेड के बाद देश के सभी राज्यों द्वारा झाँकियों के माध्यम से अपनी संस्कृति और परम्परा की प्रस्तुति की जाती है जिसके बाद भारतीय वायुसेना द्वारा राष्ट्रीय ध्वज के त्रिवर्णों(केसरिया, सफेद और हरा) के प्रतीक पुष्पवर्षा की जाती है। इस दिन स्कूल-कॉलेजों में भी विद्यार्थी परेड, खेल, नाटक, भाषण, नृत्य, गायन, निबन्ध-लेखन, सामाजिक अभियानों में योगदान द्वारा, स्वतंत्रता सेनानियों के किरदार निभाकर आदि बहुक्रियायों द्वारा इस उत्सव को हर्षोल्लास से मनाते हैं। इस दिन हर भारतीय को अपने देश को शांतिपूर्ण और विकसित बनाने की प्रतिज्ञा करनी चाहिए।
हमारी मातृभूमि लम्बे समय तक ब्रिटिश शासन के अधीन रही जिस दौरान भारतीय जन ब्रिटिश शासन द्वारा निर्मित कानूनों को मानने के लिये बाध्य थे, भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा व्यापक संघर्ष के पश्चात अंततः 15 अगस्त 1947 को हमारे देश को आज़ादी मिली। लगभग ढाई वर्ष बाद भारत ने अपना संविधान लागू किया। लगभग 2 साल 11 महीने और 18 दिनों के बाद 26 जनवरी 1950 को हमारी संसद द्वारा भारतीय संविधान को पारित किया गया। खुद को सम्प्रभु, लोकतांत्रिक, गणराज्य घोषित करने के साथ ही भारतवासियों द्वारा 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। भारत में निवास कर रहे लोगों और विदेश में रह रहे भारतीयों के लिए गणतन्त्र दिवस को उत्सव मनाना सम्मान और गौरव की बात है। इस दिन की विशेष महत्ता है जिसे लोगों द्वारा विविध क्रियाकलापों में प्रतिभाग कर और विभिन्न कार्यक्रम आयोजित कर पूर्ण उत्साह एवम प्रसन्नता से व्यक्त भी किया जाता है। इस पावन अवसर का बारम्बार अभिन्न अंग बनने के लिए लोग इस क्षण की उत्सुकतापूर्वक प्रतीक्षा करते हैं। गणतन्त्र दिवस समारोह की तैयारियाँ एक माह पूर्व ही शुरू हो जाती हैं जिस दौरान सुरक्षा कारणों से इंडिया गेट पर लोगों की आवाजाही पर रोक लगा दी जाती है जिससे किसी भी प्रकार की आपराधिक देशविरोधी घटना के घटित होने की सम्भावनाओं को शून्यप्रायः किया जा सके। इस दिन सम्पूर्ण भारत के समस्त राज्यों की राजधानियों एवम राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली में इस उत्सव के उपलक्ष्य में विशेष प्रबंध एवम चाकचौबंद व्यवस्था सुनिश्चित की जाती है। कार्यक्रम का शुभारंभ राष्ट्रपति द्वारा ध्वजारोहण और राष्ट्रगान के साथ होता है। तदोपरान्त तीनों सेनाओं द्वारा परेड, राज्यों की झाँकियों की प्रदर्शनी, पुरस्कार वितरण, मार्च-पास्ट आदि क्रियाएँ सम्पन्न होती हैं और अंत में समग्र वातावरण जन-गण-मन-गण से गुंजायमान हो उठता है!!



साभार:'अमर उजाला'

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