कृषि एवम् कृषक कल्याण हेतु क्या है तर्कसंगत??
M.S.P. या M.R.P.??
मुझ अबोध-अज्ञानी के व्यक्तिगत तुच्छ सुझाव⤵️
मुझ अबोध-अज्ञानी के मन में सहज एक जिज्ञासा जागृत हुई है जिसे आप सभी महानुभवों से साझा करने से स्वयं को रोक पाने में असमर्थ हूँ-
यदि भारतीय सत्ता प्रतिष्ठान विशुद्ध वोट बैंक पर आश्रित कपोलकल्पित 'न्यूनतम समर्थन मूल्य (M.S.P.)' के स्थान पर पूर्णतः वैध 'न्यूनतम खुदरा मूल्य (M.R.P.)' को अन्नदाता की प्रत्येक फसल हेतु सार्वभौमिक स्तर पर प्रभावी बना दें तो??!!
जब प्रत्येक तैयार उत्पाद हेतु 'न्यूनतम खुदरा मूल्य (M.R.P.)' का अखिल राष्ट्र स्तर पर एक समान प्रावधान है तो फिर कृषक वर्ग द्वारा अथाह परिश्रम, त्याग एवम् संघर्ष उपरान्त उत्पादित अन्न के प्रत्येक दाने के लिये समुचित मूल्य क्यों नहीं निर्धारित हो सकता जो समस्त भारतवर्ष से लेकर वैश्विक स्तर तक सर्वमान्य हो तथा जिसकी दरें प्रतिवर्ष मुद्रास्फीति के सापेक्ष पुनरीक्षित होती रहें!!??
यदि सरकारी मशीनरी खेतों में पराली-दहन के प्रकरणों की सैटेलाइट मॉनिटरिंग हेतु अपनी समस्त ऊर्जा एवम् क्षमता खपा सकती है तो क्या ऐसा सर्वेक्षण सम्भव नहीं जिसके द्वारा सार्वजनिक आँकड़े जारी हो सकें कि देश और दुनिया में किस खाद्यान्न की बहुतायत है और किस फसल की माँग न्यून आपूर्ति के कारण चरम पर है जिसके निष्कर्षों व निहितार्थों को भारत व्यवस्थित,योजनाबद्ध व समयबद्ध चरणों के तहत जमीनी स्तर पर कार्यान्वित कर लाभान्वित हो सके??!!
क्या सरकारी सिस्टम प्रतिवर्ष कृषक हित, जनहित व राष्ट्रहित में ऐसी तार्किक एडवाइजरी जारी नहीं कर सकता जिससे प्रेरित होते हुये हमारे अन्नदाता माँग आधारित फसलों का उत्पादन करते हुये स्वयं के साथ-साथ राष्ट्र का भी परमोध्दार सुनिश्चित कर एक नवयुग का सूत्रपात कर सकें??!!
Disclaimer: All the Images belong to their respective owners which are shown here to just illustrate the core concept in a better & informative way.
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