सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत देश के प्रथम चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ(सीडीएस) नियुक्त हुये हैं। केंद्र सरकार ने सोमवार, 30 दिसम्बर को उनके नाम का औपचारिक ऐलान कर दिया। इससे पहले जनरल रावत ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात की। सीडीएस तीनों सेना प्रमुखों से वरिष्ठ चार स्टार जनरल होगा। बतौर सेना प्रमुख मंगलवार को रिटायर हो चुके जनरल रावत नववर्ष में नई जिम्मेदारी संभालेंगे। वह तीन वर्ष तक पद पर बने रहेंगे। रविवार को ही सीडीएस के लिये आयु सीमा 62 से बढ़ाकर 65 वर्ष की गई है।
👉सेना के लिये गौरव का क्षण-
भारतीय सेना ने ट्वीट कर जनरल रावत को शुभकामनाएं दीं। सेना ने इसे गर्वपूर्ण ऐतिहासिक क्षण करार देते हुये कहा, यह नियुक्ति सशस्त्र बलों के मध्य तालमेल, एकजुटता और समन्वय को बढ़ावा देगी।
👉दीर्घ प्रतीक्षा उपरांत देश को जनरल बिपिन रावत के रूप में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ(सीडीएस) मिल गया है। आखिर, सीडीएस का क्या होगा कामकाज और कितना अहम होगा यह पद, जानते हैं इससे जुड़े तमाम पहलू...
👉तीनों सेनाओं में तालमेल की कड़ी होंगे साझा सैन्य प्रमुख
👉देश में नई शुरुआत, बलों में साझी सोच विकसित करने की होगी चुनौती
👉मुख्य रक्षा और रणनीतिक सलाहकार का जिम्मा, सरकार और सैन्य बलों के मध्य
👉सीडीएस एक 'चार सितारा' जनरल की हैसियत से आर्मी, नेवी और वायुसेना के साझा मुखिया होगा। हालाँकि तीनों अंगों के पृथक प्रमुख होंगे और उनका दर्जा भी चार सितारा ही होगा। सीडीएस के रूप में जनरल रावत सरकार के सैन्य सलाहकार होंगे और उसे महत्वपूर्ण रक्षा और रणनीतिक सलाह देंगे। तीनों सेनाओं के लिये दीर्घकालीन रक्षा योजनाओं, रक्षा खरीद, प्रशिक्षण और परिवहन के लिये प्रभावी समन्वयक का कार्य करेंगे। खतरों और भविष्य में युद्ध की आशंकाओं के मद्देनजर तीनों सेनाओं में आपसी सामंजस्य और मजबूत नेटवर्क बनाने का जिम्मा सीडीएस के कंधों पर होगा। सेनाओं के संसाधनों के बेहतर उपयोग के लिये योजना बनाएंगे। साथ ही सेवा से जुड़ी अहम प्रक्रियाओं को सरल एवम् व्यवस्थित बनाने में भूमिका निभाएंगे। सीडीएस के रूप में जनरल रावत के समक्ष तीनों सेनाओं की साझी सोच विकसित करने की चुनौती होगी।
👉परमाणु मसलों पर पीएम के सलाहकार
लगभग सभी परमाणु शक्ति सम्पन्न देशों में सीडीएस का पद रखा गया है। भारत भी परमाणु शक्ति सम्पन्न देश है। लिहाजा, इससे जुड़े मामलों पर भी सीडीएस प्रधानमंत्री के सलाहकार होंगे।
👉कारगिल युद्ध के बाद हुआ था प्रथम विमर्श
सीडीएस बनाने की चर्चा दो दशक पूर्व शुरू हुई। 1999 में कारगिल युद्ध के बाद के. सुब्रमण्यम समिति ने उच्च सैन्य सुधारों की अनुशंसा करते हुये सीडीएस की बात रखी थी। हालाँकि तब राजनीतिक असहमतियों के कारण इस पर बात आगे नहीं बढ़ सकी। फिर 2012 में नरेश चन्द्रा समिति ने चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी(सीओएससी) का चेयरमैन बनाने की अनुशंसा की थी। इसके बाद दिसम्बर 2016 में रिटायर्ड ले. जनरल डीबी शेकटकर ने भी सीडीएस की नियुक्ति की सिफारिश की थी।
👉अभी तक सीओएससी चेयरमैन का था प्रावधान
वर्तमान में तीनों सेना प्रमुखों में सबसे सीनियर मुखिया ही, चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी के अध्यक्ष के रूप में कार्य करते हैं। उनकी भूमिका सीमित और कार्यकाल बहुत छोटा रहता है। मसलन एयर चीफ मार्शल(एसीएम) बीएस धनोआ ने 31 मई को एडमिरल सुनील लाम्बा के बाद सीओएससी का पदभार सम्भाला और 30 सितम्बर तक इस पद पर रहे। इसके बाद यह पद वरिष्ठ सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत को सौंप दिया गया, जो 31 दिसम्बर 2019 को सेवानिवृत्त हो चुके हैं यानी इस पद पर उनका कार्यकाल तीन माह ही रहा।
👉इन प्रमुख देशों में भी तैनाती
👮ब्रिटेन:भारत ने ब्रिटेन की तर्ज पर सशस्त्र बलों और रक्षा मंत्रालय का मॉडल रखा है। ब्रिटिश सशस्त्र बलों पर एक स्थायी सचिव होता है, जिसकी हैसियत रक्षा सचिव और सीडीएस जैसी होती है। वह पीएम और रक्षा मन्त्रालय का सलाहकार होता है और सैन्य ऑपरेशनों का जिम्मा उस पर होता है।
👮अमेरिका:दुनिया की सबसे बड़ी सैन्य ताकत अमेरिका में चेयरमैन ऑफ जॉइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ सभी सैन्य बलों का सर्वोच्च अधिकारी है। राष्ट्रपति और रक्षामंत्री का मुख्य सैन्य सलाहकार। ऑपरेशनल कमाण्ड पर कोई अधिकार नहीं हैं।
👮इटली: यहाँ 'द चीफ ऑफ द डिफेंस स्टाफ' की नियुक्ति होती है। 04 मई 1925 को इस पद पर तैनाती शुरू हुई थी।
👮चीन: पड़ोसी चीन में 'द चीफ ऑफ द जनरल स्टाफ' का पद रखा गया है। 23 मई 1946 से इस पर नियुक्ति होती रही है।
👮फ्रांस: 'द चीफ ऑफ द स्टाफ ऑफ द आर्मीज' के नाम से जाना जाता है। सैन्य बल इसके अधीन। 28 अप्रैल 1948 में पहली तैनाती।
👮कनाडा: 'द चीफ ऑफ द डिफेंस स्टाफ' सीडीएस के नाम से यह पद प्रचलित है। कनाडाई सैन्य बलों में वरिष्ठतम अधिकारी बनता है।
👮जापान: 'चीफ ऑफ स्टाफ, जॉइंट स्टाफ' के नाम से जाना जाता है। जापानी सुरक्षा बलों का मुखिया होता है।
👉जनरल रावत को कमान इसलिये...
देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ(सीडीएस) के रूप में निवर्तमान सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत को साझा सेनाओं की कमान यूँ ही नहीं मिली। 2016 में सेना प्रमुख बने जनरल रावत 31 दिसम्बर को इस पद से रिटायर होने के साथ ही चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ का बैटन सम्भाल रहे हैं। अभी तक वे तीनों सैन्य प्रमुखों की कमेटी के चेयरमैन रहे। सेना में अलग-अलग पदों पर रहते हुये उनके पास युद्ध और सामान्य परिस्थितियों का पर्याप्त अनुभव है। सीडीएस देश के रक्षा तंत्र में नई शुरुआत है और जनरल रावत की योग्यता और अनुभव ने उन्हें यहाँ तक पहुँचाया है।
🎖️शुरू से ही अचीवर-
16 मार्च, 1958 को उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में जन्मे जनरल रावत के पिता लक्ष्मण सिंह रावत भी सेना में रहे हैं। वे लेफ्टिनेंट जनरल पद से रिटायर हुये। स्कूली शिक्षा के बाद बिपिन रावत ने इण्डियन मिलिट्री एकेडमी, देहरादून और फिर डिफेंस स्टाफ कॉलेज में प्रवेश लिया। उन्हें 16 दिसम्बर, 1978 को 11 गोरखा रायफल्स की 5वीं बटालियन में कमीशन मिला। उनके पिता भी इसी बटालियन का हिस्सा रहे थे। उनकी पहली पोस्टिंग मिज़ोरम में हुई थी और उन्होंने इस बटालियन का नेतृत्व भी किया। इस दौरान उनकी बटालियन को उत्तर पूर्व की सर्वश्रेष्ठ बटालियन चुना गया।
🎖️चुनौतियों से वाकिफ...
अपने करियर में जनरल रावत पूर्वी क्षेत्र में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल, कश्मीर घाटी के इन्फेंट्री डिवीजन में राष्ट्रीय रायफल्स सेक्टर के साथ डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो में बहुराष्ट्रीय ब्रिगेड के मुखिया रह चुके हैं। जनरल रावत को अशान्त इलाकों में काम करने का लंबा अनुभव है। मिलिट्री फ़ोर्स के पुनर्गठन, पश्चिमी क्षेत्र में आतंकवाद और पूर्वोत्तर में जारी संघर्ष को उन्होंने करीब से देखा है।
🎖️सरकार के पसंदीदा...
इसमें भी कोई संदेह नहीं कि जनरल रावत केंद्र सरकार के पसंदीदा रहे हैं। दिसम्बर, 2016 में जब उन्हें सेना प्रमुख बनाया गया था, तब उनसे वरिष्ठ दो अन्य अफसर इस पद के दावेदार थे, लेकिन सरकार ने उन दोनों के दावों को दरकिनार कर दिया। बता दें कि गोरखा ब्रिगेड में कमीशन पाकर सेना प्रमुख के पद तक पहुँचने वाले से पांचवें अफसर हैं।
🎖️सोचने का अलग अंदाज...
जनरल रावत देश की सुरक्षा व्यवस्था और खासकर सेना के सामने मौजूद चुनौतियों से परिचित हैं। संसाधनों की कमी के बीच सैनिकों को अपनी जिम्मेदारियाँ निभाने में कितनी मुश्किलें आती हैं, वे भी जानते हैं, लेकिन करीब 42 वर्षीय लम्बे करियर में उनकी कामयाबी का सबसे बड़ा राज यह है कि वे चीजों को एकपक्षीय नजरिये से नहीं देखते।सेना प्रमुख रहते हुये वे सैन्य अधिकारियों को मिलने वाली सुविधाओं पर आपत्ति जता चुके हैं। वे सेना और आम लोगों के बीच मेलजोल के भी पक्षधर हैं वे सेना को मिलने वाले विशेषाधिकारों के खिलाफ हैं। सीडीएस नियुक्त होने पर सैन्य विभाग का प्रमुख होने के साथ रक्षामंत्री के सलाहकार की जिम्मेदारी भी उनके कन्धों पर होगी।
🎖️15 अगस्त को घोषणा, अब सम्भाली कमान...
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विगत स्वतन्त्रता दिवस (15 अगस्त) पर चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) की नियुक्ति की घोषणा की थी। इसके करीब चार माह बाद ही जनरल बिपिन रावत ने वर्ष के अंतिम दिन बतौर सीडीएस कमान संभाल ली। सीसीएस ने 24 दिसम्बर को पद सृजन की मंजूरी दी थी। 1999 में कारगिल युद्ध के बाद इस सम्बन्ध में गठित की गई कारगिल सुरक्षा समिति ने तीनों सेनाओं में तालमेल के लिये सीडीएस की नियुक्ति का सुझाव दिया था। पीएम की घोषणा के बाद एनएसए अजित डोभाल की अध्यक्षता में एक कार्यान्वयन समिति का गठन किया गया था। इस समिति ने सीडीएस की नियुक्ति के तौर-तरीकों, जिम्मेदारियां और कार्यप्रणाली तय की थी।
👮नरवाने बने नये सेना प्रमुख...
लेफ्टिनेंट जनरल मनोज मुकुंद नरवाने ने 28वें सेना प्रमुख के रूप में पदभार ग्रहण कर लिया। सिख लाइट इन्फैन्ट्री के अफसर नरवाने इससे पहले वाइस चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ थे।
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