कोवलम की गणना सबसे आकर्षक सागरीय तटों में की जाती है। माना जाता है कि केरल में होने वाली शैक्षिक क्रांति भी यहीं से आरम्भ हुई थी।
केरल के त्रिवनन्तपुरम जनपद में स्थित कोवलम अपने खूबसूरत समुद्री तट के लिये प्रसिद्ध है। कोवलम का इतिहास ब्रिटिश काल तक जाता है। जॉर्ज अल्फ्रेड बेकर नामक अंग्रेज़ ने कोवलम के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह किया। इसकी गणना विश्व के सर्वाधिक आकर्षक तटों में की जाती है। अंग्रेज़ो में समय से ही कोवलम पर्यटक स्थल के रूप में विकसित होने प्रारम्भ हुआ। कहते हैं कि केरल में होने वाली शैक्षिक क्रान्ति यहीं से आरम्भ हुई थी। यह राजधानी त्रिवनन्तपुरम से मात्र 16 किमी. डोर है। यूँ तो वर्ष भर यहाँ पर्यटकों का आवागमन रहता है, किन्तु उत्तर भारत में शरद ऋतु के दौरान यहाँ अधिक लोग आते हैं। प्रतीत होता है जैसे प्रकृति ने अपनी समस्त सुंदरता कोवलम में ही अवतरित कर दी हो। यहाँ हरियाली से आच्छादित पर्वत, नारियल एवम् केले के लहराते वृक्ष तथा हवाओं के साथ खेलती समुद्री लहरें लाजवाब हैं। आप इस तिलस्म में डूबे हुये, कुदरत की इस अद्भुत चित्रकारी को देख ही रहे होते हैं कि चन्दन के वृक्षों की भीनी-भीनी सुगन्ध आपको एक और अनोखे संसार में लेकर चला जाता है। लगता है जैसे प्रकृति अपनी थकान मिटाने यहाँ आती है। यहाँ बिखरी स्वर्णिम रेत को चूमती हुयी सागर की लहरें निहारने दूर-दूर से पर्यटक पधारते हैं। प्रकाशस्तम्भ कोवलम तट का मुख्य आकर्षण है, जिसकी विशेषता यहाँ खड़ा 35 मीटर ऊँचा लाइटहाउस है। आगन्तुक पर्यटकों के लिये यह तट स्वर्ग से कम नहीं। यहाँ तीन प्रमुख समुद्री तट हैं, जिनमें से सर्वाधिक विशाल यही है।
कोवलम अपने अनोखे स्वाद के लिये भी जाना जाता है। यहाँ की 'जर्मन बेकरी' के स्वादिष्ट व्यंजन अत्यंत प्रसिद्ध हैं। लाइटहाउस समुद्री तट पर स्थित इस बेकरी का नाश्ता कमाल का है। पैन केक, कॉफी, पेस्ट्री और मसालेदार पिज़्ज़ा यहाँ की शान हैं। मसालों और ज़ायकों के स्वाद का तो कहना ही क्या! अर्धचन्द्राकार समुद्र तटों पर मौजूद योग व आयुर्वेद केंद्र अब यहाँ के नव आकर्षण हैं।।
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