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Thursday, April 9, 2020

'Kerala- India's first state to try plasma therapy'

केरल प्लाज़मा थेरेपी आजमाने वाला भारत का पहला राज्य


💉On Wednesday, ICMR approved a protocol for the therapy submitted by task force set up by the Kerala government🏥




With a vaccine for Covid-19 still a long way off, experts in Kerala will now test if blood from coronavirus patients who have recovered could hold the key to treat the sick. Doctors in South Korea have already had some success using this kind of therapy- two elderly patients treated with plasma from survivors recovered from severe pneumonia.

 On Wednesday, the Indian Council for Medical Research (ICMR) approved a protocol for the therapy- called convalescent plasma therapy- submitted by a task force of doctors and scientists set up by the Kerala government.

 Kerala principal secretary (Health) Dr. Ranjan N Khobragade confirmed to media that the state has received ICMR nod for convalescent plasma therapy.

 Dr. Anoop Kumar, a member of the task force and critical care physician at Baby Memorial Hospital, Kozhikode, said Kerala would be the first state in India to start the experimental therapy. R R Gangakhedkar, chief epidemiologist at ICMR, said they have given permission for research protocol which allows for clinical trials.

 The convalescent plasma therapy includes giving patients plasma from those who have developed antibodies to SARS-CoV-2 (the virus that causes Covid-19) through transfusions. The US FDA has also approved use of such therapy in clinical trials and for critical patients. In China as well, therapeutic products derived from convalescent patients were administered to other patients to treat them.

 May the Almighty bless the research enthusiasts with divine capabilities and grand breakthrough to serve the great humanitarian goal.
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हिन्दी संस्करण:


💉बुधवार को, ICMR ने केरल सरकार के निर्देश पर स्थापित टास्क फोर्स द्वारा प्रस्तुत थेरेपी के लिए एक प्रोटोकॉल को स्वीकृति प्रदान की।



 कोविड-19 के उपचार हेतु वैक्सीन के विकास का मार्ग तय करने में अभी भी काफी समय लग सकता है, अतैव केरल के विशेषज्ञ अब यह परीक्षण करेंगे कि कोरोनोवायरस के प्रकोप से उबर चुके व्यक्तियों के प्लाज्मा के अनुप्रयोग से रोगियों का उपचार कितना कारगर रहेगा। दक्षिण कोरिया में डॉक्टरों को पहले से ही इस तरह की चिकित्सा का उपयोग करने से आंशिक सफलता मिली है- दो बुजुर्ग रोगियों को गंभीर निमोनिया से उबारने में बचे हुए प्लाज्मा से इलाज किया गया।

 बुधवार को, इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने केरल सरकार द्वारा स्थापित डॉक्टरों और वैज्ञानिकों की एक टास्क फोर्स द्वारा प्रस्तुत की गई चिकित्सा के लिए एक प्रोटोकोल जिसे प्लाज्मा-थेरेपी कहा जाता है, को अनुमति दी।

 केरल के प्रमुख सचिव (स्वास्थ्य) डॉ. रंजन एन खोब्रागड़े ने मीडिया से इस बात की पुष्टि की कि राज्य ने स्वास्थ्य लाभकारी प्लाज्मा थेरेपी के लिए ICMR की स्वीकृति प्राप्त कर ली है।

 बेबी मेमोरियल हॉस्पिटल, कोझीकोड में टास्क फोर्स के सदस्य और क्रिटिकल केयर फिजिशियन डॉ. अनूप कुमार ने कहा कि प्रायोगिक चिकित्सा शुरू करने वाला केरल भारत का पहला राज्य होगा।  आईसीएमआर के मुख्य महामारी विशेषज्ञ आर आर गंगाखेड़कर ने कहा कि उन्होंने अनुसंधान प्रोटोकॉल की अनुमति दी है जो नैदानिक ​​परीक्षणों की अनुमति देता है।

  स्वास्थ्य लाभकारी प्लाज्मा थेरेपी में उन रोगियों को प्लाज्मा देना सम्मिलित है, जिन्होंने सार्स-कोव-2 (वायरस जो कोविड-19 का कारण बनता है) के लिए एंटीबॉडी विकसित कर ली है।  यूएसएफडीए ने नैदानिक ​​परीक्षणों में और गंभीर रोगियों के लिए ऐसी चिकित्सा के उपयोग को भी मंजूरी दी है।  चीन में भी, उपचार करने के लिए अन्य रोगियों पर स्वस्थ हो चुके रोगियों से प्राप्त चिकित्सीय उत्पाद प्रयुक्त किये गये थे।

 हम सर्वशक्तिमान परमपिता परमेश्वर से हार्दिक कामना करते हैं कि मानव सभ्यता के कल्याणार्थ समर्पित उद्यमी अनुसन्धाकर्ताओं को इस महान लक्ष्य की सिद्धि में दिव्य क्षमताओं एवम् भव्य सफलता से कृतार्थ करे।।


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'जर्मनी की दूरदर्शिता'

कोरोना संक्रमण को लेकर जर्मनी की दूरदर्शिता


🇩🇪जर्मनी ने भांप लिया था आसन्न संकट।

🇩🇪समय पर व्यापक जाँच-ट्रैकिंग से थामी मृत्यु दर।

🇩🇪मृत्यु दर मात्र डेढ़ फीसदी तक रोकने में सफल रहने वाला प्रथम देश।




पश्चिमी देशों में घातक विषाणु कहर बरपा रहा है लेकिन जर्मनी एकमात्र ऐसा देश है, जहाँ बड़ी संख्या में संक्रमितों के बावजूद मृत्यु के आँकड़े बेहद कम हैं। मंगलवार तक इस देश में लगभग 105519 लोग संक्रमित हुये। संक्रमितों के सन्दर्भ में अमेरिका, इटली और स्पेन की उससे आगे थे लेकिन यहाँ मृत्यु दर पड़ोसी देशों की तुलना में बेहद कम रही है। जर्मनी में लगभग 1902 लोगों का देहांत हो चुका है। इस पहलू से मृत्यु दर मात्र 1.4% है। वहीं इटली में यह दर 12%, स्पेन, फ्रांस और ब्रिटेन में 10%, चीन में 4% व अमेरिका में 2.5% रही है। यहाँ तक कि दक्षिण कोरिया, जो कर्व फ्लैटनिंग के मॉडल के लिये जाना गया, वहाँ भी मृत्यु दर 1.7% रही है। 


🇩🇪पता लगते ही शुरू हुई लोगों की ट्रैकिंग▶️

जर्मनी में मृत्यु दर कम रख पाने के पीछे ट्रैकिंग का बड़ा योगदान रहा। किसी के पॉजिटिव पाये जाने पर लक्षण न मिलने के बाद भी वह जिस-जिस के सम्पर्क में रहा उन सभी की जाँच की गई और उसे दो हफ्ते तक आइसोलेट रहने को कहा गया। इस तरह संक्रमितों की कड़ी चिन्हित की गई जो काफी कारगर रही। वहीं, शेष देश ऐसा नहीं कर सके।


🇩🇪कई देशों द्वारा आँकड़े छिपाने के आरोप नहीं टिक सके▶️

यद्यपि, जर्मनी में मृत्यु के आँकड़े कम रहने पर अमेरिका समेत कई देश उस पर आँकड़ों से खिलवाड़ का आरोप लगा रहे हैं, किन्तु कई विशेषज्ञ तथ्यों के आधार पर जर्मनी के पक्ष में खड़े हैं। स्वास्थ्य तैयारियों के साथ-साथ चांसलर एंगेला मर्केल द्वारा लोगों के साथ मित्रवत सम्वाद से भी देश में भरोसा बढ़ा। उनके द्वारा लागू किये गये लॉकडाउन नियमों को विपक्षी दलों समेत सभी लोगों ने एक स्वर में स्वीकारा। उन्होंने जाँच से लेकर उपचार तक बड़े तार्किक निर्णय लिये। 


🇩🇪व्यापक जाँच रही कारगर▶️

जनवरी मध्य तक जब काफी लोग वायरस की भयावहता का अनुमान नहीं लगा पाये थे तब बर्लिन स्थित एक अस्पताल ने जाँच का फॉर्मूला बनाकर ऑनलाइन पोस्ट भी कर दिया था। जर्मनी में पहला मामला फरवरी में आया था, तब तक देशभर में प्रयोगशालाओं ने जाँच किटों के स्टॉक निर्माण सहित अन्य तैयारियाँ कर ली थीं। विषाणुविद डॉ. क्रिस्टियन द्रोस्तें के अनुसार, संक्रमण पर नियंत्रण करने में उनकी प्रयोगशालाओं ने महती भूमिका निभाई, जहाँ व्यापक स्तर पर जाँचें की गईं।


🇩🇪भविष्य की रणनीति के साथ कार्य▶️

जर्मनी ने भावी योजना भी बना ली है। वहाँ अप्रैल अन्त तक वृहद स्तर पर एंटीबॉडी अध्ययन किया जायेगा जिसके तहत जर्मनी में हर हफ्ते एक लाख लोगों की रैंडम सैंपलिंग होगी ताकि लोगों में प्रतिरक्षा विकास प्रक्रिया का पता लगाया जा सके।


🌟यद्यपि भारत सरकार के भगीरथी प्रयास भी अत्यन्त साहसिक, सराहनीय व अनुकरणीय हैं तथापि उनकी सिद्धि तभी सार्थक हो सकेगी जब प्रत्येक भारतीय तन-मन-धन से शासन-प्रशासन से समन्वय स्थापित कर तथा हर स्तर पर उनका समर्थन कर अपने मौलिक कर्त्तव्यों का ईमानदारीपूर्वक निर्वाह सुनिश्चित करे।।  
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ENGLISH VERSION-



🇩🇪Germany realized the impending crisis.


🇩🇪Comprehensive diagnosis on time prevented mortality.


 🇩🇪First country to succeed in withholding death rate up to just one and a half percent.


The deadly virus is wreaking havoc in Western countries, but Germany is the only country where the death toll is very low despite the large number of infected persons.  As of Tuesday, about 105519 people have been infected in this country.  The United States, Italy and Spain were ahead of it in terms of infected, but the death rate here is much lower than in neighbouring countries.  Around 1902 people have died in Germany.  The death rate from this aspect is only 1.4%.  In Italy, the rate is 12%, Spain, France and Britain 10%, China 4% and America 2.5%.  Even South Korea, known for its model of curve flattening, has a mortality rate of 1.7%.



🇩🇪 Tracking of people started as soon as they found out ▶️

 Tracking was a major contributor to keep low mortality in Germany.  All those who were found positive despite of being asymptomatic and with whomsoever they met were examined and were asked to remain isolated for two weeks.  In this way, the chain of the infected persons was identified which was very effective. On the other hand, the rest of the countries could not do so.


 🇩🇪Accusations of hiding statistics by many countries could not last ▶️

Although many countries, including the US, are accusing it of manipulating the data, as the death toll in Germany is very low, But many experts are in favor of Germany based on the facts.  Along with health preparedness, Chancellor Angela Merkel's friendly interaction with the people also increased trust in the country.  The lockdown rules enforced by her were accepted by all including the opposition parties in one voice.  She took big logical decisions from investigation to treatment boldly.


🇩🇪Comprehensive diagnosis proved effective▶️ ️

By the middle of January, when many people could not predict the magnitude of the virus, a hospital in Berlin had made a test formula and posted it online.  By the time the first case in Germany came in February, laboratories across the country had made other preparations, including building the stock of test kits.  According to virologist Dr. Christian Drosten, their laboratories played a vital role in controlling infection, where extensive tests were conducted.


 🇩🇪Working with future strategy▶️

Germany has also made future plans.  There will be a large-scale antibody study by the end of April, under which random sampling of one lakh people will be done in Germany every week so that the immune development process could be detected in the people.


🌟 Although the Herculean efforts of the Indian government are also very bold, commendable and exemplary, however, their attainment will be significant only when every Indian ought to ensure to coordinate with the government and administration physically, mentally and monetarily and support them at every level by fulfilling their fundamental duties sincerely.



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Wednesday, April 8, 2020

'सुपर पिंक मून'

आखिर क्या है सुपर पिंक मून??


🌌वायु प्रदूषण कम होने से आकाश में दिखने लगे मनोरम दृश्य।

🌌मनभावन रहा सुपरमून का दर्शन।


🌌इस वर्ष का सबसे बड़ा और चमकदार 'सुपर पिंक मून' मंगलवार पूरी रात आकाश में दिखाई दिया। उस समय चन्द्रमा तथा पृथ्वी के मध्य 3,56,907 किमी. की दूरी रह गई, जो सामान्य की अपेक्षा इस वर्ष सबसे कम थी। लॉकडाउन के चलते घरों में मौजूद नागरिक इस विलक्षण खगोलीय घटना के साक्षी बने।




🌌लॉकडाउन के दौरान वायु प्रदूषण में आश्चर्यजनक रूप से गिरावट होने से आकाश में सितारों के मनोरम दृश्य सुलभ होने लगे हैं। मंगलवार की रात लालिमा लिये सुपरमून को देखकर लोग मन्त्रमुग्ध हो गये।


विशेषज्ञों के कथनानुसार सुपरमून और पिंकमून का अनूठा संयोग कई वर्षों बाद दिखाई दिया। वस्तुतः पूर्णिमा होने के कारण चन्द्रमा का रंग लालिमायुक्त था। यह 2020 का सबसे चमकदार और बड़ा फुलमून था। विशेषज्ञों के अनुसार चन्द्रमा जब पृथ्वी की कक्षा के निकट आता है तो उसका आकार बढ़ने के साथ-साथ चमक भी काफी बढ़ जाती है। विशेषज्ञों ने अवगत कराया कि सुपरमून देर शाम से ही दिखने लगा लेकिन भारतीय समयानुसार इसने प्रातः 08:05 बजे पूर्णाकार लिया। यह एक अनोखी खगोलीय घटना है। सुपरमून इस माह पृथ्वी से लगभग 356000 किमी. दूर बताया जा रहा है। साधारणतया चाँद और पृथ्वी के मध्य 384400 किमी. दूरी रहती है।।
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ENGLISH VERSION-


🌌Panoramic views started appearing in the sky due to reduced air pollution.


🌌The view of a supermoon was pleasing.


🌌 The biggest and brightest 'Super Pink Moon' of this year appeared in the sky all night.  At that time the distance between the moon and the earth remained 3,56,907 km, which was the lowest this year as compared to normal.  Due to the lockdown, the citizens present in the houses witnessed this unique astronomical event.


🌌During the lockdown, there is an amazing fall in air pollution, making panoramic views of the stars in the sky accessible.  On Tuesday night, people were enchanted by seeing the red moon lit supermoon.


 According to experts, the unique combination of Supermoon and Pinkmoon appeared after many years.  In fact, because of the full moon, the color of the moon was red.  It was the brightest and biggest fullmoon of 2020.  According to experts, when the moon comes near the orbit of the earth, its size increases as the brightness increases.  Experts apprised that the supermoon started appearing late in the evening but according to the Indian time it took full size at 08:05 am.  This is a unique astronomical event.  Supermoon is about 356000 km away from Earth this month.    Generally the distance between the moon and the earth stays 384400 km as being told away.


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Saturday, April 4, 2020

राम, रामनवमी तथा रामराज्य के मायने

क्या हैं श्रीराम, रामनवमी और रामराज्य के मायने??


🌞जो सबको दें विश्राम, वह राम!

🌞नवमी तिथि का एक पक्ष यह है कि यह पूर्ण है। एक, दो, तीन, चार, पाँच की गिनती में नौ अन्तिम तिथि है, अतैव इसको पूर्ण भी कहा गया है।





🌞राम सर्वकालिक हैं, इसलिये उनको केवल एक देश, काल या व्यक्ति की सीमा में बाँधना सम्भव नहीं। रामचरितमानस में कहा गया है कि 'सबको विश्राम दे, वह राम।'


मानस में वशिष्ठ जी कहते हैं- 'जो आनंद का सागर है, सुख की खान है और जिसका नाम लेने से मनुष्य को विश्राम मिलेगा और मन शान्त होगा, उस बालक का नाम राम रखता हूँ।' तो राम महामन्त्र है। राम का नाम तो किसी भी समय लिया जा सकता है। इस महामन्त्र का जप करने वाले को तीन नियम मानने चाहिये। पहला- राम नाम भजने वाला किसी का शोषण न करे, बल्कि सबका पोषण करे। दूसरा सूत्र- किसी के साथ शत्रुता न रखें और दूसरों की सहायता भी करें। ऐसा करेंगे तो राम नाम अधिक सार्थक होगा। सुंदर काण्ड में हनुमान को लंका में जलाने का प्रयास किया गया। जहाँ भक्ति का दर्शन होता है, उसे समाज रूपी लंका जलाने का प्रयास करती ही है, लेकिन सच्चे सन्त को लंका जला नहीं सकती, स्वयं उसकी मान्यतायेंं जल सकती हैं। तीसरा सूत्र है- सबका कल्याण और समाज को जोड़ना। लंका काण्ड के आरम्भ में सेतु बन्ध तैयार हुआ। दिव्य सेतु बन्ध के दर्शन कर प्रभु ने धरती पर भगवान रामेश्वर की स्थापना की। यह शिव स्थान हुआ। यह राम नीति है। कल्याणकारी राज्य की स्थापना करना। शिव यानी कल्याण। सेतु निर्माण करना यानी समाज को जोड़ना।


🌞श्रीराम आगमन🌞

हमारी गुणातीत श्रद्धा में प्रत्येक युग में देशकाल के अनुरूप परम तत्व अवतार धारण करता है। इसी पावनी परम्परा में प्रत्येक कल्प में, त्रेता युग में भगवान राम का अवतरण होता है, जो हम चैत्र शुक्ल नवमी को मनाते हैं, राम नवमी के रूप में। हमारे भारतीय सम्वत्सर के अनुसार नववर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से शुरू होता है, नवमी को नवरात्रि होती है। दुर्गा पूजन, शक्ति आराधना के भी यही दिन होते हैं। आशय यह हुआ कि प्रतिपदा से नवमी तक शक्ति आराधना पूरी होती है और परम शक्ति का प्रागट्य होता है नवमी को। ऐसा परम पावन दिन है राम नवमी, राम जन्म महोत्सव। राम दोपहर में जन्में, जिस समय व्यक्ति भोजन कर आराम करता है। तो मनुष्य को तृप्त कर विश्राम प्रदान के काल में राम का आगमन होता है- 'नौमी तिथि मधु मास पुनिता, सुकल पच्छ अभिजित हरिप्रीता, मध्यदिवस अति सीत न घामा, पावन काल लोक बिश्रामा।' नवमी तिथि रिक्त है। नवमी तिथि का दूसरा पक्ष यह भी है कि यह पूर्ण है। नौ का अंक पूर्ण है, दस में तो फिर एक के साथ शून्य जोड़ना पड़ता है। ग्यारह में एक-एक का दुहराव है। एक, दो, तीन, चार, पाँच की गिनती में नौ अंतिम तिथि है, इसलिये उसको पूर्ण भी कहा गया है। परमात्मा का प्रागट्य या तो शून्य में होता है या पूर्ण में। तो नवमी शून्यता और पूर्णता का प्रतीक है।


🌞रामराज्य पर गाँधी के त्रिसूत्र🌞

🔺स्वप्न- रामराज्य शब्द का भावार्थ यह है कि उसमें गरीबों की सम्पूर्ण रक्षा होगी, सब कार्य न्याय नीति और मानवीय मूल्यों के अनुसार किये जायेंगे और लोकमत का हमेशा आदर किया जायेगा। रामराज्य के लिये हमें पाण्डित्य की जरूरत नहीं है। जिस गुण की आवश्यकता है, वह सभी लोगों- स्त्री, पुरुष, बालक और बूढ़ों में है। दुख यही है कि सब अभी उस हस्ती को पहचानते नहीं हैं। सत्य, अहिंसा, मर्यादा-पालन, वीरता, क्षमा, धैर्य आदि गुणों का हममें से कोई भी व्यक्ति परिचय दे सकता है।

🔺संकल्प- कुछ मित्र रामराज्य का अक्षरार्थ करते हुये पूछते हैं कि जब तक राम और दशरथ फिर से जन्म नहीं लेते, तब तक क्या रामराज्य मिल सकता है? हम तो रामराज्य का अर्थ स्वराज्य, धर्मराज्य, लोकराज्य से लेते हैं। ऐसा राज्य तो तभी सम्भव है, जब जनता धर्मनिष्ठ बने। हम तो राज्यतन्त्र और राज्यनीति को बदलने के लिये प्रयत्न कर रहे हैं। हम अंग्रेज जनता को भी बदलने का प्रयास नहीं करते। हम तो स्वयं अपने-आप को बदलने का प्रयास कर रहे हैं।

🔺समानता- जब तक स्त्रियाँ पुरुषों की तरह बराबरी से सामाजिक जीवन में भाग नहीं लेतीं, तब तक देश का उद्धार नहीं हो सकता। लेकिन सामाजिक जीवन में वही भाग ले सकेंगी, जो तन और मन से पवित्र हैं। यही बात पुरुषों पर भी लागू होती है। जब तक सार्वजनिक जीवन में भारतीय स्त्रियाँ भाग नहीं लेतीं, तब तक हिंदुस्तान का उद्धार नहीं हो सकता। स्वराज्य के कितने ही अर्थ क्यों न किये जायें, मेरे लिये तो उसका एक ही अर्थ है, और वह है रामराज्य।।



प्रामाणिक स्रोत:- प्रतिष्ठित हिन्दी दैनिक।



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स्वीडन: हर चेतावनी दरकिनार

स्वीडन ने क्यों कर दी महामारी सम्बन्धी हर चेतावनी दरकिनार??!!


🇸🇪 स्वीडन: हर चेतावनी दरकिनार, पीएम ने नहीं किया लॉकडाउन।

🇸🇪 कहा- अर्थव्यवस्था बेपटरी हो जायेगी।

🇸🇪वैज्ञानिक बोले, तबाही की ओर जा रहा देश।

🇸🇪बड़ी संख्या में लोगों की न तो जाँच हो रही है, न ही संदिग्धों की पहचान ही की जा रही है।

🇸🇪हजारों संक्रमित, सैंकड़ों की मृत्यु के बावजूद भी स्कूल, कॉलेज, बाजार, सिनेमा, रेस्टोरेंट, पब खुले।




कोरोना वायरस के कहर को देख यूरोपीय देशों के साथ अन्य देशों में लॉकडाउन प्रभावी हैं। वहीं स्वीडन दुनिया का अकेला ऐसा देश है जहाँ वायरस के कहर के बीच सरकार ने अर्थव्यवस्था का हवाला देकर लॉकडाउन घोषित नहीं किया है। यहाँ स्कूल, कॉलेज, बाजार, सिनेमा, रेस्टोरेंट, पब आदि जैसे सार्वजनिक स्थल खुले हैं। डॉक्टर और वैज्ञानिक चेता रहे हैं कि देश तबाही की ओर बढ़ रहा है। वहीं प्रधानमंत्री का कहना है कि वायरस से लड़ने के लिये देश के हर व्यक्ति के पास भारी भरकम उत्तरदायित्व है।
स्वीडन की सरकार का कहना है कि लॉकडाउन से अर्थव्यवस्था बेपटरी हो जायेगी और सब कुछ तहस-नहस हो जायेगा। वहीं डॉक्टरों व वैज्ञानिकों का कहना है कि सरकार प्रतीक्षारत है कि हालात सामान्य हो जायेंगे जिसके परिणामस्वरूप सरकार ने अब तक कोरोना रोकथाम के लिये कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। स्वास्थ्य व्यवस्था से जुड़े डॉक्टर, वैज्ञानिक और पैरामेडिकल स्टाफ भयभीत हैं। उनका कहना है कि हालात ऐसे ही रहे तो हम तबाह हो जायेंगे जिसकी भरपाई कभी सम्भव नहीं हो पायेगी। लेख लिखे जाने तक स्वीडन में 6100 से अधिक मामले सामने आ चुके हैं और 350 से अधिक लोगों की मृत्यु हो चुकी हैं।


🇸🇪हर चीज पर प्रतिबंध नहीं लगा सकते: पीएम➡️

स्वीडन के प्रधानमंत्री स्टीफन लॉफवेन ने लोगों से कहा है कि हर व्यक्ति को अपनी जिम्मेदारी लेनी होगी। हम हर चीज पर अंकुश या प्रतिबन्ध नहीं लगा सकते हैं क्योंकि ये सवाल सामान्य बुद्धिमत्ता का है। जो युवा हैं, वो अपनी जिम्मेदारी निभायें, अफवाह न फैलायें, कोई इस क्षण अकेला नहीं है। हर व्यक्ति के पास देश के प्रति भारी भरकम जिम्मेदारी है।


🇸🇪वायरस को घातक बनने का अवसर दे रहे➡️

स्वीडन की कारोलिन्सका इंस्टीट्यूट की प्रो. सेसीलिया सॉडरबर्ग नॉक्लर का कहना है कि हम बहुत अधिक लोगों की जाँच नहीं कर रहे हैं, न ही वायरस से संक्रमित लोगों की पहचान कर रहे हैं। इसका आशय है कि हम वायरस को घातक बना रहे हैं जो हमें विनाश की ओर ले जायेगा।


🇸🇪डॉक्टरों तथा वैज्ञानिकों का सरकार से आग्रह➡️

कोरोना की भयावहता को समझने वाले डॉक्टर, वैज्ञानिकों और प्रोफेसरों ने सरकार से ठोस कदम उठाने की माँग की है। दो हजार डॉक्टरों, वैज्ञानिकों और प्रोफेसरों ने सरकार के समक्ष अपील दायर करते हुये इस दिशा में कठोर कदम उठाने की माँग की है। विशेषज्ञों का कहना है कि इसमें जितना विलम्ब होगा, उतनी ही भयावहता देश की सरकार और जनता को देखनी होगी।


🇸🇪50 से अधिक लोग एकत्रित नहीं हो सकते➡️

स्वीडन के प्रधानमंत्री स्टीफन लॉफवेन ने वायरस से बचाव के लिये एक आदेश ऐतिहातन जारी कर दिया है जिसके तहत एक स्थान पर 50 से अधिक लोग एकत्र नहीं हो सकते।


🇸🇪इस कारण नहीं है वायरस का भय➡️

स्वीडन की उपसाला यूनिवर्सिटी के संक्रामक रोग विभाग के प्रो. बजॉर्न ऑलसन का कथन है कि स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम में अधिकांश जनसंख्या अकेले ही रहती है। स्वीडन के अन्य नगरों में भीड़ है लेकिन वो सतर्क हैं जिस कारण डरने की जरूरत नहीं है। यदि घर में एक साथ कई पीढ़ियाँँ रह रही हैं और बुजुर्ग अधिक हैं तो खतरा है लेकिन ऐसे परिवार स्वयं ही सावधानी बरतने लगे हैं।।



प्रामाणिक स्रोत: प्रतिष्ठित हिन्दी एवम् अंग्रेजी दैनिक।



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डकवर्थ लुइस नियम के जनक

डकवर्थ लुइस नियम के आविष्कारक


🏏डकवर्थ लुइस नियम बनाने वाले टोनी का निधन।


🏏इंग्लैंड के टोनी ने गणितज्ञ फ्रैंक के साथ मिलकर 1997 में डकवर्थ-लुइस नियम दिया था।


🏏आईसीसी ने इंग्लैंड में खेले गये 1999 विश्वकप से अपनाया उक्त नियम।


🏏अफ्रीकी टीम पहला शिकार।


🏏2014 में बदला नाम।




सीमित ओवरों की क्रिकेट में वर्षा बाधित मैचों के लिये डकवर्थ-लुइस विधि तैयार करने में प्रमुख भूमिका का निर्वहन करने वाले टोनी लुइस का 02 अप्रैल 2020 को देहावसान हो गया। वह 78 वर्ष के थे। इंग्लैंड एवम् वेल्स क्रिकेट बोर्ड(ईसीबी) ने कहा, 'ईसीबी टोनी के निधन की सूचना से अत्यन्त आहत है। उन्होंने अपने साथी गणितज्ञ फ्रैंक डकवर्थ के साथ मिलकर डकवर्थ लुइस विधि तैयार की थी। टोनी और फ्रैंक का योगदान कोई नहीं भुला सकता। क्रिकेट उन दोनों का सदैव ऋणी रहेगा।' इसे 1997 में प्रस्तुत किया गया। अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद् (आईसीसी) ने 1999 में इंग्लैंड में खेले गये विश्व कप में आधिकारिक तौर पर इसे अपनाया।


🏏अफ्रीकी टीम पहला शिकार➡️

इंग्लैंड में खेले गये 1992 विश्व कप में मेजबान टीम और दक्षिण अफ्रीका के मध्य सेमीफाइनल प्रतियोगिता में पहली बार इस नियम का प्रयोग किया गया था। लक्ष्य का पीछा कर रही अफ्रीकी टीम को जीत के लिये 13 गेंदों पर 22 रन की दरकार थी। इसी दौरान हुई वर्षा के कारण मैच रोक दिया गया था। अफ्रीकी खिलाड़ी उस समय हतप्रभ रह गये, जब जीत के लिये स्कोरबोर्ड पर एक गेंद पर 21 रन का लक्ष्य प्रदर्शित हुआ। यह मैच अफ्रीकी टीम 19 रन से हार गई। इसके बाद ही डकवर्थ-लुइस पर विचार किया गया।


🏏2014 में बदला नाम➡️

इस नियम की कई बार आलोचना हुई जिसके बाद ऑस्ट्रेलियाई गणितज्ञ स्टीवन स्टर्न ने मौजूदा स्कोरिंग रेट के हिसाब से इसका नवीनीकरण। फिर इसे 2014 से डकवर्थ-लुइस-स्टर्न नियम कहा जाने लगा। यह गणितीय नियम अब दुनिया भर में वर्षा प्रभावित सीमित ओवरों के क्रिकेट मैच में उपयोग किया जाता है। लुइस क्रिकेटर नहीं थे लेकिन उन्हें क्रिकेट एवम् गणित में उनके योगदान के लिये 2010 में ब्रिटिश साम्राज्य के विशिष्ट सम्मान एमबीई से सम्मानित किया गया।।


प्रामाणिक स्रोत- प्रतिष्ठित हिन्दी एवम् अंग्रेजी दैनिक।  


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विराट के पसन्दीदा बल्लेबाजी जोड़ीदार

कोहली के फेवरेट बैटिंग पार्टनर्स


🏏धोनी-एबी संग आता है विराट को बल्लेबाजी का आनन्द।


🏏भारतीय कप्तान विराट बोले, इनके साथ रन लेते समय मौखिक संकेतों की आवश्यकता नहीं पड़ती।




भारतीय कप्तान विराट कोहली का कहना है कि वह बल्लेबाजी के समय ऐसे जोड़ीदार के साथ अधिक लुत्फ उठाते हैं जिनकी रनिंग अच्छी हो तथा जिनके साथ तालमेल बढ़िया रहे। उन्होंने अपने पसन्दीदा दो जोड़ीदारों में वरिष्ठ साथी महेन्द्र सिंह धोनी व दक्षिण अफ्रीका के एबी डीविलियर्स का नाम लिया।
कोहली इन दिनों कोविड-19 संक्रमण की रोकथाम हेतु लागू लॉकडाउन के कारण घर पर हैं। उन्होंने इंग्लैंड के पूर्व क्रिकेटर केविन पीटरसन के साथ इंस्टाग्राम पर अनौपचारिक बातचीत की। पीटरसन ने जब क्रीज पर पसन्दीदा साथी के बारे में पूछा तो कोहली ने धोनी और डीविलियर्स का नाम लेते हुये कहा कि इनके साथ बल्लेबाजी करते वक़्त बोलने की जरूरत नहीं पड़ती। साथ ही कहा कि वह जीवन में कभी एबी डीविलियर्स के विरुद्ध छींटाकशी नहीं करेंगे क्योंकि वह उनका काफी सम्मान करते हैं। अपने आक्रामक रवैये को लेकर भारतीय कप्तान का मानना है कि उनके लिये आक्रामकता लुत्फ उठाने का तरीका है। विराट ने बताया कि 2018 में दक्षिण अफ्रीकी दौरे पर सर्वाइकल की समस्या हो गयी थी। पेट में अम्लता की समस्या हो गयी थी। अस्थियों में कैल्शियम कम हो रहा था। तभी से माँसाहार त्याग दिया और अब बेहतरीन महसूस करते हैं।


🏏जिंदगी की तरह है टेस्ट क्रिकेट➡️

कोहली से जब पूछा गया कि उन्हें कौन सा प्रारूप सर्वाधिक प्रिय है तो उन्होंने बाकायदा पाँच बार टेस्ट क्रिकेट का नाम लिया। उनका कहना है कि पाँच दिवसीय प्रारूप को खेलने से वह बेहतर इंसान बन पाये क्योंकि इसमें आप जिन्दगी की ही तरह चुनौतियों से नहीं भाग सकते। आप रन बनाओ या न बनाओ लेकिन दूसरे रन बना रहे हों तो आप उनकी सराहना में ताली बजाओ। आप ड्रेसिंग रूम में लौट जाओ लेकिन उठो और अगले दिन फिर आओ। आपको दिनचर्या का पालन करना होता है, फिर आप चाहें इसे पसन्द करो या नहीं।


🏏मिलकर ही निपट सकते हैं कोरोना से➡️

कोरोना की स्थिति पर कोहली ने कहा कि कुछ लोगों को छोड़कर अधिकांश नागरिक दिशानिर्देशों का पालन कर रहे हैं। लोगों की लापरवाही पर उन्होंने कहा कि मुझे नहीं पता ऐसा क्यों हुआ लेकिन उम्मीद है कि लोग इसे समझेंगे और निर्देशों का पालन करेंगे। हम एक साथ मिलकर ही इस भयंकर महामारी से निपट सकते हैं।


🏏पहली बार अनुष्का संग इतना समय➡️

कोहली ने कहा कि लॉकडाउन के चलते पत्नी अनुष्का को क्वालिटी समय दे पा रहा हूँ। पहली बार उनके साथ इतने समय तक रहने का अवसर मिला है। कोहली दक्षिण अफ्रीका के विरुद्ध वन डे सीरीज रदद् होने के बाद से ही अनुष्का के साथ घर पर ही हैं।


🏏माही ने मशहूर कर दिया चीकू नाम➡️

पीटरसन ने सीधा सवाल किया कि उनका नाम चीकू कैसे पड़ा। इस पर कोहली खिलखिला उठे। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि धोनी ने मेरे इस नाम को मशहूर कर दिया। धोनी विकेट के पीछे अक्सर विराट को चीकू नाम से पुकारते थे। कोहली ने बताया कि उनका यह चीकू नाम रणजी टीम के कोच अजीत चौधरी द्वारा प्रदत्त है।



प्रामाणिक स्रोत- प्रतिष्ठित हिन्दी एवम् अंग्रेजी दैनिक।


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