डकवर्थ लुइस नियम के आविष्कारक
🏏डकवर्थ लुइस नियम बनाने वाले टोनी का निधन।
🏏इंग्लैंड के टोनी ने गणितज्ञ फ्रैंक के साथ मिलकर 1997 में डकवर्थ-लुइस नियम दिया था।
🏏आईसीसी ने इंग्लैंड में खेले गये 1999 विश्वकप से अपनाया उक्त नियम।
🏏अफ्रीकी टीम पहला शिकार।
🏏2014 में बदला नाम।
सीमित ओवरों की क्रिकेट में वर्षा बाधित मैचों के लिये डकवर्थ-लुइस विधि तैयार करने में प्रमुख भूमिका का निर्वहन करने वाले टोनी लुइस का 02 अप्रैल 2020 को देहावसान हो गया। वह 78 वर्ष के थे। इंग्लैंड एवम् वेल्स क्रिकेट बोर्ड(ईसीबी) ने कहा, 'ईसीबी टोनी के निधन की सूचना से अत्यन्त आहत है। उन्होंने अपने साथी गणितज्ञ फ्रैंक डकवर्थ के साथ मिलकर डकवर्थ लुइस विधि तैयार की थी। टोनी और फ्रैंक का योगदान कोई नहीं भुला सकता। क्रिकेट उन दोनों का सदैव ऋणी रहेगा।' इसे 1997 में प्रस्तुत किया गया। अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद् (आईसीसी) ने 1999 में इंग्लैंड में खेले गये विश्व कप में आधिकारिक तौर पर इसे अपनाया।
🏏अफ्रीकी टीम पहला शिकार➡️
इंग्लैंड में खेले गये 1992 विश्व कप में मेजबान टीम और दक्षिण अफ्रीका के मध्य सेमीफाइनल प्रतियोगिता में पहली बार इस नियम का प्रयोग किया गया था। लक्ष्य का पीछा कर रही अफ्रीकी टीम को जीत के लिये 13 गेंदों पर 22 रन की दरकार थी। इसी दौरान हुई वर्षा के कारण मैच रोक दिया गया था। अफ्रीकी खिलाड़ी उस समय हतप्रभ रह गये, जब जीत के लिये स्कोरबोर्ड पर एक गेंद पर 21 रन का लक्ष्य प्रदर्शित हुआ। यह मैच अफ्रीकी टीम 19 रन से हार गई। इसके बाद ही डकवर्थ-लुइस पर विचार किया गया।
🏏2014 में बदला नाम➡️
इस नियम की कई बार आलोचना हुई जिसके बाद ऑस्ट्रेलियाई गणितज्ञ स्टीवन स्टर्न ने मौजूदा स्कोरिंग रेट के हिसाब से इसका नवीनीकरण। फिर इसे 2014 से डकवर्थ-लुइस-स्टर्न नियम कहा जाने लगा। यह गणितीय नियम अब दुनिया भर में वर्षा प्रभावित सीमित ओवरों के क्रिकेट मैच में उपयोग किया जाता है। लुइस क्रिकेटर नहीं थे लेकिन उन्हें क्रिकेट एवम् गणित में उनके योगदान के लिये 2010 में ब्रिटिश साम्राज्य के विशिष्ट सम्मान एमबीई से सम्मानित किया गया।।
प्रामाणिक स्रोत- प्रतिष्ठित हिन्दी एवम् अंग्रेजी दैनिक।
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