क्या हैं श्रीराम, रामनवमी और रामराज्य के मायने??
🌞जो सबको दें विश्राम, वह राम!
🌞नवमी तिथि का एक पक्ष यह है कि यह पूर्ण है। एक, दो, तीन, चार, पाँच की गिनती में नौ अन्तिम तिथि है, अतैव इसको पूर्ण भी कहा गया है।
🌞राम सर्वकालिक हैं, इसलिये उनको केवल एक देश, काल या व्यक्ति की सीमा में बाँधना सम्भव नहीं। रामचरितमानस में कहा गया है कि 'सबको विश्राम दे, वह राम।'
मानस में वशिष्ठ जी कहते हैं- 'जो आनंद का सागर है, सुख की खान है और जिसका नाम लेने से मनुष्य को विश्राम मिलेगा और मन शान्त होगा, उस बालक का नाम राम रखता हूँ।' तो राम महामन्त्र है। राम का नाम तो किसी भी समय लिया जा सकता है। इस महामन्त्र का जप करने वाले को तीन नियम मानने चाहिये। पहला- राम नाम भजने वाला किसी का शोषण न करे, बल्कि सबका पोषण करे। दूसरा सूत्र- किसी के साथ शत्रुता न रखें और दूसरों की सहायता भी करें। ऐसा करेंगे तो राम नाम अधिक सार्थक होगा। सुंदर काण्ड में हनुमान को लंका में जलाने का प्रयास किया गया। जहाँ भक्ति का दर्शन होता है, उसे समाज रूपी लंका जलाने का प्रयास करती ही है, लेकिन सच्चे सन्त को लंका जला नहीं सकती, स्वयं उसकी मान्यतायेंं जल सकती हैं। तीसरा सूत्र है- सबका कल्याण और समाज को जोड़ना। लंका काण्ड के आरम्भ में सेतु बन्ध तैयार हुआ। दिव्य सेतु बन्ध के दर्शन कर प्रभु ने धरती पर भगवान रामेश्वर की स्थापना की। यह शिव स्थान हुआ। यह राम नीति है। कल्याणकारी राज्य की स्थापना करना। शिव यानी कल्याण। सेतु निर्माण करना यानी समाज को जोड़ना।
🌞श्रीराम आगमन🌞
हमारी गुणातीत श्रद्धा में प्रत्येक युग में देशकाल के अनुरूप परम तत्व अवतार धारण करता है। इसी पावनी परम्परा में प्रत्येक कल्प में, त्रेता युग में भगवान राम का अवतरण होता है, जो हम चैत्र शुक्ल नवमी को मनाते हैं, राम नवमी के रूप में। हमारे भारतीय सम्वत्सर के अनुसार नववर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से शुरू होता है, नवमी को नवरात्रि होती है। दुर्गा पूजन, शक्ति आराधना के भी यही दिन होते हैं। आशय यह हुआ कि प्रतिपदा से नवमी तक शक्ति आराधना पूरी होती है और परम शक्ति का प्रागट्य होता है नवमी को। ऐसा परम पावन दिन है राम नवमी, राम जन्म महोत्सव। राम दोपहर में जन्में, जिस समय व्यक्ति भोजन कर आराम करता है। तो मनुष्य को तृप्त कर विश्राम प्रदान के काल में राम का आगमन होता है- 'नौमी तिथि मधु मास पुनिता, सुकल पच्छ अभिजित हरिप्रीता, मध्यदिवस अति सीत न घामा, पावन काल लोक बिश्रामा।' नवमी तिथि रिक्त है। नवमी तिथि का दूसरा पक्ष यह भी है कि यह पूर्ण है। नौ का अंक पूर्ण है, दस में तो फिर एक के साथ शून्य जोड़ना पड़ता है। ग्यारह में एक-एक का दुहराव है। एक, दो, तीन, चार, पाँच की गिनती में नौ अंतिम तिथि है, इसलिये उसको पूर्ण भी कहा गया है। परमात्मा का प्रागट्य या तो शून्य में होता है या पूर्ण में। तो नवमी शून्यता और पूर्णता का प्रतीक है।
🌞रामराज्य पर गाँधी के त्रिसूत्र🌞
🔺स्वप्न- रामराज्य शब्द का भावार्थ यह है कि उसमें गरीबों की सम्पूर्ण रक्षा होगी, सब कार्य न्याय नीति और मानवीय मूल्यों के अनुसार किये जायेंगे और लोकमत का हमेशा आदर किया जायेगा। रामराज्य के लिये हमें पाण्डित्य की जरूरत नहीं है। जिस गुण की आवश्यकता है, वह सभी लोगों- स्त्री, पुरुष, बालक और बूढ़ों में है। दुख यही है कि सब अभी उस हस्ती को पहचानते नहीं हैं। सत्य, अहिंसा, मर्यादा-पालन, वीरता, क्षमा, धैर्य आदि गुणों का हममें से कोई भी व्यक्ति परिचय दे सकता है।
🔺संकल्प- कुछ मित्र रामराज्य का अक्षरार्थ करते हुये पूछते हैं कि जब तक राम और दशरथ फिर से जन्म नहीं लेते, तब तक क्या रामराज्य मिल सकता है? हम तो रामराज्य का अर्थ स्वराज्य, धर्मराज्य, लोकराज्य से लेते हैं। ऐसा राज्य तो तभी सम्भव है, जब जनता धर्मनिष्ठ बने। हम तो राज्यतन्त्र और राज्यनीति को बदलने के लिये प्रयत्न कर रहे हैं। हम अंग्रेज जनता को भी बदलने का प्रयास नहीं करते। हम तो स्वयं अपने-आप को बदलने का प्रयास कर रहे हैं।
🔺समानता- जब तक स्त्रियाँ पुरुषों की तरह बराबरी से सामाजिक जीवन में भाग नहीं लेतीं, तब तक देश का उद्धार नहीं हो सकता। लेकिन सामाजिक जीवन में वही भाग ले सकेंगी, जो तन और मन से पवित्र हैं। यही बात पुरुषों पर भी लागू होती है। जब तक सार्वजनिक जीवन में भारतीय स्त्रियाँ भाग नहीं लेतीं, तब तक हिंदुस्तान का उद्धार नहीं हो सकता। स्वराज्य के कितने ही अर्थ क्यों न किये जायें, मेरे लिये तो उसका एक ही अर्थ है, और वह है रामराज्य।।
प्रामाणिक स्रोत:- प्रतिष्ठित हिन्दी दैनिक।
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