केरल प्लाज़मा थेरेपी आजमाने वाला भारत का पहला राज्य
💉On Wednesday, ICMR approved a protocol for the therapy submitted by task force set up by the Kerala government🏥
With a vaccine for Covid-19 still a long way off, experts in Kerala will now test if blood from coronavirus patients who have recovered could hold the key to treat the sick. Doctors in South Korea have already had some success using this kind of therapy- two elderly patients treated with plasma from survivors recovered from severe pneumonia.
On Wednesday, the Indian Council for Medical Research (ICMR) approved a protocol for the therapy- called convalescent plasma therapy- submitted by a task force of doctors and scientists set up by the Kerala government.
Kerala principal secretary (Health) Dr. Ranjan N Khobragade confirmed to media that the state has received ICMR nod for convalescent plasma therapy.
Dr. Anoop Kumar, a member of the task force and critical care physician at Baby Memorial Hospital, Kozhikode, said Kerala would be the first state in India to start the experimental therapy. R R Gangakhedkar, chief epidemiologist at ICMR, said they have given permission for research protocol which allows for clinical trials.
The convalescent plasma therapy includes giving patients plasma from those who have developed antibodies to SARS-CoV-2 (the virus that causes Covid-19) through transfusions. The US FDA has also approved use of such therapy in clinical trials and for critical patients. In China as well, therapeutic products derived from convalescent patients were administered to other patients to treat them.
May the Almighty bless the research enthusiasts with divine capabilities and grand breakthrough to serve the great humanitarian goal.
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हिन्दी संस्करण:
💉बुधवार को, ICMR ने केरल सरकार के निर्देश पर स्थापित टास्क फोर्स द्वारा प्रस्तुत थेरेपी के लिए एक प्रोटोकॉल को स्वीकृति प्रदान की।
कोविड-19 के उपचार हेतु वैक्सीन के विकास का मार्ग तय करने में अभी भी काफी समय लग सकता है, अतैव केरल के विशेषज्ञ अब यह परीक्षण करेंगे कि कोरोनोवायरस के प्रकोप से उबर चुके व्यक्तियों के प्लाज्मा के अनुप्रयोग से रोगियों का उपचार कितना कारगर रहेगा। दक्षिण कोरिया में डॉक्टरों को पहले से ही इस तरह की चिकित्सा का उपयोग करने से आंशिक सफलता मिली है- दो बुजुर्ग रोगियों को गंभीर निमोनिया से उबारने में बचे हुए प्लाज्मा से इलाज किया गया।
बुधवार को, इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने केरल सरकार द्वारा स्थापित डॉक्टरों और वैज्ञानिकों की एक टास्क फोर्स द्वारा प्रस्तुत की गई चिकित्सा के लिए एक प्रोटोकोल जिसे प्लाज्मा-थेरेपी कहा जाता है, को अनुमति दी।
केरल के प्रमुख सचिव (स्वास्थ्य) डॉ. रंजन एन खोब्रागड़े ने मीडिया से इस बात की पुष्टि की कि राज्य ने स्वास्थ्य लाभकारी प्लाज्मा थेरेपी के लिए ICMR की स्वीकृति प्राप्त कर ली है।
बेबी मेमोरियल हॉस्पिटल, कोझीकोड में टास्क फोर्स के सदस्य और क्रिटिकल केयर फिजिशियन डॉ. अनूप कुमार ने कहा कि प्रायोगिक चिकित्सा शुरू करने वाला केरल भारत का पहला राज्य होगा। आईसीएमआर के मुख्य महामारी विशेषज्ञ आर आर गंगाखेड़कर ने कहा कि उन्होंने अनुसंधान प्रोटोकॉल की अनुमति दी है जो नैदानिक परीक्षणों की अनुमति देता है।
स्वास्थ्य लाभकारी प्लाज्मा थेरेपी में उन रोगियों को प्लाज्मा देना सम्मिलित है, जिन्होंने सार्स-कोव-2 (वायरस जो कोविड-19 का कारण बनता है) के लिए एंटीबॉडी विकसित कर ली है। यूएसएफडीए ने नैदानिक परीक्षणों में और गंभीर रोगियों के लिए ऐसी चिकित्सा के उपयोग को भी मंजूरी दी है। चीन में भी, उपचार करने के लिए अन्य रोगियों पर स्वस्थ हो चुके रोगियों से प्राप्त चिकित्सीय उत्पाद प्रयुक्त किये गये थे।
हम सर्वशक्तिमान परमपिता परमेश्वर से हार्दिक कामना करते हैं कि मानव सभ्यता के कल्याणार्थ समर्पित उद्यमी अनुसन्धाकर्ताओं को इस महान लक्ष्य की सिद्धि में दिव्य क्षमताओं एवम् भव्य सफलता से कृतार्थ करे।।
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