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Wednesday, October 28, 2020

रॉयल एनफील्ड 'मिटीओर 350' में क्या है खास??

 रॉयल एनफील्ड 'मिटीओर 350' में क्या है खास?


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रॉयल एनफील्ड ने अपनी नई बाइक 'मिटीओर 350' को 6 नवम्बर को लॉन्च करने का फैसला किया है। इस बाइक में एक ब्लूटूथ नेविगेशन सिस्टम है, जो लम्बी दूरी की यात्रा के लिए काफी बेहतर रहेगा। इस बाइक की खासियत की बात करें तो इसका 350 सीसी का इंजन सिंगल सिलेंडर का है और एयर कूल्ड है। यह लॉन्ग स्ट्रोक इंजन है। इस बाइक की पावरट्रेन 20.2 बीएचपी की पावर और 27 एनएम का पीक टॉर्क देती है। इसका क्लच सिस्टम मजबूत और हल्का है। यह बाइक कम्पनी की ही थण्डरबर्ड 350 एक्स का स्थान लेगी। रॉयल एनफील्ड के चाहने वालों को लम्बे समय से इस बाइक का इंतजार है और फेस्टिव सीजन के दौरान बड़े पैमाने पर इसकी बुकिंग देखने को मिल सकती है। माना जा रहा है कि यह बाइक होण्डा सीबी 350 को सीधे तौर पर टक्कर देगी। रॉयल एनफील्ड 'मिटीओर 350' की कीमत 1.60 लाख से लेकर 1.75 लाख रुपये तक रहने का अनुमान है।

फेसबुक से इंस्टाग्राम अकाउन्ट को कैसे डीलिंक करें?

 फेसबुक से इंस्टाग्राम अकाउन्ट को कैसे हटायें? 


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अगर आप इंस्टाग्राम और फेसबुक अकाउन्ट को लिंक नहीं करना चाहते हैं, तो आप कुछ आसान से चरणों को पूरा कर फेसबुक से इंस्टाग्राम अकाउन्ट को हटा सकते हैं। इसके लिए आपको फोन पर इंस्टाग्राम खोलना होगा। उसके बाद आप सेटिंग्स के विकल्प पर जायें और लिंक्ड अकाउन्ट फेसबुक पर क्लिक करें। अनलिंक खाते पर क्लिक करें। आईओएस उपकरणों पर, आपको एक प्रॉम्प्ट पूछेगा कि क्या आप फेसबुक अकाउन्ट को डिस्कनेक्ट करना चाहते है। हाँ, आई एम श्योर पर क्लिक करें। ऐसा करते ही आपके द्वारा इंस्टाग्राम पर साझा की गई सभी नई पोस्ट फेसबुक पर दिखाई नहीं देंगी। यदि आप पुरानी पोस्ट भी हटाना चाहते हैं, जिन्हें आपने पहले फेसबुक पर साझा किया है, तो इसके लिए सेटिंग्स पर जायें, अगर सूची में इंस्टाग्राम दिखाई नहीं देता है तो 'सी मोर' पर क्लिक करें। इंस्टाग्राम आइकन पर क्लिक कर आपको रिमूव एप का ऑप्शन दिखेगा। अपनी समस्त इंस्टाग्राम पोस्ट को हटाने के लिए बॉक्स को चेक करें । उन्हें हटाने के लिए क्लिक करके पुष्टि करें।

🚗🏍️चन्द क्षणों में फुलचार्ज होंगे आपके इलेक्ट्रिक वाहन🏍️🚗

 🚗🏍️मात्र छह मिनट में चार्ज होंगे इलेक्ट्रिक वाहन!🏍️🚗


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डीजल और पेट्रोल की गाड़ियाँ चलाने के बाद लोग अब इलेक्ट्रिक वाहन चला रहे हैं। कई देशों में इलेक्ट्रिक वाहन चलने लगे हैं, पर अभी इनका ज्यादा प्रयोग नहीं किया जाता। इनके सीमित इस्तेमाल की बड़ी वजह इन गाड़ियों की बैट्री है। लम्बे रूट की यात्रा के लिए इन्हें बार-बार चार्ज करना पड़ता है, जिसमें काफी समय लगता है और सभी जगहों पर इसके लिए चार्जिंग प्वाइंट भी नहीं होते हैं। इस समस्या को दूर करने में दक्षिण कोरिया के शोधकर्ताओं को एक बड़ी सफलता मिली है। शोधकर्ताओं ने इलेक्ट्रिक वाहनों की बैट्री के लिए एक ऐसा मैटेरियल तैयार किया है, जो वाहनों की बैट्री को तेजी से चार्ज करने के साथ-साथ उन्हें लम्बे समय तक चलने लायक बना सकता है। शोधकर्ताओं का दावा है कि नए मैटेरियल से तैयार की गई बैट्री महज छह मिनट में 90 फीसदी तक चार्ज हो सकती है, यानी आने वाले वक्त में आप कम समय में अपनी गाड़ी को चार्ज कर लम्बी दूरी तय कर सकते हैं। पारम्परिक कारों के विपरीत इलेक्ट्रिक कारें पूरी तरह से लिथियम आयन बैट्री द्वारा संचालित होती हैं ली-आयन बैट्री की चार्जिंग और डिसचार्जिंग के दौरान फेस ट्रांजिक्शन में अगर इण्टरमीडिएट फेस बनता है तो कम समय में अधिक ऊर्जा पैदा की जा सकती है। बैट्री पर निर्भरता हमेशा से ही इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग के लिए हानिकारक साबित हुई है, क्योंकि इनकी चार्जिंग में अधिक समय लगने के बावजूद पर्याप्त ऊर्जा एकत्र नहीं हो पाती और ये बैट्रियाँ जल्दी ही डिसचार्ज भी हो जाती हैं। ऐसे में शोधकर्ताओं की खोज बताती है कि भविष्य इलेक्ट्रिक वाहनों का ही होगा।

📱एलजी डुअल स्क्रीन स्मार्टफोन- 'विंग'📱

 📱एलजी का डुअल स्क्रीन स्मार्टफोन 'विंग'📱


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एलजी इण्डिया ने भारत में अपने नए स्मार्टफोन 'एलजी विंग' को आज 28 अक्तूबर को लॉन्च कर दिया। यह फोन दोहरे डिसप्ले के साथ आएगा, इसमें से एक स्विवेल स्क्रीन होगी, जो 90 डिग्री पर रोटेट हो सकेगी। डुअल सिम (नैनो) वाला एलजी विंग स्मार्टफोन एंड्रॉइड 10 पर आधारित क्यू ओएस पर काम करेगा। फोन में 6.8 इंच फुल एचडी प्लस पी-ओलेड फुलविजन प्राइमरी डिसप्ले है। फोन में 3.9 इंच फुल एचडी प्लस जी-ओलेड सेकंडरी डिसप्ले भी है। स्पीड और मल्टीटास्किंग के लिये क्वालकॉम स्नैपड्रैगन 765जी ऑक्टा-कोर प्रोसेसर के साथ 8 जीबी रैम और 256 जीबी तक स्टोरेज है। माइक्रोएसडी कार्ड की मदद से स्टोरेज को 2 टीबी तक बढ़ाना संभव है। एलजी विंग के पिछले हिस्से में ट्रिपल रियर कैमरा सेटअप, 64 मेगापिक्सल प्राइमरी कैमरा सेंसर अपर्चर एफ/1.8 है। साथ में 13 मेगापिक्सल का सेकंडरी कैमरा सेंसर और 12 मेगापिक्सल का थर्ड कैमरा सेंसर है। सेल्फी और वीडियो कॉलिंग के लिए 32 मेगापिक्सल का फ्रंट कैमरा सेंसर दिया गया है, जो पॉप-अप कैमरा मॉड्यूल के साथ आएगा। फोन के दो कलर वेरिएंट हैं। ऑरोरा ग्रे और इल्यूजन स्काई। इस फोन के 128 जीबी स्टोरेज वेरिएंट की कीमत लगभग 71,400 रुपये है।

🏖️ए.सी. कूलर जाओ भूल- अब सुपर पेंट रखेगा कूल🏖️

 🏖️ए.सी. कूलर जाओ भूल- अब सुपर पेंट रखेगा कूल🏖️


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ईको फ्रेंडली पेंट से कमरा कूल-कूल


एसी को लेकर पर्यावरणविद सवाल उठाते रहे हैं और वॉटर कूलर से बात बनती नहीं। अब एक नया पेंट आया है, जो घर की दीवारों पर लगा दिया जाए तो दावा यह है कि कमरा बहुत ज्यादा ठंडा रहता है।

अपने घर को ठण्डा रखने के लिए कोई कूलर लगाता है तो कोई एयर कंडीशनर का उपयोग करता है। ये काफी महँगे होते हैं और जरूरत से ज्यादा ऊर्जा की खपत भी करते हैं। कमरों को ठण्डा रखने की आपकी यह कवायद अब बस एक पेंट से दूर होगी। शोधकर्ताओं ने एक ऐसा 'सुपर व्हाइट' पेंट बनाया है, जो सूर्य के प्रकाश को 95.5 प्रतिशत तक अवशोषित करता है, यानी दीवारों पर इस सफेद पेंट के उपयोग के बाद कमरे को ठण्डा रखने के लिए एयर कंडीशनर या किसी अन्य उपकरण की जरूरत नहीं पड़ेगी। अमेरिका की पर्ड्यू यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने मानक टाइटेनियम डाइ -ऑक्साइड कणों के बजाए कैल्शियम कार्बोनेट फिलर्स के साथ पेंट को डिजाइन किया है, जिससे अल्ट्रावॉयलेट किरणों को आसानी से अवशोषित किया जा सकता है। शोधकर्ताओं का दावा है कि सफेद पेंट दीवार की सतह के तापमान को आसपास के वातावरण की तुलना में 10 डिग्री सेण्टीग्रेड कम तक कायम रख सकता है। 
इस नए 'सुपर व्हाइट' एक्रेलिक पेंट का उपयोग इमारतों को प्राकृतिक रूप से ठण्डा रखने के लिए किया जा सकता है। पेंट का इस्तेमाल जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए भी किया जा सकता है, क्योंकि यह सूरज की रोशनी को अवशोषित करता है। आजकल पर्यावरण बदलाव के कारण ऊर्जा उपयोग में किफायत का महत्व भी समझा जाने लगा है। ऐसे में यह खोज पर्यावरणविदों का काफी प्रोत्साहन हासिल कर सकती है। इसमें आप कम खर्च में और पर्यावरण को नुकसान पहुँचाए बगैर अनुकूलित वातावरण में रह सकते हैं। सफेद पेंट का उपयोग खासकर उन घरों में ज्यादा कारगर साबित होगा, जहाँ गर्मी का प्रकोप ज्यादा रहता है और जो लोग एसी का खर्च नहीं उठा सकते। वे कम पैसे में अत्याधुनिक तकनीक से लैस इस पेंट को लगाकर अपने कमरों को ठण्डा रख सकते हैं। आप इस पेंट को दीवारों के साथ-साथ छत पर भी लगा सकते हैं।

घर का कूल लुक


नए एक्रेलिक 'सुपर व्हाइट' पेंट को कैल्शियम कार्बोनेट का उपयोग करके बनाया गया है, जो सूर्य की किरणों को कुशलता से अवशोषित कर बिखेर सकता है। पेंट को दीवारों या छत पर लगाने से पहले उन्हें ठीक से साफ करें। फिर तार वाले ब्रश से थोड़ा सा रगड़ें। इससे छत या दीवार पर पेंट मजबूती से चिपक जाता है। ध्यान रहे कि सफाई जितनी अच्छी होगी, पेंट का असर उतना ही ज्यादा रहेगा। छत पर अगर पानी भरता है या दीवार पर पानी के कारण सीलन रहती है तो पहले उसे ठीक करा लेना चाहिए। ऐसा न करने से पेंट जल्दी खराब हो जाएगा। दीवारों और छत के बाहरी और अंदरूनी हिस्सों पर यह पेंट कमरे के वातावरण को ठण्डा रखता है।

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Tuesday, October 27, 2020

🤑जमाखोरों की कालाबाजारी पर अंकुश कब??

 🤑जमाखोरों की कालाबाजारी पर अंकुश कब??


जब कोल्ड स्टोरेज में पर्याप्त आलू है और प्याज का पर्याप्त बफर स्टॉक है, तब इनके दाम क्यों बढ़ रहे हैं? इसके लिए सिर्फ दीर्घकालिक मानसून को ही जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता, बल्कि इसके पीछे नीतिगत विसंगतियाँँ और व्यवस्थागत चूक भी हैं, जिसका अनुचित लाभ जमाखोर उठा रहे हैं।


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खुदरा बाजार में आलू और प्याज के दाम जिस तरह से निरंकुश हो रहे हैं, उसके लिए सिर्फ दीर्घकालिक मानूसन और देश के अनेक भागों में अब तक हुई वर्षा को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता, बल्कि इसके पीछे नीतिगत विसंगतियाँ और व्यवस्थागत चूक भी हैं, जिसका अनुचित लाभ जमाखोर उठा रहे हैं। सितंबर से प्याज और आलू के दामों में तेजी है और देश के कई भागों में इनकी कीमतें क्रमशः 80 और 60 रुपये प्रति किलोग्राम से भी ऊपर जा चुकी हैं, जिसने निम्न वर्ग के लिए ही नहीं, मध्य वर्ग तक के लिए भी मुश्किलें पैदा कर दी हैं। यह स्थिति तब है, जब बार-बार दावे किए जा रहे हैं कि शीतगृहों में पर्याप्त मात्रा में आलू है, और प्याज का पर्याप्त बफर स्टॉक है। उत्तर प्रदेश का ही उदाहरण लें, तो उद्यान निदेशालय के मुताबिक कोल्ड स्टोरेज में 30.56 लाख टन आलू रखा हुआ है, जिसमें से सिर्फ आठ लाख टन आलू बीज के रूप में प्रयुक्त होगा और नवंबर में आलू की नई फसल आने तक मुश्किल से दस लाख टन की खपत होगी यानी जरूरत से 22 लाख टन अधिक आलू होने के बावजूद बाजार में आलू के दाम बढ़ने के पीछे खेल कुछ और ही है। और यह समझने की भी जरूरत है कि अनियंत्रित मूल्यों से आलू किसानों को नहीं, जमाखोरों को फायदा हो रहा है। हालाँकि सरकार ने 31 अक्तूबर तक कोल्ड स्टोरेज से पुराने आलू की निकासी के निर्देश दिए हैं, लेकिन आलू उत्पादकों को ही भरोसा नहीं है कि इससे जमाखोरों पर अंकुश लग पाएगा। इस आशंका को झुठलाया नहीं किया जा सकता कि जमाखोर हाल ही में अस्तित्व में आए आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम, 2020 की आड़ ले रहे हैं, जिसमें आलू और प्याज को भी आवश्यक वस्तुओं की सूची से बाहर किया गया है। इसकी काट के रूप में सरकार ने 31 दिसंबर तक प्याज के खुदरा और थोक भंडारण के लिए दो टन और पच्चीस टन की सीमा तय की है, जिससे निश्चय ही दामों पर कुछ अंकुश लगना चाहिए। लेकिन लंबे समय से प्याज के दाम जिस तरह से कालाबाजारी को नियंत्रित करने वाली ताकतों के हाथों में है, उस गठजोड़ को तोड़े बिना कहना मुश्किल है कि इसका कोई स्थायी समाधान निकल पाएगा। आखिर ऐसा क्यों हो रहा है कि जब नई फसल आने में थोड़ा वक्त होता है, तब बाजार में आलू-प्याज के दाम चढ़ने लगते हैं?


सब्जियों का समर्थन मूल्य भी तय हो- देविंदर शर्मा (कृषि नीति विशेषज्ञ)

आलू और प्याज की कीमतें जिस गति से बढ़ती हैं, उसमें एक पैटर्न नजर आता है। कभी बारिश में फसल खराब होने के नाम पर तो कभी चुनाव से पहले इनकी कीमतें अचानक बढ़ जाती हैं। वास्तव में कीमतों के बढ़ने के पीछे जमाखोरी एक बहुत बड़ा कारण है, जिस पर नियंत्रण जरुरी है।

पिछले कई वर्षों से आलू और प्याज की कीमतें जिस गति से बढ़ती हैं, उसमें एक पैटर्न नजर आता है। वह पैटर्न यह है कि हर बार इसी मौसम में (अगस्त, सितंबर, अक्तूबर के दौरान) कहा जाता है कि बारिश के कारण फसलों का काफी नुकसान हो गया, जिसके चलते प्याज की कीमतें बढ़ रही हैं। दूसरा पैटर्न यह नजर आता है कि जब भी चुनाव आता है, तो उससे पहले प्याज की कीमतें बढ़ जाती हैं, तो इसका कोई न कोई राजनीतिक निहितार्थ जरूर होगा। इसके पीछे व्यापारी जो भी कारण बताएं, लेकिन एक साल मैंने देखा कि प्याज की पैदावार में मात्र चार फीसदी की गिरावट आई थी, लेकिन कीमतों में चार सौ फीसदी की बढ़ोतरी हुई थी। इसके पीछे कारण यह है कि प्याज का व्यापार मुट्ठी भर लोगों के हाथों में है और वे उसकी कीमत नियंत्रित करते हैं। इस साल जब प्याज की कीमतें 80 से सौ रुपये प्रति किलो हो गई, तो सरकार ने प्याज के निर्यात पर रोक लगा दी है और आयात को भी मंजूरी दे दी है। मुख्य रूप से यही कहा जा रहा है कि बरसात से फसल को नुकसान हुआ, जिससे कीमतें बढ़ गई हैं। पहली सितंबर से लेकर 30 सितंबर तक सरकारी वेबसाइट पर जो आधिकारिक आँकड़ा है, वह बता रहा है कि सिंतबर में लासलगांव की मंडी, जो प्याज की एशिया की सबसे बड़ी मंडी है, में 38.84 फीसदी प्याज की ज्यादा आवक हुई है। और पूरे महाराष्ट्र में देखा जाए, तो 53.17 फीसदी प्याज की आवक ज्यादा हुई है। यानी महाराष्ट्र की मंडियों में 19.23 लाख क्विंटल अधिक प्याज आया। फिर भी कीमतें बढ़ जाती हैं, तो साफ है कि कोई तो बात है, जिसे हमें समझने की जरूरत है।

यह तो हुई प्याज की बात, पर आलू की कीमतें भी बढ़ी हैं। अभी बाजार में साठ रुपये प्रति किलो आलू उपभोक्ताओं को खरीदना पड़ रहा है। सबसे ज्यादा आलू की पैदावार उत्तर प्रदेश में होती है और इस समय उत्तर प्रदेश में कोल्ड स्टोरेज आलू से भरे पड़े हैं, जहां 30.56 लाख टन आलू जमा है, फिर भी आलू की कीमतें बढ़ रही हैं इसी को देखते हुए सरकार ने यह निर्देश जारी किया है कि 31 अक्तूबर तक सभी कोल्ड स्टोरेज को खाली कर दिया जाए। ऐसा इसलिए किया गया, ताकि कीमतों को नियंत्रण में लाया जा सके। उत्तर प्रदेश के कोल्ड स्टोरेज में जरूरत से 22 लाख टन ज्यादा आलू पड़ा हुआ है। साफ है कि बाजार में कमी पैदा करके कीमतों को बढ़ाया जा रहा है। इसी पर अंकुश लगाने के लिए सरकार ने 31 दिसंबर तक प्याज के खुदरा और थोक भंडारण के लिए क्रमशः दो टन और पच्चीस टन की सीमा तय की है। इसका असर भी तुरंत दिखा, जिस दिन सरकार ने यह घोषणा की, उस दिन थोक में 8,000 रुपये प्रति क्विंटल की दर थी, जो घटकर 6,000 रुपये पर आ गई। कीमतों के बढ़ने के पीछे जमाखोरी एक बहुत बड़ा कारण है, जिस पर नियंत्रण जरूरी है । मगर अफसोस कि जमाखोरी पर हम आज तक नियंत्रण नहीं लगा पाए हैं। जमाखोरी का मुद्दा इसलिए भी महत्वपूर्ण हो गया है कि हाल ही में केंद्र सरकार ने आवश्यक वस्तु ( संशोधन) अधिनियम 2020 पारित किया है, उसमें भंडारण की ऊपरी सीमा को हटा दिया गया है। इसका नतीजा यह हुआ कि जमाखोरी अब वैध हो गई है। ऊपरी सीमा हटाने का क्या नतीजा हो सकता है, इसका अनुमान प्याज और आलू की बढ़ रही कीमत से लगाया जा सकता है। इस संशोधन से किसानों को तो कोई फायदा नहीं होगा, हाँ, उपभोक्ताओं को इसका भारी नुकसान उठाना पड़ेगा। देश के उपभोक्ता यह समझ रहे हैं कि ये तीनों कानून खेती से संबंधित हैं और उसका असर किसानों पर पड़ेगा। लेकिन आलू और प्याज के उदाहरण से पता चलता है कि ऊपरी सीमा हटाने से उपभोक्ताओं पर असर पड़ेगा। यानी जिस चीज को विनियमित करना चाहिए था, या जिस बड़ी आपूर्ति श्रृंखला को नियंत्रित करना चाहिए था, वह न करके बड़े खिलाड़ियों को भंडारण की अनुमति दे दी गई। इससे कीमतों में जो छेड़छाड़ होती है और इसका जब तक उपभोक्ताओं को पता चलता है, तब तक वे भारी नुकसान उठा चुके होते हैं। कीमतों को नियंत्रित करने का एक तरीका तो यह है कि अभी हमारे पास टेक्नोलॉजी है, अन्य तमाम संसाधन हैं, तो क्यों न हम फसल उत्पादन से पहले ही यह जान लें कि हमें पूरे देश के लिए कौन-सी फसल कितनी चाहिए, और किस राज्य में किस फसल की कितनी जरूरत है और उस हिसाब से हम उसकी मैपिंग करें और आपूर्ति श्रृंखला को नियंत्रित करें। दूसरा तरीका यह है कि बिचौलियों को नियंत्रित करने के लिए हमें एक तंत्र विकसित करना होगा। छोटे व्यापारी और बिचौलियों को हम खराब मानते हैं, पर बड़े व्यापारी व बिचौलिए भी उनसे कम नहीं हैं। आप देखेंगे कि स्थानीय बाजार में अभी आलू, प्याज की जो कीमत है, उससे कम अमेजन या फ्लिपकार्ट पर नहीं है। तो दोनों में फर्क क्या है? किसान को मक्के का दाम अभी आठ से नौ रुपये प्रति क्विन्टल मिल रहा है और पैकेटबंद होकर जो मक्का बाजार में बिकने आ रहा है, उसकी कीमत 45 से 50 रुपये प्रति किलो है। हम समझते हैं कि बाजार की अदृश्य शक्तियाँ अपने- आप इसमें संतुलन ले आयेंगी, लेकिन ऐसा होता नहीं है।

जब भी आलू, प्याज के व्यापारियों पर आयकर विभाग का छापा पड़ता है, तो हंगामा मच जाता है कि इससे व्यापारियों में गलत संदेश जाएगा पर जमाखोरी रोकने के लिए ऐसा करने की जरूरत है। जब कीमतें बढ़ती हैं, तब सारे देश में उपभोक्ताओं के हित में हंगामा होता है। पर जब किसानों को वाजिब कीमत नहीं मिलती है और वह अपनी उपज सड़कों पर फेंकता है, तब कोई हंगामा नहीं होता। क्या कारण है कि सिर्फ उपभोक्ताओं के लिए ही सरकार सक्रिय होती है, किसानों के लिए नहीं? किसान जब अपनी फसल को औने-पौने दाम में बेचने के बजाय उसे सड़कों पर फेंकता है, तो उसे कितनी पीड़ा होती होगी और उसकी आजीविका पर कितना असर पड़ता होगा, इसे समझने की जरूरत है। सरकार किसानों के लिए एक योजना लेकर आई थी 'टॉप' (टमाटर, ओनियन, पोटेटो), उसे और सुदृढ़ करने की जरूरत है और सब्जियों का एक आधार मूल्य तय करना चाहिए, अगर कीमत उससे कम होती है, तो सरकार को हस्तक्षेप करके उसकी भरपाई किसानों को करनी चाहिए। केरल ने सभी सब्जियों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित कर दिया है। इससे सबक लेकर सब्जियों के लिए एक आधार मूल्य पूरे देश में तय होना चाहिए। यही किसानों की असली आजादी है। पंजाब के किसान भी इसी के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

Monday, October 26, 2020

👨🏻‍💻प्रतियोगी सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी: भाग-3👨🏻‍💻

 👨🏻‍💻विविध प्रतियोगी सामान्य अध्ययन प्रश्नोत्तरी (हल एवम् व्याख्या सहित): भाग-3👨🏻‍💻




1. निम्नलिखित में से एनसीसी का आदर्श वाक्य कौन-सा है? (CDS-II परीक्षा, 2019) 

(a) एकता और अनुशासन

(b) एकता और सत्यनिष्ठा

(c) एकता और प्रभुता

(d) एकता और सेवा

जवाबः (a) एकता और अनुशासन

व्याख्या: 11 अगस्त, 1978 को हुई 11वीं केंद्रीय सलाहकार समिति (सीएसी) की बैठक में राष्ट्रीय कैडेट कोर अर्थात् एनसीसी के आदर्श वाक्य होने की आवश्यकता पर चर्चा की गई। "कर्तव्य और अनुशासन, "कर्तव्य, एकता और अनुशासन", "कर्तव्य और एकता", "एकता और अनुशासन" जैसे आदर्श वाक्य सुझाए गए थे। 12 अक्टूबर, 1980 को हुई सीएसी की 12वीं बैठक में "एकता और अनुशासन" को एनसीसी का आदर्श वाक्य चुनने का अंतिम निर्णय लिया गया।


2. पराग (Pollens) उत्पन्न होता है? (CAPF परीक्षा-2019) 

(a) दलपुंज में 

(b) वर्तिका में 

(c) वर्तिकाग्र में 

(d) परागकोश में

जवाबः (c) वर्तिकाग्र में

व्याख्याः परागण (Pollination) वैज्ञानिक अर्थ में, वर्तिकाग्र (Stigma), अंडाशय (Ovary) अथवा बीजाण्ड (Ovule) पर परागकण के पहुँँचने की वह क्रिया है, जिससे गर्भाधान के पश्चात् फल और बीज बनते हैं। जब-तब बिना गर्भाधान अर्थात् अनिषेक जनन (Parthenogenesis) से भी फल तथा बीज उत्पन्न होते हैं। खिले फूलों में कभी-कभी ही परागकोश वर्तिकाग्र से सटे मिलते हैं।

3. ग्लोबल कॉम्पिटेटिवनेस रिपोर्ट कौन प्रकाशित करता है? (UPSC Pre परीक्षा-2019)

(a) अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष 

(b) अंकटाड (UNCTAD) 

(c) विश्व आर्थिक मंच 

(d) विश्व बैंक

जवाब: (c) विश्व आर्थिक मंच

 व्याख्या: विश्व आर्थिक मंच हर साल दुनिया की अर्थव्यवस्थाओं से जुड़ी रिपोर्ट जारी करता है। 2019 में भारत इसके द्वारा जारी ग्लोबल कॉम्पिटेटिव इंडेक्स में 68वें स्थान पर रहा। जबकि पिछले साल वह 58वें स्थान पर काबिज था।

4. किस राज्य में कल्याण मण्डप की रचना मंदिर निर्माण का एक विशिष्ट अभिलक्षण था? (UPSC Pre परीक्षा-2019) 

(a) चालुक्य 

(b) चंदेल

(c) राष्ट्रकूट 

(d) विजयनगर

जवाबः (d) विजयनगर 

व्याख्याः विजयनगर साम्राज्य जिसकी स्थापना हरिहर और बुक्का ने 1336 ई. में की थी, स्थापत्य कला का एक बड़ा केंद्र रहा था। यह साम्राज्य वर्तमान आंध्र, कर्नाटक, तमिलनाडु और केरल के कुछ भागों में फैला हुआ था। इस दौरान मंदिरों के निर्माण में कल्याण मण्डप को विशेष तौर पर निर्मित किया जाता था।

5. उष्ण तथा सूखा पवन 'शमाल' जो कि एक स्थानीय हवा है, कहाँ पाई जाती है? (NDA परीक्षा-2019) 

(a) पूर्वी एशिया

(b) अफ्रीका का पश्चिमी तट 

(c) अफ्रीका का सहारा क्षेत्र

(d) मेसोपोटामिया

जवाब: (d) मेसोपोटामिया

व्याख्याः मेसोपोटामिया अर्थात् आधुनिक ईराक और फारस की खाड़ी के देशों में शमाल पवन बहती है। यह दिन में तेज चलती है और रात होते-होते धीमी हो जाती है।

6. निम्नलिखित में से वह कौन-सा रोग है, जिसके लिए भारत ने अतीत में कभी भी महामारी का सामना नहीं किया है? (CISF परीक्षा-2019) 

(a) हैजा 

(b) प्लेग 

(c) ल्यूकीमिया

(d) स्वाइन फ्लू

जवाबः (c) ल्यूकीमिया

व्याख्या: ल्यूकीमिया की बीमारी ने भारत में कभी भी महामारी का रूप नहीं लिया है। जबकि हैजा, प्लेग और स्वाइन फ्लू किसी न किसी समय और क्षेत्र विशेष में महामारी का रूप ले चुके हैं।

7. हिस्ट्री ऑफ ब्रिटिश इण्डिया नामक पुस्तक के लेखक कौन थे? (NDA परीक्षा-2019) 

(a) चार्ल्स ग्रांट 

(b) जॉन स्टुअर्ट मिल 

(c) जेम्स मिल

(d) विलियम जॉन्स

जवाब: (c) जेम्स मिल

व्याख्याः 'हिस्ट्री ऑफ ब्रिटिश इण्डिया' नामक पुस्तक ब्रिटिश कम्पनी के भारत पर शासन से संबंधित इतिहास है जो कि 19वीं शताब्दी के ब्रिटिश इतिहासकार और साम्राज्यवादी राजनीतिक सिद्धांतकार जेम्स मिल द्वारा लिखी गई थी।

8. कंपोस और लानोस उष्णकटिबंधीय सवाना घास स्थल आमतौर पर कहाँ पाए जाते हैं? (NDA परीक्षा-2019) 

(a) ऑस्ट्रेलिया 

(b) मध्य अफ्रीका 

(c) दक्षिण अमेरिका

(d) पूर्वी एशिया

जवाब: (c) दक्षिण अमेरिका

 व्याख्या: कंपोस और लानोस उष्णकटिबंधीय सवाना घास स्थल आमतौर पर दक्षिण अमेरिका में पाए जाते हैं। लानोस दक्षिण अमेरिकी देश कोलंबिया और वेनेजुएला में एण्डीज पर्वत के पूर्व में स्थित है।

9. निम्नलिखित में से किस राज्य में साइलेंट वैली स्थित है? (CISF परीक्षा-2019)

(a) हिमाचल प्रदेश 

(b) जम्मू एवं कश्मीर

(c) झारखण्ड

(d) केरल

जवाबः (d) केरल

व्याख्या: साइलेंट वैली अर्थात् शांत घाटी भारत के दक्षिणी राज्य केरल में स्थित है।

10. हीराकुण्ड बाँध किस नदी पर बना है? (CISF परीक्षा-2019)

(a) कावेरी

(b) महानदी

(c) कृष्णा

(d) गोदावरी

जवाब: (b) महानदी

व्याख्याः ओडिशा राज्य में महानदी पर हीराकुण्ड बाँध निर्मित किया गया था। इसके निर्माण की शुरुआत 1947 के बाद ही हो गई थी परन्तु यह पूरी तरह 1957 में बनकर तैयार हुआ। 

11. केरल के चावल की उस किस्म का नाम बतायें जिसे जीआई (भौगोलिक उपदर्शन) टैग मिला। (UPSSSC परीक्षा-2019) 

(a) गौतम 

(b) नवारा

(c) सेषु

(d) जगन्नाथ

जवाब: (b) नवारा

व्याख्याः केरल के चावल की नवारा किस्म को जीआई टैग दिया गया है। किसी क्षेत्र विशेष के उत्पादों को जियोग्रफिल इंडीकेशन टैग (जीआई टैग) से खास पहचान मिलती है। चंदेरी की साड़ी, कांजीवरम की साड़ी, दार्जिलिंग चाय और मलिहाबादी आम समेत अब तक 300 से अधिक उत्पादों को जीआई मिल चुका है। भारत में दार्जिलिंग चाय को भी जीआई टैग मिला है।


🖥️💻कम्प्यूटर वन-लाइनर💻🖥️




💻भारत में कंप्यूटर का पहली बार प्रयोग कहाँँ किया गया था? 

-प्रधान डाकघर बंगलुरु


💻कंप्यूटर साक्षरता से तात्पर्य होता है?

- कंप्यूटर की कार्यक्षमता की जानकारी का होना


💻कंप्यूटर में टाइपिंग के लिए प्रयोग किए जाने वाले की-बोर्ड को किस प्रकार की डिवाइस माना जाता है? 

-इनपुट डिवाइस 


💻कंप्यूटर के सभी प्रोग्रामों का डिस्प्ले किस आउटपुट डिवाइस पर देखा जा सकता है? 

-मॉनिटर या एलसीडी


💻यूपीएस जो कि बिजली जाने पर कप्यूटर को सीधे बंद होने से रोकती है, की फुल फॉर्म क्या है? 

- अनट्रिप पावर सप्लाई


💻कंप्यूटर के सभी हिस्से किस एक महत्वपूर्ण यूनिट से जुड़े होते है?

- सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट (सीपीयू)


💻कंप्यूटर में कितने प्रकार की मेमोरी होती हैं?

-दो प्रकार की प्राइमरी एवं सेकण्डरी


💻कंप्यूटर की स्टोरेज क्षमता को मापने के लिये सबसे छोटी इकाई कौन-सी होते है?

-बिट


💻कंप्यूटर को ठीक प्रकार से कार्य करने के लिए किन दो प्रोग्रामों की आवश्यकता होती है? 

-सॉफ्टवेयर एवं हार्डवेयर प्रोग्राम


💻कंप्यूटर में इस्तेमाल होने वाला इनपुट डिवाइस माउस क्या है?

-एक हार्डवेयर डिवाइस


💻वाई टू के (Y2K) की समस्या से प्रभावित होने वाला विश्व का एकमात्र देश कौन-सा था?

 -जाम्बिया


💻भारतीय रेलवे में कंप्यूटर आधारित रिजर्वेशन प्रणाली सर्वप्रथम कहां लागू हुई थी?

-नई दिल्ली


💻विश्व कंप्यूटर साक्षरता दिवस मनाया जाता है?

-2 दिसंबर


💻कंप्यूटर विज्ञान में पीएचडी करने वाले पहला भारतीय है ? 

-डॉ.राजरेड्डी


💻एक व्यक्ति जो अपनी कंप्यूटर विशेषज्ञता का उपयोग दूसरे व्यक्ति की निजि जानकारियों को चुराने के लिए करता है, क्या कहलाता है?

-हैकर

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