कोरोना संक्रमितों को एचआईवी रोधी औषधियाँ देने की अनुशंसा
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने जारी किये संशोधित दिशा-निर्देश, प्रकरण-दर-प्रकरण होगा अनुप्रयोग
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोरोना वायरस से संक्रमित रोगियों के उपचार हेतु एचआईवी रोधी औषधियाँ 'लोपिनेवीर व रीटोनेवीर' देने की अनुशंसा की है। रोगी की स्थिति को गम्भीरता को देखते हुये प्रकरण दर प्रकरण इन औषधियों का अनुप्रयोग किया जायेगा। यह औषधियाँ जयपुर के सवाई मानसिंह चिकित्सालय में भर्ती इतालवी दम्पति को प्रथम बार दी गयी।
मंत्रालय ने मंगलवार को 'कोरोना वायरस चिकित्सीय प्रबन्धन' पर संशोधित दिशानिर्देश जारी किये।
इनमें मधुमेह रोगियों, किडनी रोगियों, फेफड़े की विकृतियों से ग्रस्त 60 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्तियों को लोपिनेवीर और रीटोनेवीर देने का सुझाव दिया गया है।
विचारणीय है कि ये रोगी उच्च जोखिम वाले समूह में आते हैं। इसके अलावा, ऐसे रोगी जिनकी देह के किसी भाग में प्राणवायु की अल्पता, न्यून रक्तदाब, क्रिटीनीन की मात्रा 50 प्रतिशत से बढ़ने या अंगों के अक्रियाशील हो जाने जैसे लक्षण हों, तो उन्हें भी इसे देने की अनुशंसा की गई है।
🚫वुहान के संक्रमितों पर नहीं हुआ एचआईवी रोधी दवा का असर⚠️
चीन में 199 संक्रमित रोगियों पर अध्ययन के पश्चात् आयी रिपोर्ट में दावा
भारतीय डॉक्टरों ने भी एचआईवी रोधी दवा पर जताया कम भरोसा
एक ओर जहाँ जयपुर के डॉक्टरों ने दावा किया है कि लोपिनेवीर/रीटोनेवीर के साथ मलेरिया और स्वाइन फ्लू की दवा के मिश्रण के जरिये इटली के दो नागरिक स्वस्थ हुये हैं वहीं दूसरी ओर चीन के जिस वुहान से कोरोना दुनिया भर में कहर बनकर टूटा है, वहाँ के डॉक्टरों ने एचआईवी रोधी दवा के निष्प्रभावी होने की पुष्टि की है।चीन के डॉक्टरों की रिसर्च में एचआईवी रोधी दवाओं को कोरोना के उपचार में कारगर नहीं माना गया है। उनका दावा है कि वयस्क रोगियों पर इस दवा की प्रभावशीलता परिलक्षित नहीं हुई। 'द न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन' में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार अभी तक कोई दावा प्रभावी सिद्ध नहीं हुआ है।
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसन्धान परिषद (आईसीएमआर) के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक ने कहा, अभी भारत किसी निष्कर्ष की स्थिति में नहीं है। जिन्हें गम्भीर रोग हैं, उनके लिये वायरस घातक सिद्ध हो सकता है। जयपुर के एसएमएस अस्पताल में भर्ती दो रोगियों को एचआईवी, स्वाइन फ्लू और मलेरिया की मिश्रित दवा देने की अनुमति दी गयी थी और दोनों पीड़ित ठीक भी हुये। भारत के पास कोरोना और इसके उपचार को लेकर ठोस दवा नहीं है। वहीं दिल्ली एम्स के मेडिसिन विभाग के वरिष्ठ डॉक्टर ने कहा, 2003 में कोरोना की ही भाँति सार्स (एसएआरएस) वायरस ने कई देशों को चपेट में लिया था।
👉इन रोगियों पर हुआ अध्ययन↩️
वुहान जिन यिन तान अस्पताल में 3 फरवरी से 199 रोगियों पर एचआईवी रोधी दवाओं का अध्ययन शुरू हुआ। इनमें से 120 पुरुष और 79 महिला रोगी थीं जिनकी औसत आयु 58 वर्ष थी। 199 में से 23 को मधुमेह, 13 को हृदयरोग और छह को कैंसर था। वहीं, 182 को बुखार, 37 को श्वास लेने में दिक्कत और दो को रक्तचाप की शिकायत थी।
👉सबसे अधिक रोगी हुये सफदरजंग में ठीक↩️
देश में कोरोना का सबसे बड़ा नोडल केंद्र दिल्ली का सफदरगंज अस्पताल है। यहाँ के निदेशक डॉ. बलविंदर सिंह ने कहा कि यहाँ से आठ रोगी ठीक होकर घर भी जा चुके हैं।लक्षणों के आधार पर उपचार होता है। एन्टीवायरल का प्रयोग भी कर रहे हैं जिसमें पैरासिटामोल भी है। अभी तक एचआईवी, स्वाइन फ्लू और मलेरिया रोधी दवाओं का प्रयोग नहीं हुआ है।
👉ऐसे शुरू हुआ अध्ययन↩️
करीब 20 से अधिक डॉक्टरों ने 14 दिन तक 99 और 100 रोगियों के दो समूहों में एकांतवास में रखा गया। उनमें से एक (99) समूह को लोपिनेवीर 400 एमजी और रीटोनेवीर 100 एमजी दिन में दो बार दी गयी। पहले समूह में भर्ती 99 में से पाँच रोगियों को खुराक नहीं दी जा सकी क्योंकि भर्ती होने 24 घण्टे के भीतर ही तीन की मृत्यु हो गई। अन्य दो रोगियों को खुराक देने हेतु स्थितियाँ प्रतिकूल थीं। अतः 94 रोगियों का ही उपचार परीक्षण हो सका।
👉28 दिन में पाँच बार लिये गये सैंपल↩️
प्रशिक्षित नर्सों के जरिये प्रतिदिन इनकी निगरानी की गई। खुराक देने से पहले व सैंपल लेने के बाद 5वें, 10वें, 14वें, 21वें और 28वें दिन तक सैंपल लिये गये। इन सैम्पल्स की जाँच चीन की ही टेडी क्लीनिकल रिसर्च लैबोरेट्री में जाँचा गया।
👉ये निकले परिणाम↩️
सामने आया कि गम्भीर रोगों से ग्रस्त रोगियों पर लोपिनेवीर और रीटोनेवीर दवा का प्रभाव नहीं होता। इन दवाओं के प्रयोग से रोगनिवृत्ति में न तो तीव्रता आयी और न ही गम्भीर रोगियों में मृत्यु की आशंका की कम हुई। ज्वर भी कम नहीं हुआ। अंत में जिन रोगियों को ये दवायें दी गईं, 28 दिन बाद उन में से 40 प्रतिशत को ज्वर की शिकायत थी।
👉अमेरिका ने कोरोना के उपचार हेतु मलेरिया रोधी दवा को दी स्वीकृति↩️
अमेरिका ने मलेरिया व गठिया में प्रयुक्त होने वाली दवा क्लोरोक्विन को कोरोना वायरस के उपचार हेतु गुरुवार को स्वीकृति दे दी। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने बताया कि कोरोना वायरस के उपचार के लिये मलेरिया रोधी दवा को स्वीकृति दी गयी है। हम शीघ्र-अतिशीघ्र इसे पीड़ितों को डॉक्टरों के सुझाव पर उपलब्ध करायेंगे। हालाँकि अमेरिका के खाद्य एवम् औषधि प्रशासन (एफडीए) आयुक्त स्टीफन एच ने बाद में ऐसे संकेत दिये कि उक्त दवा को औपचारिक मंजूरी नहीं दी गयी है, इसके अनुप्रयोग को इसलिये अनुमति दी गयी ताकि प्रशासन अधिकाधिक डाटा एकत्र कर सके।।
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