संसद भवन
हमारे संविधान के तहत हमारी संसद में दो सदनों लोकसभा और राज्यसभा की व्यवस्था है। संविधान के अनुच्छेद 108 के तहत राष्ट्रपति दोनों सदनों की संयुक्त बैठक आहूत कर सकता है। ऐसे सत्र की अध्यक्षता लोकसभा अध्यक्ष करते हैं। उनकी अनुपस्थिति में यह जिम्मेदारी लोकसभा उपाध्यक्ष को दी जाती है और उनकी भी अनुपस्थिति में राज्यसभा के उपसभापति अध्यक्षता करते हैं। आमतौर पर संयुक्त सत्र की नौबत तब आती है, जब किसी विधयेक को एक सदन ने पारित कर दिया हो और दूसरे सदन ने उसे अस्वीकार कर दिया हो, या विधेयक में किये जाने वाले संशोधनों के बारे में दोनों सदनों में अंतिम रूप से असहमति हो या दूसरे सदन को विधयेक प्राप्त होने की तारीख से उसके द्वारा विधयेक पारित किये बिना छह मास से अधिक बीत गये हों। हालाँकि मनी बिल या धन विधेयक के मामले में यह प्रावधान लागू नहीं होता। मनी बिल को सिर्फ लोकसभा की मंजूरी की जरूरत होती है, राज्यसभा लोकसभा को अपनी सिफारिशें भेज सकती है, लेकिन वह उन्हें मानने को बाध्य नहीं है। संविधान संशोधन विधयेक के लिये भी संयुक्त सत्र का प्रावधान नहीं है। भारतीय संसद ने अब तक सिर्फ तीन विधयेक ही संयुक्त सत्र में पारित किये हैं। यह हैं, दहेज रोक अधिनियम, 1961, बैंकिंग सेवा आयोग अधिनियम, 1977 और पोटा (आतंकवाद निरोधक अधिनियम) 2002। इसके अलावा 30 जुलाई, 2017 को बुलाये गये संसद के दोनों सत्रों के संयुक्त अधिवेशन में मध्य रात्रि को राष्ट्रपति ने जीएसटी (वस्तु एवम् सेवाकर) को लागू करने की घोषणा की थी।।
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