लीप ईयर (अधिवर्ष)
ब्रिटैनिका के अनुसार, हर शताब्दी वर्ष में से वही वर्ष लीप ईयर होगा, जो चार से विभाज्य हो सके।
यह वर्ष लीप ईयर है। आज फरवरी माह का अंतिम दिवस है। लीप ईयर वह वर्ष होता है, जिसके फरवरी माह में 28 के बजाय 29 दिन होते हैं। उस वर्ष में 365 के बजाय 366 दिन होते हैं। सर्वप्रथम 46 ईसा पूर्व में जूलियन कैलेण्डर व्यवस्था के अन्तर्गत चार वर्ष में एक लीप डे का सिद्धान्त लागू किया गया। उस तरीके से हर चौथे वर्ष में लीप डे जोड़ने पर कई शताब्दियों के दौरान कैलेण्डर में विसंगति उत्पन्न होने लगीं। जिसे वर्ष 1582 में ग्रेगोरियन कैलेण्डर ने दुरुस्त कर दिया। ब्रिटैनिका के अनुसार, हर शताब्दी वर्ष में वही वर्ष लीप ईयर होगा, जो चार से पूर्णतः विभाजित हो सके। जैसे 2000, 2004, 2008, 2012, 2016 तथा 2020 अधि वर्ष हैं। पृथ्वी को सूर्य का एक चक्कर लगाने में 365 दिन, पाँच घण्टे, 48 मिनट व 46 सेकेण्ड लगते हैं। अर्थात् एक कैलेण्डर वर्ष से चौथाई दिन अधिक। ऐसा होने से हर चार वर्ष में एक दिन अधिक हो जाता है, अतः प्रत्येक चार वर्ष पश्चात् फरवरी माह में एक दिन अतिरिक्त जोड़कर सन्तुलन कायम रखने के प्रयास किये जाते हैं। कैलेण्डर और पृथ्वी की भौगोलिक ऋतुयें एक दूसरे के साथ तालमेल में बनी रहें, इस हेतु ही कैलेण्डर में लीप ईयर अपरिहार्य है। लीप ईयर के अभाव में कुछ सदियों के अन्तराल में ही मौसम तथा कैलेण्डर के माह अस्त-व्यस्त हो जायेंगे। इस शताब्दी में कुल 25 लीप ईयर हैं।।
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