Pages

Tuesday, December 31, 2019

स्टार फ्रूट(कमरख)

स्टार फ्रूट



स्टार फ्रूट को कमरख के नाम से भी जाना जाता है। यह झाड़ी युक्त पौधा है, जो कई एशियाई देशों में पैदा होता है। अमेरिकी देशों में भी इसकी पैदावार खूब होती है। इसकी आकृति पाँच कोण वाले तारे जैसी होती है। सर्दियों में मिलने वाला यह फल सेहत के लिये भी लाभदायक होता है। देखने में यह फल जितना आकर्षक होता है, इसके लाभ भी उतने ही अधिक हैं। इसमें कैलोरी अत्यंत कम होती है और विटामिन सी अत्यधिक। इसके नियमित सेवन से अनेक गम्भीर स्वास्थ्य समस्याओं से छुटकारा सम्भव है।

👉स्टार फ्रूट में विटामिन-ए, बी और सी के साथ-साथ फॉस्फोरस, जिंक, कैल्शियम, मैग्नेशियम, सोडियम, पोटैशियम और आयरन की अच्छी मात्रा होती है। अपनी विशेषताओं के कारण इसे औषध माना जाता है।

👉इसमें फाइबर की प्रचुर मात्रा होती है, अतः वजन को नियंत्रित करने और उदर की समस्याओं को दूर करने में यह बहुपयोगी माना जाता है। इसमें मौजूद विटामिन-सी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है।

👉मधुमेह तथा हृदय रोगियों हेतु स्टार फ्रूट का सेवन अत्यंत उत्तम माना जाता है। इसमें शीतलता तथा शांति प्रदान करने वाले गुण मौजूद हैं। यह शरीर में जलन की समस्या को कम करने में भी बहुत सहायक होता है।

Disclaimer: All the Images belong to their respective owners which are used here to just illustrate the core concept in a better & informative way.

Monday, December 30, 2019

2019 के ऐतिहासिक क्षण-1

💠स्वागत वन्दन
जय अभिनंदन


पाकिस्तानी विमानों के हमले को नाकाम करने की कोशिश में 27 फरवरी, 2019 को भारतीय वायुसेना के विंग कमांडर अभिनंदन वर्तमान का विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया। पैराशूट की मदद से जब उन्होंने लैंडिंग की, तो वह पाक अधिकृत कश्मीर में थे। अभिनंदन को पाक सैनिकों ने हिरासत में ले लिया। 1 मार्च, 2019 की रात अभिनंदन वर्तमान वाघा-अटारी सीमा के रास्ते सकुशल भारत लौट आये। वाघा-अटारी सीमा पर उनके भारत आने की प्रतीक्षा में देशवासियों ने बरसात की बाधा भी दरकिनार कर दिया।


💠शीर्ष वैश्विक नेताओं को टक्कर


16 वर्षीय छात्रा ग्रेटा थनबर्ग ने संयुक्त राष्ट्र में जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर अपने तर्कों से दुनिया भर के नेताओं का ध्यान आकर्षित किया। मैड्रिड शहर में आयोजित संयुक्त राष्ट्र की 25वीं जलवायु परिवर्तन समिट में वैश्विक नेताओं के बारे में ग्रेटा का कहना था कि वे बड़ी-बड़ी बातों से भ्रम पैदा करना बंद करें और 'रियल एक्शन' दिखायें। अगला दशक यह तय करने वाला है कि इस पृथ्वी का भविष्य क्या होगा। पिछले साल जलवायु परिवर्तन मुद्दे पर लोगों में जागरूकता पैदा करने के लिये ग्रेटा ने स्वीडन की संसद के बाहर विरोध-प्रदर्शन किया था। इसके लिये उन्होंने हर शुक्रवार को अपना स्कूल छोड़ा था। इसे देखकर ही कई देशों में 'फ्राइडे फ़ॉर फ्यूचर' के साथ एक मुहिम शुरू हुई।


💠370 और 35 ए अलविदा


सरकार  ने एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए जम्मू-कश्मीर से जुड़े अनुच्छेद 370 और 35 ए को निरस्त करने की घोषणा की। राज्य पुनर्गठन बिल को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की मंजूरी मिलने के बाद राज्य को दो हिस्सों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बाँटकर उन्हें केन्द्र शासित प्रदेश घोषित कर दिया गया। जम्मू-कश्मीर को विधायिका वाला और लद्दाख को बिना विधायिका शक्ति वाला केन्द्र शासित प्रदेश बनाया गया। सरकार के इस फैसले के लागू होने के साथ ही जम्मू-कश्मीर को मिले विशेषाधिकार खत्म हो गये, यानि जम्मू-कश्मीर भी भारत के अन्य राज्यों की तरह सामान्य राज्य बन गया। दरअसल भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू-कश्मीर को विशेष स्वायत्तता मिली थी। अनुच्छेद 35 ए जम्मू-कश्मीर राज्य विधानमंडल को 'स्थायी निवासी' परिभाषित करने और उन नागरिकों को विशेषाधिकार प्रदान करने का अधिकार देता था। अनुच्छेद 370 के प्रावधानों के अनुसार, संसद को जम्मू-कश्मीर के बारे में रक्षा, विदेश मामले और संचार के विषय में कानून बनाने का अधिकार था, लेकिन किसी अन्य विषय से सम्बन्धित कानून को लागू करवाने के लिये केन्द्र को राज्य सरकार की मंजूरी चाहिये थी। भारत के उच्चतम न्यायालय के आदेश जम्मू-कश्मीर में मान्य नहीं थे। 35 ए के तहत 14 मई, 1954 के पहले जो लोग कश्मीर में बस गये थे, उन्हीं को स्थायी निवासी माना जाता था। जो कश्मीर का स्थायी निवासी नहीं था, राज्य में सम्पत्ति नहीं खरीद सकता था।


💠मन्दिर वहीं बनेगा
मस्जिद भी बनेगी


देश के सबसे पुराने मामले मामलों में से एक अयोध्या विवाद पर इस वर्ष के 11वें महीने में सर्वोच्च न्यायालय का फैसला आया। 40 दिनों तक लगातार चली सुनवाई के बाद 09 नवम्बर, 2019 को तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई के नेतृत्व में संवैधानिक पीठ ने फैसला सुनाते हुये निर्मोही अखाड़ा और शिया वक़्फ़ बोर्ड का दावा खारिज कर दिया और रामलला का हक माना। मुस्लिम पक्ष को 5 एकड़ जमीन देने का आदेश दिया। जमीन देने की जिम्मेदारी उत्तर प्रदेश सरकार को सौंपी गई। सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र सरकार को तीन महीने में मन्दिर ट्रस्ट बनाने का आदेश दिया। नया ट्रस्ट राम मंदिर निर्माण की रूपरेखा तैयार करेगा। अयोध्या मसले पर सुप्रीम कोर्ट का यह बहुप्रतीक्षित फैसला आने के बाद वहाँ राम मंदिर बनने का रास्ता साफ हो गया। शीर्ष अदालत के आदेश में पूजा-पाठ का अधिकार पक्षकार गोपाल विशारद को दिया गया। फैसला सुनाने वाली संवैधानिक  पीठ में मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई के अतिरिक्त न्यायाधीश शरद अरविंद बोबड़े, न्यायाधीश धनंजय यशवंत चंद्रचूड़, न्यायाधीश अशोक भूषण और न्यायाधीश अब्दुल नज़ीर शामिल थे। मुख्य न्यायाधीश गोगोई ने फैसला पढ़ते हुये कहा कि दस्तावेजों से पता चलता है कि 1885 से पहले हिन्दू अंदर पूजा नहीं करते थे, बल्कि बाहरी अहाते में रामचबूतरा, सीता रसोई में पूजा करते थे। 1934 में दंगे हुये। उसके बाद से मुसलमानों का एक्सक्लूसिव अधिकार आंतरिक अहाते में नहीं रहा। मुसलमान उसके बाद से अपना एकाधिकार सिद्ध नहीं कर पाये। हिन्दू निर्विवाद रूप से बाहर पूजा करते रहे।


💠ज़मीन से चाँद तक


भारत के चन्द्रयान-2 के प्रक्षेपण की घोषणा 15 जुलाई को की गई थी, लेकिन इसरो ने महज़ एक घण्टे पहले तकनीकी खामी के कारण इसे टाल दिया। 22 जुलाई को जीएसएलवी एमके तृतीय-एम 1 से चन्द्रयान-2 को सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया गया। 4 अगस्त को इसरो ने चन्द्रयान-2 उपग्रह से ली गयी तस्वीरों का पहला सेट जारी किया। 14 अगस्त को चन्द्रयान-2 ने 'लूनर ट्रान्सफर ट्रेजेक्टरी' में प्रवेश किया। 20 अगस्त को चन्द्रयान-2 चन्द्रमा की कक्षा में पहुँचा। 22 अगस्त को इसरो ने चन्द्रमा की सतह से करीब 2,650 किलोमीटर की ऊँचाई पर चन्द्रयान-2 के एलआई 4 कैमरे से ली गयी चाँद की तस्वीरें जारी कीं। 2 सितम्बर को लैंडर विक्रम सफलतापूर्वक ऑर्बिटर से अलग हुआ। 7 सितम्बर को लैंडर 'विक्रम' को चन्द्रमा पर उतारने की प्रक्रिया शुरू हुई। 2.1 किलोमीटर की ऊँचाई तक सब ठीक रहा, लेकिन फिर लैंडर का सम्पर्क दुर्भाग्यवश ज़मीनी स्टेशन से टूट गया।

💠तीन तलाक से तौबा


संसद में बिल पारित होने के साथ ही तीन तलाक यानी तलाक-ए-बिद्दत को गैर-कानूनी घोषित कर दिया गया। बिल के क्लॉज नम्बर 3 के मुताबिक अगर कोई शख्स मुँहजुबानी, लिखकर या किसी इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से अपनी पत्नी को तलाक देता है तो वह गैर-कानूनी होगा। शिकायत पर पुलिस बिना वारण्ट के आरोपी पति को गिरफ्तार कर सकती है। तीन तलाक केस अगर अदालत में साबित हो गया तो पति को 3 साल की कैद की सज़ा हो सकती है। मजिस्ट्रेट अब महिला का पक्ष सुने बिना उसके पति को जमानत नहीं दे सकेंगे। पीड़ित महिला पति से गुजारा भत्ते का दावा भी कर सकती है। राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद तीन तलाक कानून अस्तित्व में आ गया।


💠करतारपुर कॉरिडोर

भारत के डेरा बाबा नानक को पाकिस्तान के करतारपुर से जोड़ने वाले करतारपुर साहिब गलियारे को 9 नवम्बर, 2019 को उद्घघाटन किया गया। करतारपुर सिखों का प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है। यह पाकिस्तान के नरोवल जिले में स्थित है। यह भारतीय सीमा से 3 से 4 किलोमीटर दूर है। लाहौर से इसकी दूरी 120 किलोमीटर है। गुरु नानक देव जी 1522 में करतारपुर आये थे और अपना अंतिम समय उन्होंने यहीं व्यतीत किया था। इसी स्थान पर दरबार साहिब गुरुद्वारा स्थित है। इसी कारण यह भारतीयों का पवित्र धर्म स्थल है। भारत और पाकिस्तान के बीच हुए करार के मुताबिक रोजाना करीब पाँच हजार श्रद्धालु गलियारे से होकर इस गुरुद्वारे तक मत्था टेकने जायेंगे।


💠नागरिकता संशोधन अधिनियम
11/12/2019

 
नाकरिकता संशोधन विधेयक 11 दिसम्बर, 2019 को संसद में पारित कर दिया गया। इसमें नागरिकता अधिनियम 1955 के तहत नागरिकता प्रदान करने से सम्बन्धित नियमों में बदलाव किया गया है। इस संशोधन से बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आये हिन्दुओं के साथ सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाइयों के लिये भारतीय नागरिकता हासिल करने का मार्ग प्रशस्त हो गया है। नागरिकता अधिनियम के अनुसार जन्म, वंशानुगत क्रम, पंजीकरण के साथ यदि कोई व्यक्ति जिस देश मे रहता है, वह देश भारत में मिल जाता है, तो उसे भारत की नागरिकता प्रदान की जा सकती है। राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद अब यह कानून बन चुका है। अनभिज्ञता के वशीभूत चन्द नागरिक इसके विरोध में प्रदर्शन भी कर चुके हैं किंतु तथ्यों को जानने के पश्चात अधिकांश जनता इस विधयेक के समर्थन में है।

Disclaimer: All the Images belong to their respective owners which are used here to just illustrate the core concept in a better & informative way.

Sunday, December 29, 2019

एसबीआई का ओटीपी आधारित एटीएम ट्रांजैक्शन


देश के सबसे बड़े ऋणदाता स्टेट बैंक(एसबीआई) ने अनाधिकृत लेनदेन से ग्राहकों को बचाने के लिये एटीएम से धन निकासी के तरीके में बदलाव किया है। इसके अंतर्गत 1 जनवरी, 2020 से रात 8 बजे से सुबह 8 बजे के मध्य एटीएम से धन निकासी हेतु ओटीपी आधारित निकासी व्यवस्था प्रारम्भ की है जिससे एसबीआई ग्राहकों को अभिवर्धित सुरक्षा मिल सकेगी।
एसबीआई ने ट्वीट में कहा कि ग्राहकों के लिए एटीएम से नकद निकासी हेतु ओटीपी सुविधा लेकर आ रहा है। यह नवीन सुविधा अखिल राष्ट्र में एसबीआई के समस्त एटीएम में लागू होगी। एसबीआई ने अवगत कराया कि ग्राहकों को एटीएम के माध्यम से ₹10000/- से अधिक राशि आहरण पर ओटीपी प्रयुक्त करना होगा। बैंक में ग्राहक की ओर से प्रदत्त पंजीकृत मोबाइल नम्बर पर ओटीपी प्रेषित होगा, जिसके माध्यम से राशि आहरित होगी।।

👉01 जनवरी से नये नियम, रात्रि 08 बजे से प्रातः 08 बजे तक रहेगी व्यवस्था!!

👉दूसरे बैंक के एटीएम पर नहीं मिलेगा ओटीपी⤵️

यदि ग्राहक दूसरे बैंक के एटीएम से पैसे निकालते हैं तो उन्हें ओटीपी की सुविधा नहीं मिलेगी। प्रक्रिया के तहत जब ग्राहक पैसे की निकासी कर रहे होंगे, तब उन्हें एटीएम की स्क्रीन पर रकम के साथ-साथ ओटीपी स्क्रीन भी दिखाई देगी। ग्राहकों को ओटीपी उसके पंजीकृत मोबाइल नम्बर पर भेज जाएगा। बैंक का मानना कि नई व्यवस्था लागू होने के बाद इससे धोखाधड़ी की संभावनाएं काफी कम हो जायेंगी!!

👏स्टेट बैंक समूह द्वारा ग्राहक हित में नित नए नवाचार तथा सुरक्षा ही सर्वोपरि नीति वाकई सराहनीय एवम् स्वागतयोग्य हैं जो आज के डिजिटल युग में साइबर सुरक्षा क्षेत्र में निश्चय ही मील के पत्थर सिद्ध होंगे👍

Disclaimer: All the Images belong to their respective owners which are used here to just illustrate the core concept in a better & informative way.

Saturday, December 28, 2019

नाम्बी को ₹ 1.3 करोड़ की क्षतिपूर्ति

इसरो के पूर्व वैज्ञानिक नाम्बी को 1.3 करोड़ का मुआवजा

एक दशक उपरांत जासूसी के आरोप से बेदाग निकले इसरो के पूर्व वैज्ञानिक नाम्बी नारायणन (77) को केरल सरकार 1.3 करोड़ रुपये मुआवज़ा देने पर सहमत हो गयी है। यह धनराशि 50 लाख रुपये के अतिरिक्त होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने नाम्बी को 50 लाख रुपये देने का आदेश दिया था।
नाम्बी को इसी वर्ष पद्म पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।
वर्ष 1994 में नाम्बी नारायणन इसरो में पीएसएलवी रॉकेट, भूस्थिर उपग्रह प्रक्षेपण यान के विकास और अंतरिक्ष अभियानों के लिए क्रायोजेनिक इंजन बनाने के शुरुआती चरण से जुड़े थे। वह क्रायोजेनिक इंजन परियोजना के निदेशक के तौर पर तैनात थे।
इसी दौरान उन पर मालदीव की दो महिलाओं सहित चार लोगों को कथित तौर पर रक्षा से जुड़े महत्वपूर्ण गोपनीय दस्तावेज लीक करने के आरोप में उपनिदेशक डी. शशिकुमारन और रूस की अंतरिक्ष एजेंसी के भारतीय प्रतिनिधि के. चन्द्रशेखर के साथ गिरफ्तार किया गया था।

यद्यपि किसी भी प्रकार का आर्थिक या भौतिक पारितोषिक प्रख्यात व्यक्तित्व की अमूल्य प्रतिष्ठा की प्रतिपूर्ति तो नहीं कर सकता तथापि शासन एवम् संवैधानिक संस्थाओं की यह पहल उनके निर्मल व्यक्तित्व की पुष्टि के साथ ही दोषपूर्ण व्यवस्था की आत्मनिरीक्षण हेतु स्वीकारोक्ति है।
निर्देशक आर. माधवन भी शीघ्र ही इनकी विस्तृत संघर्ष गाथा "रॉकेट्री- द नाम्बी इफेक्ट" के माध्यम से प्रदर्शित करने जा रहे हैं जिससे अपेक्षायें हैं कि यह फ़िल्म उनके असाधरण जीवनचक्र पर समुचित प्रकाश आपतित करने में सफल होगी।।

बहादुर योद्धा मिग-27 की अंतिम उड़ान

  
✈️आकाश के बहादुर योद्धा मिग-27 ने अंतिम बार भरी उड़ान

✈️वायसेना ने दी लड़ाकू विमान को विदाई, जोधपुर से सफर शुरू और वहीं खत्म

✈️कारगिल युद्ध के अलावा स्कोर्पियन-29 ने ऑपरेशन पराक्रम में भी सक्रिय भागीदारी की।

✈️मिग 27: कारगिल के 'बहादुर' का सफर खत्म, खौफ इतना कि पाक कहता था 'चुड़ैल'

✈️'हेमामालिनी' कहते थे जोधपुर वाले:-
🔸🔹🔸🔹🔸🔹🔸🔹🔸🔹🔸🔹

1981 में रूस ने भारतीय पायलटों को ट्रेनिंग देने के लिए दो मिग-27 सप्लाई किये। इन्हें जोधपुर एयरफोर्स स्टेशन पर लाकर लाल रंग में रंगा गया। जब लाल रंग के ये विमान उड़ते थे तो लोग कहते थे कि 'हेमा मालिनी' उड़ रही है। कई पायलट बताते हैं कि मिग-27 की ट्रेनिंग के लिए उन्हें जोधपुर जाना पड़ता था, इस कारण पत्नियों ने इस विमान को अपनी 'सौतन' कहना शुरू कर दिया था।

✈️वायुसेना में स्विंग विंगर का सफर:-
🔸🔹🔸🔹🔸🔹🔸🔹🔸🔹🔸🔹

✈️1980 में भारत ने रूस से मिग-27 खरीदने का समझौता किया

✈️86 विमानों को इस दौरान बदलावों के साथ उन्नत

✈️34 वर्ष तक निरन्तर कार्यरत रहा है भारतीय वायुसेना में यह विमान

✈️अवतरण उपरांत वॉटर कैनन सलामी से स्वागत किया गया।।

कारगिल युद्ध में हिमालय की ऊँची चोटियों पर बैठी पाकिस्तानी सेना को भागने पर मजबूर कर देने वाला 'बहादुर' मिग-27 लड़ाकू विमान शुक्रवार, 27 दिसम्बर 2019 को भारतीय वायुसेना के स्वर्णिम इतिहास का हिस्सा बन गया। मिग-27 विमान की अंतिम स्क्वाड्रन 'स्कोर्पियन-29' को वायूसेना ने सलामी देते हुए स्थानीय एयरबेस पर विदाई दी।
मिग-27 ने अपनी प्रथम उड़ान भी जोधपुर एयरबेस से भरी थी और यहीं उसका अंतिम सफर भी समाप्त हुआ। भारतीय वायुसेना ने अपने 'स्विंग विंगर' को विदाई देने के लिए ट्विटर पर भी एक भावुक कविता पोस्ट की। स्कोर्पियन-29 
स्क्वाड्रन ने सातों मिग-27 विमानों ने दक्षिण पश्चिमी एयर कमाण्ड के एयर ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ एयर मार्शल एस के घोटिया की अध्यक्षता वाले समारोह में अपनी अंतिम उड़ान भरकर आकाश की बुलंदियों को छुआ। रूस निर्मित मिग-27 करीब चार दशक तक 'ऐस अटैकर' के तौर पर भारतीय वायुसेना के आसमान से ज़मीनी हमले को अंजाम देने वाले बेड़े की रीढ़ बना रहा।।

👮"हमारे लिए यह खुशी का पल नहीं है, मिग-27 उड़ान से बाहर हो रहा है। यह विमान 1985 से हमेशा अग्रणी पंक्ति में रहा और कारगिल युद्ध में अपनी कीमत भी साबित की।"👮
-एयर मार्शल एस के घोटिया
एयर ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ, 
दक्षिण पश्चिमी एयर कमाण्ड

Bid adieu to MIG-27

IAF flies MiG-27 fighter jets for last time.

Decommissions Warhorses After They Served Indian Air Force For Nearly Forty Years.


It was an emotional moment for the airmen of the Indian Air Force as the iconic MIG-27, which played an important role during the 1999 Kargil war, roared through the skies for last time on Friday(27th Dec.2019) after serving the force for over three decades.
The swing-wing fighter had been the backbone of ground-attack fleet of the Indian Air Force and was decommissioned at a grand ceremony held at the Jodhpur Air Base. The base had the last fleet of seven MIG-27 attached to Squadron No 29, also known as the 'Scorpions', which had its last sortie on Friday. The IAF also tweeted poetic lines as it bid adieu to its squadron.
"#AdieuMiG27 Her targets met. Her promises kept. And all her duties done, On she goes. All haloed and pretty. Into the setting sun. Indian Air Force salutes the mighty MiG 27 for its yeoman service to the Nation."
Air Marshal S K Ghotia, the air officer commanding-in-chief, South Western Air Command, presided over the wind-down ceremony at the base. "It is not a happy moment that one of our potent aircraft MiG-27 was being phased out today," he said, adding that this jet had been at the front line of the IAF fleet since 1985 and proved it's worth in Kargil conflict. IAF spokesperson Anupam Banshee, who has phenomenal hours of flying experience of this legendary aircraft, described the moment as very emotional.
The last fleet of the MiG-27 was escort-landed by Sukhoi Su-30, followed by the traditional water cannon salute, officials said. To mark this historic occasion, a team of Surya Kiran aircraft put on an air show with an acrobatic display in various formations.
"The upgraded variant of this last swing-wing fleet has been the pride of IAF strike fleet since 2006. All other variants, such as MiG-23 BN and MiG-23 MF and the pure MiG-27 have already retired from IAF," the defence ministry said on Thursday.
"The fleet earned it's glory in the historic Kargil conflict when it delivered rockets and bombs with accuracy on enemy positions. The fleet also took active part in Operation Paralegal," the ministry said.
The upgraded version of MiG-27, because of its survivability, has participated in numerous national and international exercises.
The Squadron was raised on Mar 10 1958, at the Air Force Station Halwara with Ouragan(Toofani) aircraft.
PTI
Courtesy:TOI
  

Thursday, February 7, 2019

कहानी भारत की 'उड़नपरी' की

पी.टी. ऊषा धाविका के रूप में भारत के लिए केरल का और विश्व के लिए भारत का अमूल्य उपहार हैं। उनका जन्म 27 जून 1964 को केरल के कोझिकोड जिले के पय्योली गांव में हुआ था। बचपन से ही खेलकूद के प्रति पूर्णतया समर्पित ऊषा के जीवन का एकमात्र लक्ष्य विजय प्राप्ति रहा। उनको सर्वाधिक सहयोग अपने प्रशिक्षक श्री ओ. एम. नाम्बियार का मिला, जिनसे उन्होंने 12 वर्ष की आयु से ही प्रशिक्षण लेने शुरू कर दिया था। वह दक्षिण रेलवे में अधिकारी के पद पर कार्यरत हैं। व्यस्तता के बावजूद पी. टी. ऊषा ने मात्र दृढ़ इच्छाशक्ति और परिश्रम के बल पर खेल जगत में अपना अप्रतिम स्थान बनाया है। वह एशिया की सर्वश्रेष्ठ महिला एथलीट मानी जाती हैं। उनको 'उड़नपरी' भी कहा जाता है। 1980 के मास्को ओलंपिक में उनकी शुरुआत कुछ खास नहीं रही। 1982 के बाद से अब तक का समय पी.टी. ऊषा के चमत्कारी प्रदर्शनों से भरा पड़ा है। 1982 के नई दिल्ली एशियाड में उन्हें 100 मीटर एवम् 200 मीटर में रजत पदक मिला, लेकिन एक वर्ष बाद कुवैत में एशियाई ट्रेक और फील्ड प्रतियोगिता में एक नए कीर्तिमान के साथ उन्होंने 400 मीटर में स्वर्ण पदक जीता। उन्होंने 1983-89 के बीच एटीएफ खेलों में 13 स्वर्ण जीते। 1984 के लॉस एंजेलिस ओलंपिक की 400 मीटर बाधा दौड़ का सेमीफाइनल जीतकर वह किसी भी ओलंपिक प्रतियोगिता के फाइनल में पहुंचने वाली पहली महिला और पाँचवीं भारतीय बनीं। 1985 में जकार्ता में हुई एशियाई दौड़कूद प्रतियोगिता में उन्होंने पाँच स्वर्ण पदक जीते। 1986 में सियोल में हुए दसवें एशियाई खेलों में पी. टी. ऊषा ने चार स्वर्ण पदक और एक रजत पदक जीता। उन्होंने करीब 101 अंतर्राष्ट्रीय पदक जीते हैं। 1985 में उन्हें पद्मश्री और अर्जुन पुरस्कार दिया गया था।

स्रोत:"अमर उजाला"