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Sunday, January 19, 2020

चिरौंजी/चारोली

चिरौंजी को चारोली नाम से भी जाना जाता है। यह पयाल नामक वृक्ष की उपज है। भारत में यह उड़ीसा, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश व छोटा नागपुर के पठारी क्षेत्रों में विशेष रूप से उत्पन्न होती है। मिष्ठानों में इसका प्रयोग अधिक होता है। सौन्दर्य प्रसाधनों में भी इसका इस्तेमाल होता है। चिरौंजी में कई ऐसे पोषक तत्व होते हैं, जो स्वास्थ्य के लिये अत्यंत लाभदायक हैं। इसमें प्रचुर मात्रा में प्रोटीन पाया जाता है। यह विटामिन सी तथा बी का भी बढ़िया स्रोत है। यह वात, पित्त व ज्वर में भी शमनकारी सिद्ध होता है।




👉दैहिक दुर्बलता में चिरौंजी का सेवन अत्यन्त लाभकारी है। सर्दी-ज़ुकाम में भी इसका सेवन लाभदायक है। इसे दुग्ध के साथ पकाकर सेवन करने से ज़ुकाम में आराम मिलता हैं। वहीं दूसरी ओर यह देह को शीतलता भी प्रदान करती है।

👉चिरौंजी सौंदर्य-वर्द्धक औषध के रूप में भी इस्तेमाल होती है। इसके प्रयोग से चेहरे पर चमक आती है और कील-मुँहासे खत्म हो जाते हैं। इसे पीसकर लगाने से चेहरे के दाग-धब्बों से भी छुटकारा मिल जाता है।

👉चिरौंजी में प्रोटीन की उच्च मात्रा होने के साथ ही कम कैलोरी भी होती है। इसमें प्रचुर मात्रा में फाइबर भी होता है। इसे खाने से भूख नहीं लगती। इस गुण के कारण यह वजन घटाने में भी सहायक है।।




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जीसैट-30

🚀🛰️भारत के सबसे शक्तिशाली संचार उपग्रह जीसैट-30 का शुक्रवार, 17 जनवरी 2020 को तड़के फ्रेंच गुयाना से सफलतापूर्वक प्रक्षेपण हुआ। इसे तड़के 02 बजकर 35 मिनट पर कौरू प्रक्षेपण केन्द्र से एरियन रॉकेट से छोड़ा गया।


🚀🛰️2020 में इसरो का प्रथम सफल मिशन।


🚀🛰️3357 किलोग्राम भारी है जीसैट-30...


🚀🛰️ये है मिशन: डीटीएच, एटीएम, स्टॉक एक्सचेंज, टेलीविजन अपलिंकिंग तथा ई-गवर्नेंस हेतु वीसैट की कनेक्टिविटी उपलब्ध कराना।




🚀🛰️देश का सबसे शक्तिशाली उपग्रह.....


🚀🛰️सुदृढ़ होगी संचार व्यवस्था, बढ़ेगी इंटरनेट रफ्तार


जीसैट-30 की सफल लॉन्चिंग के साथ इसरो के खाते में एक और उपलब्धि जुड़ गई। देश का सबसे ताकतवर यह उपग्रह अंतरिक्ष में इनसेट-4ए का स्थान लेगा। सफल प्रक्षेपण से देश की संचार व्यवस्था मजबूत होगी तथा मोबाइल नेटवर्क का विस्तार होगा। इसरो के अनुसार कर्नाटक के हासन स्थित उसके मास्टर कंट्रोल फैसिलिटी ने प्रक्षेपण के बाद नियंत्रण अपने हाथों में ले लिया है। प्राथमिक जाँच में उपग्रह के सभी हिस्से भलीभाँति कार्य कर रहे हैं।

🚀🛰️डीटीएच सेवाओं, ई-गवर्नेंस सुविधा में सुधार


इसरो के चेयरमैन डॉ. के सिवान के अनुसार जीसैट-30 में ऐसी व्यवस्था है कि यह लचीला आवृत्ति खण्ड व कवरेज उपलब्ध करा सकेगा। यह केयू बैंड के जरिये भारत एवम् सी बैंड के जरिये खाड़ी देश, ऑस्ट्रेलिया और कई एशियाई देशों में संचार सेवायें प्रदान करेगा। सिवान अग्रिम कथनानुसार  जीसैट-30 डीटीएच, एटीएम, स्टॉक एक्सचेंज, टेलीविजन अपलिंकिंग व ई-गवर्नेंस हेतु वीसैट की कनेक्टिविटी उपलब्ध करायेगा।

🚀🛰️अंतरिक्ष में इनसेट-4ए का स्थान लेगा.....


👉आगामी दिनों में उपग्रह को भूमध्य रेखा से 36 हजार किलोमीटर की ऊँचाई पर स्थित भू-स्थैतिक कक्षा में स्थानांतरित किया जायेगा।
👉कक्षा उठाने के अंतिम चरण में दो सौर सारणियों व एन्टीना रिफ्लेक्टर को इसमें तैनात किया जायेगा। फिर परीक्षणों के पश्चात यह कार्य करना शुरू करेगा।
👉विशेष बात यह है कि इसमें 12सी और 12 केयू बैंड के ट्रांसपोंडर लगे हैं। इसरो के अनुसार यह उपग्रह अंतरिक्ष में इनसेट-4ए का स्थान लेगा।

🚀🛰️भारत के 24 उपग्रह लॉन्च कर चुका है एरियन स्पेस-


जीसैट-30 एरियन स्पेस द्वारा लॉन्च किया गया इसरो का 24 वां उपग्रह है। इसकी शुरुआत 1981 में हुई थी जब एरियन एल03 के जरिये एप्पल प्रायोगिक उपग्रह छोड़ा गया था। शुक्रवार को जीसैट-30 के साथ ही यूटेलसैट कनेक्ट को भी प्रक्षेपित किया गया।।

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Friday, January 17, 2020

बादाम तेल के लाभ

बादाम खाने भी लाभ हैं तो बादाम तेल के प्रयोग के भी अनेक लाभ है।





❇️बादाम तेल का प्रयोग हम सेहत के लिये भी कर सकते हैं और खूबसूरती के लिये भी। बादाम की तरह इसका तेल भी पोषक तत्वों और खनिजों से युक्त होता है। बादाम तेल का सेवन एक ओर जहाँ हृदय की सेहत के लिये उत्तम है, वहीं मस्तिष्क स्वास्थ्य की दृष्टि से भी लाभकारी माना गया है। बादाम देह की रोग प्रतिरोधी प्रणाली यानी इम्यून सिस्टम को बूस्ट करता है।

❇️केशों को बनाये मजबूत-

बादाम के तेल में वे पोषक तत्व पाये जाते हैं, जो हमारे बालों के लिये लाभकारी हैं। बादाम तेल के नियमित प्रयोग से बाल मजबूत व कांतिमय बन सकते हैं। लम्बे केशों की चाह रखने वालों को इसके प्रयोग से अपेक्षित मजबूती मिलेगी। यह स्कैल्प से सम्बंधित समस्याओं में भी लाभकारी हो सकता है।
बाल झड़ने की समस्या का सामना कर रहे व्यक्ति के लिये भी बादाम तेल सहायक है। नरिशिंग एजेन्ट के रूप में भी यह बालों का पोषण करता है।

❇️त्वचा को बनाता है आकर्षक-

त्वचा को सुंदर और आकर्षक बनाने के लिये बादाम के तेल उपयुक्त माना जाता है। बादाम तेल के उपयोग से त्वचा मखमली व कोमल बन सकती है। यह चेहरे के दाग और झुर्रियों को भी दूर करने में सहायक होता है। यह त्वचा का रूखापन, सूजन और जलन जैसी समस्याओं को कम करने में भी सहायक है। यदि फ़टे होंठों की समस्या में लिप बाम के स्थान पर बादाम तेल प्रयुक्त किया जाये तो होंठों में कोमलता के साथ-साथ नैसर्गिक चमक भी आ जाती है। बादाम का तेल नेत्रों के नीचे पड़े काले घेरों को भी कम करने में प्रभावी है।

❇️और भी अनेकों लाभ-

👉अक्सर शिशुओं की देह पर रैशेज़ हो जाते हैं। बादाम तेल की हल्की मालिश से इन बॉडी रैशेज़ को ठीक करने में मदद मिल सकती है।
👉बच्चों को बादाम तेल हल्के गर्म या गुनगुने दुग्ध में डालकर पिलाने से शारीरिक बल के साथ-साथ मस्तिष्क भी स्वस्थ रहता है।
👉बादाम तेल में विटामिन-डी भी पाया जाता है अतः अस्थि पीड़ा से जूझ रहे व्यक्ति बादाम तेल से नियमित मालिश कर सकते हैं।
👉बादाम तेल का प्रयोग बतौर स्क्रब भी किया जा सकता है जिसके लिये एक चम्मच चीनी में बादाम तेल मिलाकर उपयोग किया जा सकता है।
👉यदि माँसपेशियों में दर्द की शिकायत हो, तो बादाम तेल की मालिश से दर्द में आंशिक राहत मिलेगी।
👉शरद ऋतु में देह पर बादाम तेल की मालिश करने से आराम मिलता है क्योंकि यह शरीर को गर्म रखने में सहायक होता है।
👉प्रकाशित शोध के अनुसार बादाम तेल का सेवन कोलेस्ट्रॉल का स्तर सन्तुलित रखने में लाभकारी हो सकता है। यह पाचनशक्ति बढ़ाने में भी उपयोगी माना जाता है।।




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Monday, January 13, 2020

शेफाली वर्मा का दुर्गम सफर

फ़टे ग्लव्ज़-टूटे बैट से टीम इण्डिया का सफर करने वाली 15 वर्षीय शेफाली को सर्वश्रेष्ठ नवोदित सम्मान🏆




मात्र 15 वर्ष की आयु में अर्धशतक जड़ सचिन तेंदुलकर का रिकॉर्ड ध्वस्त करना और अब टी-20 विश्व कप में चयन के साथ बीसीसीआई का सर्वश्रेष्ठ अन्तर्राष्ट्रीय नवोदित खिलाड़ी का सम्मान अर्जित करना। रोहतक की शेफाली वर्मा की दो माह में यह उड़ान किसी स्वप्निल परीकथा से कम नहीं है, किन्तु इसके पृष्ठ में संघर्ष की एक कहानी है।
तीन वर्ष पूर्व का वृतान्त है, शेफाली के पिता की जेब में मात्र ₹ 280/- थे। ग्लव्ज़ जीर्ण-शीर्ण हो चुके थे और बैट क्षत-विक्षत हो चुका था। शेफाली के पास बैट पर तार चढ़वाकर तथा ग्लव्ज़ को छुपाकर खेलने के सिवाय कोई उपाय नहीं था, परन्तु पिता से शियाकत नहीं की। विश्वासघात के कारण धरातल पर आ चुके पिता ने उधार लेकर पुत्री को नये ग्लव्ज़ व बैट दिलाया।


भाई के स्थान पर खेल.....बनीं प्लेयर ऑफ द मैच

पिता संजीव ने अवगत कराया कि शेफाली साढ़े दस वर्ष की थीं। पुत्र साहिल को पानीपत में अंडर-12 टूर्नामेंट खेलने जाना था, पर वह बीमार पड़ गया। वह शेफाली को ले गये और उसे टूर्नामेंट में अवतरित करा दिया। वहाँ उसने लड़कों के मैच में प्लेयर ऑफ द मैच का अवॉर्ड प्राप्त किया। संजीव स्वयं भी क्रिकेटर रहे हैं, किन्तु उनका स्वप्न पुत्री ने पूर्ण किया।

प्रणाम ऐसी पुत्री के जुनून और संघर्ष को तथा ऐसे पिता के त्याग एवम् समर्पण को👏


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Sunday, January 12, 2020

शांति का सही अर्थ

एक राजा था। उसे चित्रकला से बहुत प्रेम था। एक बार उसने घोषणा करवाई कि जो चित्रकार उसे एक ऐसा चित्र बनाकर देगा जो शांति को दर्शाता हो, तो वह उसे मुँह माँगा पुरस्कार देगा। निर्णय वाले दिन एक से बढ़कर एक चित्रकार पुरस्कार जीतने की लालसा से अपने-अपने चित्र लेकर राजमहल पहुँचे।
राजा ने एक-एक करके सभी चित्रों को देखा और उनमें से दो चित्रों को अलग रखवा दिया। पहला चित्र एक अतिसुन्दर शांत झील का था। उस झील का पानी इतना स्वच्छ था कि उसके अंदर की सतह तक दिखाई दे रही थी। उसके आस-पास हिमखंडों की छवि उस पर ऐसे उभर रही थी, मानो कोई दर्पण रखा हो। जो भी उस चित्र को देखता, उसको यही लगता कि शांति को दर्शाने के लिए इससे अच्छा कोई चित्र हो ही नहीं सकता। दूसरे चित्र में पहाड़ थे, परन्तु वे बिल्कुल सूखे, बेजान और वीरान थे। इन पहाड़ों के ऊपर घने गरजते बादल थे। घनघोर वर्षा होने से नदी उफान पर थी। पहाड़ी के एक ओर स्थित झरने ने रौद्र रूप धारण कर रखा था। जिन लोगों ने इस चित्र को देख, उन्होंने यही सोचा कि भला इसका 'शांति' से क्या लेना-देना। सभी आश्वस्त थे कि पहला चित्र बनाने वाले को ही पुरस्कृत किया जायेगा। तभी राजा ने घोषणा कर दी कि दूसरा चित्र बनाने वाले चित्रकार वह मुँह माँगा पुरस्कार देंगे। हर कोई आश्चर्य में था।


पहले चित्रकार से रहा नहीं गया, वह बोला, "लेकिन महाराज इस चित्र में ऐसा क्या है, जो आपने इसे पुरस्कार देने का निर्णय लिया।"
"आओ मेरे साथ", राजा ने पहले चित्रकार को अपने साथ चलने के लिये कहा। दूसरे चित्र के समक्ष पहुँचकर राजा बोले, "झरने के बायीं ओर हवा से एक ओर झुके इस वृक्ष को देखो।उसकी डाली पर बने उस घोंसले को देखो। देखो, कैसे एक चिड़िया इतनी कोमलता से, इतने शांत भाव और प्रेमपूर्वक अपने बच्चों को भोजन करा रही है।" फिर राजा ने समझाया, "शांत होने का सही अर्थ यह नहीं कि आप ऐसी स्थिति में हों, जहाँ कोई शोर, समस्या न हो। शांत होने का सही अर्थ यह है कि आप किसी भी तरह की अव्यवस्था, अशान्ति, अराजकता के मध्य हों और तब भी शांतचित्त रहें, अपने कार्य के प्रति समर्पित रहें, अपने लक्ष्य की ओर केंद्रित व अग्रसर रहें।"

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Monday, January 6, 2020

🔥⚡जलवायु परिवर्तन की विभीषिका⚡🔥

ऑस्ट्रेलिया में उग्र रूप धारण कर चुकी भीषण अग्नि जलवायु परिवर्तन का निर्मम दृष्टान्त तो है ही, यह समस्त विश्व के लिये कठोर सबक भी है कि पर्यावरण की अनदेखी का निष्कर्ष भयावह भी हो सकता है!!




ऑस्ट्रेलिया के स्थानीय मार्गों पर चहुँ ओर ऐसे पोस्टर लगे हुये हैं, जिसमें प्रधानमंत्री सकॉट मॉरिसन को वन्य वेशभूषा में प्रदर्शित किया गया है:उनके शीश पर पुष्पों का मुकुट था, तो सागर के नील वर्ण जैसी उनकी कमीज़ कॉलर के समीप खुली हुई थी। पोस्टर के निकट से गुजरने वाले लोग चीख रहे थे, 'आप यहाँ नहीं थे??!! आपके देश में आग लगी हुई है।' संकेत काफी स्पष्ट था। वस्तुतः ऑस्ट्रेलिया के वनों में भीषण अग्नि पनपने के मध्य प्रधानमंत्री विगत माह जिस प्रकार अवकाश व्यतीत करने हवाई द्वीप गये हुये थे जिसे उन्होंने गुप्त रखा, जिस पर उनकी तीव्र आलोचना भी हुई है।
तथा ऐसा भी नहीं है कि प्रधानमंत्री के विरुद्ध आवाज़ किसी एक स्थान पर उठी है। उन पर लोगों का क्रोध मात्र इसलिये नहीं है कि अग्नि नियंत्रित करने के प्रकरण में वह अति प्रभावी एवम् सफल नहीं दिखे, अपितु उनके प्रति लोगों में निराशा इसलिये भी अधिक है, क्योंकि उन्होंने इस तर्क को ही अस्वीकृत कर दिया कि यह विभीषिका जलवायु परिवर्तन का ही परिणाम है। जबकि अधिकांश का मत है कि जलवायु परिवर्तन के कारण ही ऑस्ट्रेलियाई वनों में पनपी यह ज्वाला इतनी भीषण है।
दावानल के पर्वतों से सागर तट की ओर विस्तृत होने के कारण सप्ताहांत में जब हजारों नागरिक पूर्वी ऑस्ट्रेलिया के नगरों से पलायन को बाध्य थे, तब दो कारण उनकी त्रासदी को अधिक घनीभूत कर रहे थे- प्रथम पृथ्वी के निरन्तर गर्म होने की वास्तविकता से अब मुख नहीं फेरा जा सकता, तथा द्वितीय शासकों की अकर्मण्यता मौजूदा स्थिति को और भी भयावह बना सकती है। आश्चर्य तो इस बात पर है कि विगत वर्ष ऑस्ट्रेलिया का सर्वाधिक गर्म व शुष्क वर्ष रहा है, इसके बावजूद प्रधानमंत्री मॉरिसन वर्तमान स्थिति का जलवायु परिवर्तन से किसी भी सम्बन्ध का खण्डन करते हैं। जब पर्यावरणविदों उनके समक्ष कोयला खदानों को बन्द करने का प्रस्ताव रखा, तो उन्होंने इसका उपहास उड़ाया। पर्यावरण पर ध्यान केंद्रित करने के स्थान पर मॉरिसन ने आर्थिक हितों एवम् उद्योग-व्यापार से सम्बन्धित उस शक्तिशाली लॉबी को प्राथमिकता दी, जो उनके प्रति निष्ठावान है। उन्होंने हरितगृह वायुमिश्रण उत्सर्जित करने वाली कम्पनियों पर अधिक करारोपण या उत्सर्जन न्यून करने के प्रस्तावों का बी विरोध किया। जबकि बहुसंख्यक ऑस्ट्रेलियाई कहते आये हैं कि उत्सर्जन के विरुद्ध शासन को सख्त प्रवृत्ति प्रयुक्त करनी चाहिये।
चौबीस लोगों के असमय काल के गाल में समा जाने, सैंकड़ों घरों के जलकर राख हो जाने व 1.2 करोड़ एकड़ से भी अधिक क्षेत्रफल के, जो डेनमार्क के कुल क्षेत्रफल से अधिक है, दावानल की चपेट में आने के बावजूद मॉरिसन ने अपनी नीति में किसी प्रकार के परिवर्तन का संकेत नहीं दिया है।
क्लाइमेट एनालिटिक्स के निदेशक बिल हेयर कहते हैं, 'वर्तमान स्थिति में जो चीज सबसे अधिक अखरती है, वह है संघीय सत्ता की निष्क्रियता और चुनौती के समय सक्रिय न होना। लोग समझ ही नहीं पा रहे हैं कि वे क्या करें।'
सप्ताहांत में जब स्थिति और भी विकृत हो गयी, तब मॉरिसन ने अपनी सरकार के निर्णयों को सही ठहराते हुये सेना को इसमें झोंक देने का निर्णय लिया। सेना की सक्रियता से सम्बन्धित वीडियो भी उन्होंने सोशल मीडिया पर साझा किया, जिस कारण उनकी आलोचना ही हुई। उन्होंने इस बात से भी इंकार किया कि उनकी सरकार ने ऑस्ट्रेलिया के बदलते मौसम को जलवायु परिवर्तन का परिणाम नहीं माना है। उनका यह भी कहना था कि भीषण दावानल के मध्य लोगों जिस प्रकार उन्हें निशाने पर लिया है, इससे उन्हें कोई अन्तर नहीं पड़ता। यह समय मिल-जुलकर चुनौती से निपटने का है, आरोप प्रत्यारोप का नहीं।
वस्तुतः विगत नवम्बर दावानल जब अपने प्रारम्भिक चरण में थी, तभी लोग सरकार से कदम उठाने का अनुरोध कर रहे थे, क्योंकि अग्नि जिस तीव्रता से प्रसारित हुई, वह अभूतपूर्व थी।
और चूँकि शासन स्तर पर कोई तत्परता नहीं थी, इसलिये लोगों में सन्त्रास उपजा। दावानल के विशेषज्ञ जिम मैक्लेनन के अनुसार, इस बार देश की जिन क्षेत्रों में अग्नि पनपी, उनमें से अनेक क्षेत्र ऐसे हैं, जहाँ दावानल का इतिहास नहीं है। वैज्ञानिकों का कथन है कि इस बार की त्रासदी उपरान्त ग्रामीण क्षेत्रों से भारी संख्या में लोग नगरों को पलायन करेंगे।
वनाग्नि जब उपनगरीय इलाकों और समुद्रतटीय क्षेत्रों में प्रसारित होने लगी, तो मॉरिसन के लिये चुनौतियाँ बढ़ गईं। उन्होंने छायाचित्र साझा कर या लोगों से आग्रह कर, जो कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की शैली है, लोगों का क्रोध शान्त करने का प्रयास किया। यही नहीं, जलवायु परिवर्तन को गम्भीरतापूर्वक लेने की बात करने वालों को उन्होंने ऐसा दम्भी समूह करार दिया, जो देश के बहुसंख्यक लोगों के मध्य अपनी इच्छा थोपना चाहता है। नववर्ष में उन्होंने समस्त समाचार पत्रों को सन्देश दिया, जिसमें कहा गया कि ऑस्ट्रेलिया कभी भी बाह्य देशों के दबाव से विचलित नहीं होता।
जबकि सत्यता यह है कि अग्नि से निपटने के लिये सेना का अवतरण अथवा राष्ट्रीय आपातकाल घोषित करने के प्रस्तावों पर मॉरिसन ने कई माह तक न केवल चुप्पी साधे रखी। अपितु तब उनका यह कथन था कि दावानल से निपटना समन्धित राज्यों का उत्तरदायित्व है। किन्तु गत शनिवार को उन्होंने रुख बदला और सेना के अवतरण के साथ-साथ राहत कार्य के लिये विमानों की तैनाती का भी निर्णय लिया।
नववर्ष के एक समाचार पत्र में प्रभावित लोगों द्वारा अपने खाक़ हो चुके घरों को निहारने की तस्वीर मुद्रित हुई तो उसी पत्र में मॉरिसन की सिडनी में ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट टीम की मेजबानी करती हुई एक तस्वीर भी छपी। अपने रवैये के लिये मॉरिसन को सोशल मीडिया पर परिहास व विरोध का पात्र भी बनना पड़ा। ऑस्ट्रेलिया स्थित लोवी इंस्टीट्यूट के डेनियल फि्लटन कहते हैं, 'मॉरिसन का रवैया उन्हें 2005 में अमेरिका में आये कटरीना तूफान के दौरान तत्कालीन राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश के रुख का स्मरण कराता है। मॉरिसन लोगों के कष्टों और क्षोभ को भाँपने में असमर्थ रहे। वह जब तक प्रधानमंत्री कार्यालय में रहेंगे, यह विफलता उनका पीछा करती रहेगी।'

✨ग्रेटा थनबर्ग का वक्तव्य✨

✨✨✨✨✨✨✨✨




ग्रेटा का कहना है, "ऑस्ट्रेलिया दावानल से जूझ रहा है। 
इस सबके परिणामस्वरूप अब तक कोई राजनैतिक कार्यवाही नहीं हुई है। क्योंकि हम अभी तक ऑस्ट्रेलियाई दावानल जैसी प्राकृतिक आपदाओं तथा वर्धित चरम मौसम सम्बन्धी घटनाओं एवम् जलवायु संकट के मध्य सम्बन्ध स्थापित करने में विफल रहे हैं। जिसे बदलने की आवश्यकता है और इसे अभी से ही बदलना होगा। मेरे विचार ऑस्ट्रेलियाई जनता तथा उन सभी के साथ हैं जो इन विध्वंसक ज्वालाओं से त्रस्त हैं।"


📰🗞️स्रोत-विविध दैनिक आंग्ल व हिंदी पत्र🗞️📰



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Sunday, January 5, 2020

कोकम/गारनिया इंडिका

कोकम





कोकम एक औषधीय उपज है, जो मसाले और औषध के रूप में प्रयोग की जाती है। इसका वैज्ञानिक नाम 'गारनिया इण्डिका' है। यह मंगोस्टीन परिवार का सदस्य है। कोकम गोवा एवम् गुजरात में प्रमुखता से पाया जाता है। इसके फल गहरे बैंगनी और रसीले बेर की भाँति होते हैं। यह विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं को दूर करने में सहायक है। इसमें अनेकों पोषक तत्व होते हैं तथा नाम मात्र की कैलोरी पायी जाती है। इसमें कॉलेस्ट्रॉल और सैचुरेटेड फैट कदापि नहीं होते हैं।

⏩कोकम के सेवन से कई प्रकार के लाभ होते हैं। यह वजन कम करने, दस्त का उपचार करने, यकृत को स्वस्थ रखने के साथ-साथ तनाव कम करने में अत्यंत लाभकारी है। इसके द्वारा उदर के अल्सर का भी उपचार किया जाता है।

⏩इसमें विटामिन-सी की मात्रा अत्यधिक होती है, अतएव एन्टी ऑक्सीडेंट का भी कार्य करता है। कोकम में समाहित मैग्नेशियम, पोटैशियम और मैगनीज़ जैसे तत्व हृदय स्वास्थ्य हेतु अत्यंत लाभकारी हैं। इसके प्रयोग से ब्लड प्रेशर भी सामान्य रहता है।

⏩कोकम का सेवन मष्तिष्क में सकारात्मक प्रभाव उतपन्न करता है। यह फ्री रैडिकल्स को निष्क्रिय कर ऊर्जावान एवम् युवा बनाये रखने में सहायक है। मधुमेह उपचार हेतु भी इसका उपयोग लाभकारी माना जाता है।।

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