🌠रावण के दुनिया को अपने हिसाब से ढालने के वे स्वप्न जो धराशायी हो गये🌠
कुछ ऐसे कार्य जो रावण से भी न हो सके-
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महापंडित और महाज्ञानी रावण अपने जीवनकाल में कुछ ऐसे काम करने के बारे में सोच बैठा था, जिन्हें वह कभी पूरा नहीं कर पाया। लेकिन अगर वह ये काम पूरे कर लेता तो सदा के लिए दुनिया की मूल प्रकृति ही बदल देता।
रावण को लोग बुराई का प्रतीक मानते हैं, क्योंकि उसने दुनिया की हर चीज को, चाहे वह सजीव हो या निर्जीव, अपने अनुसार ढालने की कोशिश की। रावण के बुरे कामों की सूची दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जाती थी। सृष्टि का संतुलन बनाने के लिए तब भगवान विष्णु को श्रीराम के रूप में अवतार लेकर धरती पर अवतरित होना पड़ा। रामायण में रावण एक योद्धा के रूप में है, जिसे परास्त करना या हराना कठिन है। सारस्वत ब्राह्मण पुलस्त्य ऋषि का पौत्र और विश्रवा का पुत्र रावण भगवान शिव का परमभक्त, उद्भट राजनीतिज्ञ, महाप्रतापी, अत्यंत बलशाली, शास्त्रों का प्रखर ज्ञाता, प्रकांड विद्वान, पंडित और महाज्ञानी था। लेकिन एक अजेय योद्धा, सर्व-समर्थ होते हुए भी उसके कुछ ऐसे काम भी थे, जो अधूरे ही रह गए। रावण का एक ही काम था कि विश्व वसुंधरा में राक्षसों का ही बोलबाला रहे। हर जगह वह अपना ही वर्चस्व चाहता था। इसके लिए उसने महाबली योद्धाओं की दुनिया में धूम मचा दी, लेकिन पृथ्वी को जीत लेने की उसकी इच्छा अधूरी ही रह गई। रावण खुद को बड़ा शक्तिशाली योद्धा समझता था। वह चाहता था कि लोग बस उसी की पूजा करें। कहते हैं कि उसने स्वर्ग तक सीढ़ियाँ बनाने की एक कोशिश भी की, ताकि वह वहॉं पहुंचकर भी राज कर सके। लेकिन लंका नरेश का यह सपना अधूरा ही रह गया। इसके अतिरिक्त एक कथन यह भी है कि रावण सोने को भी सुगंधित करना चाहता था, ताकि धरती के तमाम सोने को सहेजकर अपने पास रख सके और वह अनमोल स्वर्ण भंडारों का स्वामी बन सके। उसका यह सपना भी कभी पूरा नहीं हो सका।
रावण दूसरों से एकदम अलग ही तरह से सोचता और हर चीज को अपने अनुसार ढालने का प्रयास करता था। जैसे आसमान का रंग काला और समुद्र का जल मीठा हो। कहते हैं कि वह कुछ दिन और जीता तो वह मदिरा को गंधहीन बना देता। वह यह भी चाहता था कि सभी लोग गोरे हो जायें और रंगभेद हमेशा के लिए खत्म हो जाए। रंगभेद मिटाने का विचार सराहनीय था, लेकिन रावण इसे पूरा नहीं कर पाया। अगर ये सारे काम रावण पूरे कर पाता तो दुनिया की पहचान ही कुछ और होती। दुनिया हमेशा के लिए बदल जाती, उसकी इस सोच के बारे में वैज्ञानिक भी हैरान हैं। वैसे भी रावण को महापंडित कहा जाता है और उसके ऐसे विचारों से उसके महापंडित होने का पता चलता है।
दशानन के कुछ ऐतिहासिक कार्य-
🔅रावण ने अपने आराध्य शिव की स्तुति में शिव तांडव स्तोत्र की रचना की थी।
🔅'रावण संहिता' जहाँ रावण के संपूर्ण जीवन के बारे में बताती है, वहीं यह ज्योतिषीय ज्ञान का भण्डार है।
🔅चिकित्सा और तंत्र के क्षेत्र में भी रावण के कुछ ग्रंथ प्रचलित हैं- दस शतकात्मक अर्कप्रकाश, दस पटलात्मक उड्डीशतंत्र, कुमारतंत्र और नाड़ी परीक्षा।
🔅कहते हैं कि रावण ने ही अरुण संहिता, अंक प्रकाश इंद्रजाल, प्राकृत कामधेनु, प्राकृत लंकेश्वर, रावणीयम पुस्तकों की रचना की थी।
🔅रावण ने 'रावण हत्था' वाद्य यंत्र का आविष्कार किया था। यह प्रमुख रूप से राजस्थान और गुजरात में बजाया जाता है। इसे 'रावण हस्त वीणा' भी कहा जाता है।।
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