🚩माँ भगवती का षष्ठम स्वरूप- देवी कात्यायनी🚩
आज माँ भगवती के छठे स्वरूप देवी कात्यायनी की पूजा-अर्चना होगी। माता ने अपने इस पुत्री स्वरूप से पिता के कुल की रक्षा का संदेश दिया है। कात्यायन ऋषि ने तपकर देवी से वरदान माँगा कि आप पुत्री रूप में मेरे कुल में जन्म लें। देवी ने कात्यायन ऋषि की प्रसन्नता के लिए अपना अजन्मा स्वरूप त्याग कर पुत्री रूप में जन्म लिया। सामान्यतः पुत्री का गोत्र पति के गोत्र से चलता है, लेकिन यहां देवी सदा-सर्वदा के लिए पिता के गोत्र से जुड़ गईं। इसी कारण देवी का नाम कात्यायनी पड़ा। इस रात्रि जागरण और जप करने से साधक को सहज ही माता कात्यायनी की कृपा का लाभ मिलता है। नवरात्र की षष्ठी माता सरस्वती को समर्पित है।
🐚उपासना मन्त्र🐚
या देवी सर्वभूतेषु स्मृति रूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
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