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Friday, October 23, 2020

नवरात्र का सप्तम दिवस माँ कालरात्रि को समर्पित

 🚩माँ भगवती का सातवाँ स्वरूप- देवी कालरात्रि🚩


Image Credit: Pinterest


                      सप्तम कालरात्रि


आज माँ भगवती के सातवें स्वरूप कालरात्रि की पूजा अर्चना होगी। देवी का यह स्वरूप अनंत एवं व्यापक है। कालरात्रि अर्थात् काल को जीतने वाली। जन्म, पालन और काल। देवी के तीन स्वरूप। सृष्टि संयोजन और संचालन इन्हीं काली जी की कृपा का फल है। एक बार शिवजी ने देवी को काली कह दिया। इस कारण उनका नाम काली पड़ गया। माता काली की पूजा से सब कुछ सिद्ध होता है। इस रात्रि अखंड ज्योति जलाकर काले तिलों से पूजन करने एवं जप-तप करने से मां काली प्रसन्न होती हैं। रात्रि में यज्ञ करने से साधक के मनोरथ पूर्ण होते हैं। इनकी उपासना का सिद्ध मंत्र है।

उपासना मंत्र


ॐ ऐं हीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे।।

रावण के दुनिया को अपने अनुसार ढालने के वे स्वप्न जो अधूरे ही रह गये

 🌠रावण के दुनिया को अपने हिसाब से ढालने के वे स्वप्न जो धराशायी हो गये🌠


कुछ ऐसे कार्य जो रावण से भी न हो सके-


Image Credit: Pinterest


महापंडित और महाज्ञानी रावण अपने जीवनकाल में कुछ ऐसे काम करने के बारे में सोच बैठा था, जिन्हें वह कभी पूरा नहीं कर पाया। लेकिन अगर वह ये काम पूरे कर लेता तो सदा के लिए दुनिया की मूल प्रकृति ही बदल देता।


रावण को लोग बुराई का प्रतीक मानते हैं, क्योंकि उसने दुनिया की हर चीज को, चाहे वह सजीव हो या निर्जीव, अपने अनुसार ढालने की कोशिश की। रावण के बुरे कामों की सूची दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जाती थी। सृष्टि का संतुलन बनाने के लिए तब भगवान विष्णु को श्रीराम के रूप में अवतार लेकर धरती पर अवतरित होना पड़ा। रामायण में रावण एक योद्धा के रूप में है, जिसे परास्त करना या हराना कठिन है। सारस्वत ब्राह्मण पुलस्त्य ऋषि का पौत्र और विश्रवा का पुत्र रावण  भगवान शिव का परमभक्त, उद्भट राजनीतिज्ञ, महाप्रतापी, अत्यंत बलशाली, शास्त्रों का प्रखर ज्ञाता, प्रकांड विद्वान, पंडित और महाज्ञानी था। लेकिन एक अजेय योद्धा, सर्व-समर्थ होते हुए भी उसके कुछ ऐसे काम भी थे, जो अधूरे ही रह गए। रावण का एक ही काम था कि विश्व वसुंधरा में राक्षसों का ही बोलबाला रहे। हर जगह वह अपना ही वर्चस्व चाहता था। इसके लिए उसने महाबली योद्धाओं की दुनिया में धूम मचा दी, लेकिन पृथ्वी को जीत लेने की उसकी इच्छा अधूरी ही रह गई। रावण खुद को बड़ा शक्तिशाली योद्धा समझता था। वह चाहता था कि लोग बस उसी की पूजा करें। कहते हैं कि उसने स्वर्ग तक सीढ़ियाँ बनाने की एक कोशिश भी की, ताकि वह वहॉं पहुंचकर भी राज कर सके। लेकिन लंका नरेश का यह सपना अधूरा ही रह गया। इसके अतिरिक्त एक कथन यह भी है कि रावण सोने को भी सुगंधित करना चाहता था, ताकि धरती के तमाम सोने को सहेजकर अपने पास रख सके और वह अनमोल स्वर्ण भंडारों का स्वामी बन सके। उसका यह सपना भी कभी पूरा नहीं हो सका।


रावण दूसरों से एकदम अलग ही तरह से सोचता और हर चीज को अपने अनुसार ढालने का प्रयास करता था। जैसे आसमान का रंग काला और समुद्र का जल मीठा हो। कहते हैं कि वह कुछ दिन और जीता तो वह मदिरा को गंधहीन बना देता। वह यह भी चाहता था कि सभी लोग गोरे हो जायें और रंगभेद हमेशा के लिए खत्म हो जाए। रंगभेद मिटाने का विचार सराहनीय था, लेकिन रावण इसे पूरा नहीं कर पाया। अगर ये सारे काम रावण पूरे कर पाता तो दुनिया की पहचान ही कुछ और होती। दुनिया हमेशा के लिए बदल जाती, उसकी इस सोच के बारे में वैज्ञानिक भी हैरान हैं। वैसे भी रावण को महापंडित कहा जाता है और उसके ऐसे विचारों से उसके महापंडित होने का पता चलता है।


दशानन के कुछ ऐतिहासिक कार्य-


🔅रावण ने अपने आराध्य शिव की स्तुति में शिव तांडव स्तोत्र की रचना की थी।


🔅'रावण संहिता' जहाँ रावण के संपूर्ण जीवन के बारे में बताती है, वहीं यह ज्योतिषीय ज्ञान का भण्डार है।


🔅चिकित्सा और तंत्र के क्षेत्र में भी रावण के कुछ ग्रंथ प्रचलित हैं- दस शतकात्मक अर्कप्रकाश, दस पटलात्मक उड्डीशतंत्र, कुमारतंत्र और नाड़ी परीक्षा।


🔅कहते हैं कि रावण ने ही अरुण संहिता, अंक प्रकाश इंद्रजाल, प्राकृत कामधेनु, प्राकृत लंकेश्वर, रावणीयम पुस्तकों की रचना की थी।


🔅रावण ने 'रावण हत्था' वाद्य यंत्र का आविष्कार किया था। यह प्रमुख रूप से राजस्थान और गुजरात में बजाया जाता है। इसे 'रावण हस्त वीणा' भी कहा जाता है।।


#Dussehra_Special #Dashanan_Ravan

Thursday, October 22, 2020

पढ़ा हुआ याद रखने की बेजोड़ ट्रिक

 याद रखने की बेजोड़ ट्रिक- बोलकर पढ़ें👩‍🏫


Image Credit: Pixabay

'समझ और याददाश्त का आपस में गहरा रिश्ता है। अगर आप समझ विकसित कर लेंगे तो रुचि विकसित होगी और इसी तरह आपको विषय रुचिकर लगने लगेंगे और बोल-बोल कर याद करेंगे तो जल्द ही याद भी होने लगेगा...




कोविड की वजह से सभी स्कूलों की क्लासें घर से ही संचालित हो रही हैं। यह अकस्मात बदलाव कई बच्चों की समझ से परे साबित हो रहा है। ऐसे में अभिभावकों को बच्चों की समस्याओं पर ध्यान देना बहुत जरूरी हो चला है क्योंकि अधिकतर स्कूलों में पीडीएफ पर टॉपिक भेज दिये जाते हैं ताकि बच्चे घर पर उसे देखकर पढ़ सकें। ऐसे में इस नई पठन-पाठन प्रणाली के मुकाबले बच्चों को भी नई ट्रिक सीखनी होगी। स्वाभाविक है कि अभिभावकों के लिये भी बच्चों को घर में स्कूल जैसा माहौल देना एक नई चुनौती बन गया है।

बुज़ुर्ग कहा करते थे कि बोल-बोल कर पढ़ाई करो। इससे पाठ जल्दी और स्थायी रूप से याद होगा। कई लोग वाकई इस तकनीक का प्रयोग करते हैं मगर ऐसे लोगों की भी कमी नहीं है जो बोल-बोल कर याद करने को व्यर्थ की कसरत मानते हैं। ऐसे लोगों को अपना दृष्टिकोण बदलना चाहिए और उन लोगों के इतिहास का अध्ययन करना चाहिए , जो अपने-अपने कार्यक्षेत्र में सफल हुए। उन्हें मालूम पड़ जायेगा कि ऐसे लोग अपने अध्ययन काल में बोल-बोल कर ही पाठ को याद करते थे और इसी तकनीक से उन्हें पढ़ाई में लगातार अच्छी सफलता मिलती गई और अन्ततः वे जीवन के ऊँचे मुकाम पर पहुँच पाए। हाल ही में कनाडा की यूनिवर्सिटी ऑफ वाटरलू के शोधकर्ताओं ने 100 छात्रों की किसी बात को याद रखने की क्षमता पर शोध किया। निष्कर्ष यह निकला कि जब वो बोलकर पढ़ते हैं , तो उन्हें बात याद रह जाने की संभावना 77 फीसदी तक बढ़ जाती है। शोधकर्ताओं ने 100 छात्रों को लैब से बाहर बुलाया तथा 160 शब्दों एक पूल उनके सामने रखा। बच्चों से कहा गया कि वो पहले 40 शब्द शांति से अपने मन में पढ़ें। अगले 40 शब्द अपनी आवाज में रिकॉर्ड करें और फिर उन्हें सुनें। इसके बाद अगले 40 शब्द किसी और कि आवाज में रिकॉर्ड कराकर बच्चों को सुनाए गए और आखिरी 40 शब्द बच्चों द्वारा जोर-जोर से बोलकर पढ़े गये। बच्चों का परीक्षण पूरा होने के एक सप्ताह बाद उन्हें फिर से बुलाया तथा याद कराए शब्द बोलने को कहागया। इसमें शोधकर्ताओं ने देखा कि बच्चों ने जो शब्द बोल-बोल कर पढ़े थे उनमें से 77 शब्द उन्हें याद थे। बाकी तीनों प्रक्रिया के करीब-करीब 10 से 15 शब्द कम याद थे। इस तरह बोल कर पढ़ी गई बातों को याद रह जाने की प्रक्रिया को शोधकर्ताओं ने "द प्रोडक्शन इफेक्ट" नाम दिया। इस प्रोडक्शन इफेक्ट में तीन फैक्टर काम करते हैं। पहला बोलकर पढ़ने से हमारा दिमाग, कान और जुबान एक साथ और एक ही काम के लिए सक्रिय हो जाते हैं। इससे बातें याद रह जाने की संभावना बढ़ती है। दूसरा कारण है बोलकर पढ़ने से व्यक्ति उस कंटेंट को खुद से बेहतर तरीके से जोड़ पाता है। मन ही मन में पढ़ने से कंटेंट की रिलेटिविटी कम होती है। तीसरा और सबसे अहम कारण यह रहा कि बोलकर पढ़ने से उस कंटेंट को व्यक्ति द्वारा विजुलाइज करने से वो दिमाग में बस जाती है। तो ऐसे में घर में पढ़ रहे बच्चों को बोल-बोल कर पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करें। 


कुछ ट्रिक और भी हैं-

🔘 ज्यादातर लोग यह कहते हैं कि "मुझे याद नहीं होता। पढ़ते वक्त भी व अपने मन में कहते रहते है कि मुझे याद नहीं होगा" याद रखिये हमारा दिमाग यही काम करता है जो हम करने को कहते है। इसलिए कोरोना काल में बच्चों को अभी से कहना शुरू करें कि "कहिए मुझे सब याद रहता है।"


🔘 आप तथा बच्चे घर में ही है तो उनसे याद किये कंटेंट को 24 घण्टे में दोहराने का कहें। फिर 7 दिनों के अंदर दोहराए। इससे वे चीजें देर तक याद रख पायेंगे।


🔘 अल्बर्ट आइंस्टीन ने कहा था कल्पना ज्ञान से ज्यादा जरूरी है। मतलब पढ़ते वक्त कल्पना करने से चीजें जल्दी तथा लंबे समय तक याद रहती हैं।


#Memorising_Tricks

ऑनलाइन निष्ठा प्रशिक्षण: कोर्स/मॉड्यूल-3 की सम्पूर्ण प्रश्नोत्तरी

🏋️🚴 UP_ विद्यालय में स्वास्थ्य एवम् कल्याण🚴🏋️







कोर्स/मोड्यूल- 3 में निहित सम्पूर्ण प्रश्नोत्तरी❔❕


नोट: कृपया प्रश्नों के क्रम को लेकर भ्रमित न हों क्योंकि प्रत्येक प्रशिक्षु के प्रश्नों का क्रम भिन्न हो सकता है किन्तु प्रश्न समान ही होंगे।


गतिविधि-1: बच्चों में परिवर्तन


वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तरी (प्रशिक्षण के दौरान)


कथन: कुछ बदलाव केवल लड़कों में होते हैं, कुछ केवल लड़कियों में और कुछ दोनों में समान होते हैं। प्रदत्त कथनों के आधार पर उपयुक्त विकल्प का चयन करें।


1. स्वतंत्र रूप से सड़क पार कर सकना-

(अ) दोनों☑️

(ब) लड़कियाँ

(स) लड़के


2. तैलीय त्वचा-

(अ) लड़के

(ब) दोनों☑️

(स) लड़कियाँ


3. भारी होना-

(अ) लड़कियाँ

(ब) दोनों☑️

(स) लड़के


4. चेहरे के बाल दिखाई देना-

(अ) लड़कियाँ

(ब) लड़के☑️

(स) दोनों


5. लंबा होना-

(अ) लड़के

(ब) दोनों☑️

(स) लड़कियाँ


6. दोस्तों की संगत का अधिक आनंद लेना-

(अ) दोनों☑️

(ब) लड़के

(स) लड़कियाँ


7. अधिक पसीना आना-

(अ) लड़के

(ब) दोनों☑️

(स) लड़कियाँ


8. लंबी अवधि के लिए ध्यान केंद्रित कर सकना-

(अ) लड़के

(ब) दोनों☑️

(स) लड़कियाँ


9. स्तन विकसित होना-

(अ) लड़कियाँ☑️

(ब) लड़के

(स) दोनों


10. अधिक बहादुर और अधिक शर्मीला होना-

(अ) दोनों☑️

(ब) लड़कियाँ

(स)लड़के


11. कंधों की चौड़ाई बढ़ना-

(अ) दोनों☑️

(ब) लड़के

(स) लड़कियाँ


12. अधिक कठिन सवालों को हल कर सकना-

(अ) लड़कियाँ

(ब) लड़के

(स) दोनों☑️


13. शारीरिक छवि आवरण और रंग-रूप के बारे में अधिक सचेत होना-

(अ) दोनों☑️

(ब) लड़के

(स) लड़कियाँ


14. तेज़ी से दौड़ सकना-

(अ) लड़के

(ब) लड़कियाँ

(स) दोनों☑️



गतिविधि-6: हिंसा और उत्पीड़न को समझना


वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तरी (प्रशिक्षण के दौरान)


नीचे दिए गए कथनों में से उपयुक्त का चुनाव करें-


1. किताब फटने की वजह से सोनू की माँ ने उसकी पिटाई की-

(अ) हिंसा☑️

(ब) अहिंसा


2. एक बच्चे को नहीं पसंद जिस तरह उसके पड़ोसी उसे छूते हैं-

(अ) अहिंसा

(ब)हिंसा☑️


3. एक वयस्क व्यक्ति एक बच्चे को अश्लील तस्वीरें दिखाता है-

(अ) हिंसा☑️

(ब)अहिंसा


4. अली के दोस्त उसका मज़ाक उड़ाते हैं, क्योंकि वह लड़कियों पर टिप्पणी नहीं करता है-

(अ) अहिंसा

(ब) हिंसा☑️


5. एक पिता अपने बच्चे की पढ़ाई में मदद करते हैं-

(अ) अहिंसा☑️

(ब) हिंसा


6. कोमल की कक्षा की लड़कियाँ उसका मजाक उड़ाती है, क्योंकि उसके छोटे बाल हैं-

(अ) अहिंसा

(ब) हिंसा☑️


7. एक ट्यूटर जेम्स को अनुचित तरीके से छूता है-

(अ) हिंसा☑️

(ब) अहिंसा


8. रॉबर्ट और मीना एक साथ खो-खो खेलते हैं-

(अ) हिंसा

(ब) अहिंसा☑️


9. खेलने के दौरान एक बड़ा बच्चा छोटे बच्चे को धक्का देता है-

(अ) अहिंसा

(ब) हिंसा☑️


10. लड़कियों को देखते ही लड़के सीटी बजाना शुरू कर देते हैं-

(अ) अहिंसा

(ब) हिंसा☑️


11. एक माँ अपनी बेटी की तैयार होने में सहायता करती हैं-

(अ) हिंसा

(ब) अहिंसा☑️


12. जब राधा अपने गृहकार्य में गलती करती है, तो शिक्षक उसे 'बेवकूफ़' कहते हैं-

(अ) हिंसा☑️

(ब) अहिंसा


13. पड़ोसी रूपेश को चिढ़ाते हैं, क्योंकि वह घर के कामों में मदद करता है-

(अ) हिंसा☑️

(ब) अहिंसा




प्रशिक्षण के समापन पर प्रश्नोत्तरी❔❕


प्रश्न 1. मुख्यतः घरेलू हिंसा कहाँ होती है?

(अ) गरीब परिवार में

(ब) कुलीन परिवार में

(स) ऊपर के दोनों☑️

(द) इनमें से कोई भी नहीं।


प्रश्न 2. इस आसन को पहचानें-


(अ) भुजंगासन☑️

(ब) शलभासन

(स) धनुरासन

(द) मकरासन।


प्रश्न 3. सभी भावनाएँ _________

(अ) व्यक्त की जानी चाहिए☑️

(ब) दबा दी जानी चाहिए

(स) अच्छे भाव छुपाने एवं बुरे भाव व्यक्त करने चाहिए

(द) बुरे भाव छुपाने एवं अच्छे भाव व्यक्त करने चाहिए।


प्रश्न 4. किस आसन में बाहें ऊपर की और खींची होती है?

(अ) हस्तोत्तानासन☑️

(ब) शलभासन

(स) धनुरासन

(द) मकरासन।


प्रश्न 5. संतुलित आहार से क्या तात्पर्य है ?

(अ) उचित अनुपात में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा, विटामिन का समावेश☑️

(ब)वसा और कार्बोहाइड्रेट का समावेश

(स) विटामिन और खनिज

(द) वसा और कार्बोहाइड्रेट।


प्रश्न 6. स्कूल सुरक्षा और स्वच्छता में क्या नहीं आता है ?

(अ) पीने का पानी और भूकंप

(ब) अपर्याप्त स्वच्छता सुविधाएँ और सड़क सुरक्षा

(स) सांपों और किसी भी अन्य कीटों द्वारा परिसर पर आक्रमण, टूटी हुई या कोई बाउंड्री नहीं होना

(द) इनमें से कोई भी नहीं☑️


प्रश्न 7. शारीरिक स्वास्थ्य में क्या नहीं आता है ?

(अ) व्यायाम

(ब) योग

(स) टीवी पर व्यायाम देखना☑️

(द) घरेलू शारीरिक गतिविधियाँ।


प्रश्न 8. निम्नलिखित में से कौन -सा कथन सत्य है ?

(अ) हमारे शरीर में परिवर्तन प्राकृतिक, सामान्य और स्वस्थ होते हैं।☑️

(ब) बच्चों के बीच सभी परिवर्तन एक ही समय में होते हैं

(स) शारीरिक परिवर्तन हमेशा मानसिक-सामाजिक परिवर्तनों से पहले होते हैं

(द) बच्चे कभी तनाव महसूस नहीं करते।


प्रश्न 9. शारीरिक शिक्षा में किन का समेकन किया जा सकता है-

(अ) केवल विज्ञान और सामाजिक विज्ञान

(ब) केवल भाषा और विज्ञान

(स) अतिरिक्त पाठयक्रम गतिविधियांँ

(द) सभी।☑️


प्रश्न 10. इंटरनेट, गैजेट्स और मीडिया के सुरक्षित उपयोग में क्या- क्या शामिल है?

(अ) साइबर बदमाशी / बुलिंग

(ब)अजनबियों के साथ व्यक्तिगत विवरण साझा करना

(स) सोशल मीडिया पर व्यक्तिगत विवरण साझा नहीं करना☑️

(द) सोशल मीडिया पर व्यक्तिगत स्थिति को नियमित रूप से अपडेट करना।



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#कोर्स_3_UP_विद्यालय_में_स्वास्थ्य_एवम्_कल्याण

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नवरात्र का षष्ठम दिवस माँ कात्यायनी को समर्पित

 🚩माँ भगवती का षष्ठम स्वरूप- देवी कात्यायनी🚩




आज माँ भगवती के छठे स्वरूप देवी कात्यायनी की पूजा-अर्चना होगी। माता ने अपने इस पुत्री स्वरूप से पिता के कुल की रक्षा का संदेश दिया है। कात्यायन ऋषि ने तपकर देवी से वरदान माँगा कि आप पुत्री रूप में मेरे कुल में जन्म लें। देवी ने कात्यायन ऋषि की प्रसन्नता के लिए अपना अजन्मा स्वरूप त्याग कर पुत्री रूप में जन्म लिया। सामान्यतः पुत्री का गोत्र पति के गोत्र से चलता है, लेकिन यहां देवी सदा-सर्वदा के लिए पिता के गोत्र से जुड़ गईं। इसी कारण देवी का नाम कात्यायनी पड़ा। इस रात्रि जागरण और जप करने से साधक को सहज ही माता कात्यायनी की कृपा का लाभ मिलता है। नवरात्र की षष्ठी माता सरस्वती को समर्पित है।


🐚उपासना मन्त्र🐚


या देवी सर्वभूतेषु स्मृति रूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।


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Wednesday, October 21, 2020

नवरात्र का पंचम दिवस माँ स्कन्दमाता को समर्पित

 🚩माँ भवानी का पंचम स्वरूप- माँ स्कन्दमाता🚩




आज देवी के पाँचवें स्वरूप स्कन्दमाता की आराधना होगी। देवी का यह स्वरूप नारी शक्ति और मातृ शक्ति का सजीव चरित्र है। स्कंद कुमार की माता होने के कारण इनका नाम स्कंदमाता पड़ा। गणेश जी देवी के मानस पुत्र हैं और कार्तिकेय जी गर्भ से उत्पन्न। तारकासुर को वरदान था कि वह शंकर जी के शुक्र से उत्पन्न पुत्र द्वारा ही मृत्यु को प्राप्त हो सकता है। इसी कारण देवी पार्वती का शंकर जी से मंगल परिणय हुआ। इससे कार्तिकेय पैदा हुए और तारकासुर का वध हुआ। शंकर-पार्वती के मांगलिक मिलन को सनातन संस्कृति में विवाह परंपरा का प्रारंभ माना गया। कन्यादान, गर्भधारण इन सभी की उत्पत्ति शिव और पार्वती प्रसंंगोपरांंत हुई।

उपासना मंत्र🐚


या देवी सर्वभूतेषु मातृ रूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।


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👩‍🏫आजीवन हुई टेट की वैधता👩‍🏫

 TET सर्टिफिकेट की वैधता लाइफ टाइम किये जाने सम्बन्धी प्रस्ताव पास, NCTE जनरल बॉडी की 50वीं मीटिंग का कार्यवृत्त देखें👇


◆ CTET की वैधता पर NCTE का बड़ा फैसला, अब आजीवन मान्य होगा सीटेट का प्रमाण-पत्र।


◆ TET सर्टिफिकेट की वैधता लाइफ टाइम किये जाने सम्बन्धी प्रस्ताव पास।


◆ पूर्व में जारी टेट सर्टिफिकेट की वैधता पर विधिक परामर्श के बाद होगा निर्णय।


◆ तीन वर्षीय बीएड-एमएड कोर्स को टेट परीक्षा एवं स्कूल टीचर हेतु अर्ह मानने पर हुआ विचार।


◆ आँगनबाड़ी कार्यकत्री की योग्यता निर्धारण हेतु बनेगी गाइडलाइन्स।


केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) की ओर से आयोजित होने वाली केन्द्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा (सीटीईटी) की वैधता सात वर्ष से बढ़ाकर आजीवन कर दी गई है। राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) ने 29 सितम्बर को आयोजित 50वीं आम सभा की बैठक में यह महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। यूपी की शिक्षक भर्ती में सीटीईटी मान्य होने के कारण प्रदेश के बेरोजगार युवाओं को भी इस निर्णय का लाभ मिलेगा।







एनसीटीई की ओर से 13 अक्तूबर को जारी कार्यवृत्त में कहा गया है कि आगे से होने वाले सीटीईटी की वैधता आजीवन होगी। उत्तर प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा द्वारा जारी होने वाले प्रमाण-पत्र की वैधता (यूपी-टीईटी) पाँच वर्षों के लिए मान्य होती है। सीटीईटी प्रमाण-पत्र की वैधता आजीवन होने के कारण यूपी-टीईटी में भी इसकी माँग उठ सकती है।


वर्ष में दो बार जुलाई और दिसंबर होती है सीटेट परीक्षा-

सीबीएसई प्रतिवर्ष दो बार सीटीईटी आयोजित करता है। पहली परीक्षा जुलाई और दूसरी दिसंबर के माह में आयोजित की जाती है। सीटेट के पेपर-1 में भाग लेने वाले सफल उम्मीदवार कक्षा 1 से लेकर कक्षा 5 तक के लिए होने वाली शिक्षक भर्ती के लिए योग्य माने जाते हैं। जबकि पेपर-2 में प्रतिभाग करने वाले सफल अभ्यर्थी कक्षा 6 से 8वीं तक के लिए होने वाली शिक्षक भर्ती के लिए योग्य माने जाते हैं।


सीटेट (CTET) के पहले के नियमों के अनुसार सीटेट सर्टिफिकेट की वैधता सात वर्ष (परिणाम जारी होने की दिनाँक से) की रहती थी। लेकिन अब यह आजीवन मान्य रहेगा।


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#LIFETIME_TET_VALIDITY