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Tuesday, October 20, 2020

ऑनलाइन निष्ठा प्रशिक्षण: कोर्स/मॉड्यूल-2 प्रश्नोत्तरी

 UP_ स्वस्थ विद्यालयी परिवेश निर्मित करने के लिये व्यक्तिगत-सामाजिक योग्यता विकसित करना (उत्तर प्रदेश)




मॉड्यूल/कोर्स-2: प्रश्नोत्तरी/क्विज-




प्रश्नोत्तरी-1: प्रशिक्षण के दौरान-


प्रश्न 1-भरोसेमंद होना काफी हद तक इस पर आधारित है-


(अ) विद्यार्थियों को उनके निर्देशों के अनुसार बनाने की क्षमता है-

◆हाँ

◆नहीं✔️


(ब) स्वयं और दूसरों के विचारों और भावनाओं के प्रति सत्य और ईमानदार होने की क्षमता-

◆हाँ✔️

◆नहीं


(स) विद्यार्थियों के व्यवहार के बारे में मत और विचार-

◆हाँ

◆नहीं✔️


(द) विद्यार्थियों का विश्वास कितनी जल्दी जीत सकते हैं-

◆नहीं✔️

◆हाँ


प्रश्न 2- बताएं कि निम्नलिखित कथन सही है या गलत?


(अ) डगमगाती आवाज़ में कुछ कहना संप्रेषण है।

◆सही✔️

◆गलत


(ब) प्रभावी संप्रेषण सुनिश्चित करने के लिए किसी व्यक्ति को केवल उक्ति (कथन) पर ध्यान केंद्रित करना होगा।

◆सही

◆गलत✔️


(स) संप्रेषण केवल सुनने और उत्तर देने के बारे में है।

◆गलत✔️

◆सही


(द) संप्रेषण मौखिक और गैर-मौखिक हो सकता है।

◆सही✔️

◆गलत


प्रश्नोत्तरी-2: प्रशिक्षण के समापन पर-


प्रश्न 1. बच्चों के समूह के बीच द्वन्द के मामले में, आप एक शिक्षक के रूप में कौन-सी युक्ति का उपयोग करेंगे:

(अ) मामले को अपने आप हल करने के लिए छोड़ देंगें।

(ब) अपने अधिकार का उपयोग करेंगें और मुद्दे का फैसला करेंगें।

(स) बच्चों के बीच संवाद करने में सहज माहौल बनाएंगे।✅

(द) स्कूल प्रधानाचार्य को मामले के बारे में सूचित करेंगे।


प्रश्न 2.  निम्नलिखित में से कौन-सी संवेदनशील शिक्षक की विशेषताएं हैं:

(अ) स्वयं की आवश्यकताओं के प्रति सचेत रहना।

(ब) आलोचना और मूल्यांकन से आहत होना।

(स) हर समय स्वयं और दूसरों की निगरानी करने में सक्षम होना।

(द) छात्रों की आवश्यकताओं और समस्याओं के अनुरूप होना।✅


प्रश्न 3. चौकस श्रवण कौशल उपस्थित होने के लिए एक शिक्षक को छात्रों के निम्नलिखित पक्षों पर ध्यान देने की आवश्यकता होती है:

(अ) सभी।✅

(ब) व्यवहार और कार्य।

(स) गैर-मौखिक भाव।

(द) मौखिक अभिव्यक्ति।


प्रश्न 4. स्कूल / कक्षाओं में स्वस्थ वातावरण को बढ़ावा देने के लिए शिक्षकों के गुण और कौशल इस प्रकार हैं:

(अ) संवेदनशीलता और आशंका।

(ब) संवेदनशीलता और देखभाल।✅

(स) संवेदनशीलता और नियंत्रण।

(द) सहानुभूति और देखभाल।


प्रश्न 5. छात्रों के लिए शिक्षकों को कक्षा के वातावरण में सकारात्मकता को बढ़ावा देने की आवश्यकता है ताकि छात्र अनुभव कर सके:

(अ) एकांत और सतर्क।

(ब) अलग और देखने योग्य।

(स) सुरक्षित और स्वीकृत।✅

(द) सुरक्षित और अनिश्चित।


प्रश्न 6. तदानुभूति है:

(अ) किसी और की तरह महसूस करना और सोचना।✅

(ब) दूसरों के लिए खेद महसूस करना।

(स) अपने स्वयं को समझना।

(द) अपने और दूसरों से तर्क करना।


प्रश्न 7. शिक्षक छात्रों की वास्तविक चिंता और रुचि का सम्प्रेक्षण कर सकते हैं:

(अ) उन्हें गतिविधियों में वरीयता देकर।

(ब) आँख से संपर्क करके।✅

(स) उनके कार्यों पर सवाल नहीं उठाकर।

(द) उन्हें हमेशा उनका रास्ता देकर।


प्रश्न 8. इनमें से क्या एक प्रभावी सहायक की विशेषता नहीं है?

(अ) व्यक्ति के लिए समस्याओं का समाधान करना।✅

(ब) व्यवहार परिवर्तन को सुकर बनाना।

(स) भावनाओं की समझने को सुकर बनाना। 

(द) निर्णय लेने में मदद करना।


प्रश्न 9. किसी अन्य व्यक्ति के दृष्टिकोण से स्थितियों को देखने में सक्षम होने की योग्यता / दक्षता को निम्न रूप में जाना जाता है:

(अ) वास्तविकता परीक्षण।

(ब) सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार।

(स) दृष्टिकोण जानना।✅

(द) द्वन्द से निपटना।


प्रश्न 10. एक शिक्षक संवेदनशीलता के गुण को चित्रित कर / दर्शा सकता है:

(अ)दूसरों की राय लेकर।

(ब) दूसरों के साथ काम करने की क्षमता होना।

(स) दूसरों की भावनाओं और विचारों से अवगत होकर।✅

(द) विचारों को व्यक्त और दूसरों को समग्र करना।




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नवरात्र का चतुर्थ दिवस माँ कूष्मांडा को समर्पित

 🚩माँ भगवती का चतुर्थ स्वरूप- देवी कूष्मांडा🚩




आज ईशत हास्य से ब्रह्मांड की रचना करने वाली देवी भगवती के चौथे स्वरूप माँ कुष्मांडा की पूजा-अर्चना होगी। इनकी कांति और आभा सूर्य के समान है। जब सृष्टि नहीं थी तब देवी के कूष्मांडा स्वरूप ने ही सृष्टि का विस्तार किया। माँ का यह स्वरूप अन्नपूर्णा का है। शाकंभरी रूप धर देवी ने शाक से धरती को पल्लवित किया और साक्षी बनकर असुरों का संहार किया। यह प्रकृति और पर्यावरण की अधिष्ठात्री हैं। कूष्मांडा देवी की आराधना के बिना जप और ध्यान संपूर्ण नहीं होते। नवरात्र के चौथे दिन शाक-सब्जी और अन्न का दान फलदायी है। माता के इस रूप में तृप्ति और तुष्टि दोनों हैं।


उपासना मंत्र-


या देवी सर्वभूतेषु तुष्टि रूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।


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Monday, October 19, 2020

नवरात्र का तृतीय दिवस माँ चन्द्रघण्टा को समर्पित

 🚩माँ भवानी का तृतीय स्वरूप- देवी चन्द्रघण्टा🚩




आज मां दुर्गा के तृतीय स्वरूप माता चंद्रघंटा की पूजा-अर्चना होगी। माँ चन्द्रघण्टा के शिख पर चंद्र और हस्त में घण्टा है, जो शान्ति व नाद के प्रतीक हैं। शास्त्रों में, आराधना में नाद पर विशेष ध्यान दिया गया है। की आराध्य शक्ति हैं। मां चंद्रघंटा नाद के साथ शांति का संदेश देती हैं। माँ के दस हाथ हैं। माँ का वाहन सिंह है। देवासुर संग्राम में देवी के घण्टा नाद से कई असुर काल के ग्रास बन गये।

शास्त्रों में, आराधना में नाद पर विशेष ध्यान दिया गया है। सुर व संगीत दोनों को ही वशीकरण का बीज मंत्र माना गया है। चन्द्रघण्टा देवी इसी की आराध्य शक्ति हैं। माँ चन्द्रघण्टा नाद के साथ शान्ति का संदेश देती है। माँ के इस स्वरूप की आराधना में सिद्धकुंजिका स्तोत्रम् का पाठ मंगल फलदायी है। दुर्गा माँ का यह स्वरूप कल्याणकारी है।

🚩मिशन शक्ति🚩

 बेटियों पर बुरी नजर डालने वालों की दुर्गति तय।


महिलाओं-बच्चों की सुरक्षा व सम्मान के लिए 180 दिन चलेगा अभियान।




 उ.प्र. सरकार ने महिलाओं की सुरक्षा, सम्मान व स्वावलंबन के लिए पूरे प्रदेश में 'मिशन शक्ति अभियान की शुरुआत करते हुए साफ कहा कि बेटियों पर बुरी नजर डालने वालों की दुर्गति तय है। जो लोग नारी गरिमा और उसके स्वाभिमान को दुष्प्रभावित करने की कोशिश करेंगे, उनके लिए यूपी की धरती पर कोई जगह नहीं है। ऐसे लोग सभ्य समाज के लिए कलंक हैं। हर बेटी- हर महिला की सुरक्षा, सम्मान व स्वावलंबन के लिए सरकार प्रतिबद्ध है।




सीएम ने बलरामपुर में नवरात्रि के पहले दिन देवीपाटन शक्तिपीठ तुलसीपुर में माँ दंतेश्वरी की पूजा अर्चना व गोसेवा करने के बाद 'मिशन शक्ति' की शुरुआत की। सीएम ने रिजर्व पुलिस लाइन में कहा कि यह अभियान शारदीय नवरात्र से शुरू होकर वासंतिक नवरात्र के 180 दिन चलेगा। इस दौरान उन्होंने यूपी पुलिस की भर्ती में बेटियों को 20 प्रतिशत आरक्षण देने की भी घोषणा की।


शोहदों से निपटने के लिए सीएम का मंत्र..


जागरूकता, काउंसिलिंग, नहीं माने तो सामाजिक बहिष्कार।


◾24 विभाग तथा अंतरराष्ट्रीय व स्थानीय स्वयंसेवी संगठनों की मदद से तीन चरण में मिशन पूरा होगा।


◾पहला चरण : नौ दिन महिला सुरक्षा सम्मान व स्वावलंबन के प्रति लोगों को जागरूक किया जाएगा। 

◾दूसरा : महिलाओं के प्रति दुष्प्रवृत्ति रखने वाले व्यक्तियों तथा सभ्य समाज में बाधा बनने वालों को चिन्हित किया जाएगा।

◾तीसरा : ऑपरेशन दुराचारी के तहत समाज के सहयोग से सभ्य समाज में बाधा बनने वालों को सजा दिलाई जाएगी।


उद्योगों व कॉरपोरेट संस्थानों में भी चलेगा अभियान-

 प्रदेश सरकार का 'मिशन शक्ति' अभियान भारी उद्योगों, कॉरपोरेट प्रतिष्ठानों व व्यापारिक संस्थाओं में भी तय रणनीति के साथ संचालित किया जाएगा। इसके क्रियान्वयन के लिए आईएएस अधिकारी व विशेष सचिव अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास सुजाता शर्मा को नोडल अधिकारी नामित किया है। अपर मुख्य सचिव अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आलोक कुमार ने इन्वेस्ट यूपी व समस्त औद्योगिक विकास प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारियों, आयुक्त वाणिज्यकर तथा मंडलायुक्त व जिलाधिकारियों को इस संबंध में निर्देश जारी कर दिए हैं। ये कार्यक्रम 23 अक्तूबर तक चलेंगे।


सुरक्षा के लिये पिंक स्कूटर पर महिला ब्रिगेड-

राज्यपाल महोदया ने शनिवार को लखनऊ में सेफ सिटी परियोजना व मिशन शक्ति का शुभारम्भ किया। उन्होंने 100 पिंक स्कूटर व महिला सुरक्षा के लिये 10 चौपहिया वाहनों को हरी झण्डी दिखाकर रवाना किया।


महिला हेल्पलाइन का होगा विस्तार, 25 संवेदनशील जगहों पर पिंक बूथ बनेंगे-

सीएम ने कहा-भ्रूण हत्या करने वालों का होगा सामाजिक बहिष्कार।

यूपी में नारी शक्ति मिशन का विस्तार करते हुये सीएम ने कहा, वीमेन पावर लाइन सेवा का विस्तार किया जायेगा। 1090, 1076, 181, 108 तथा 102 सेवाओं का आपस में विलय कर महिलाओं की शिकायतों का प्रभावी ढंग से निस्तारण किया जायेगा। प्रदेश भर में 25 संवेदनशील स्थलों पर महिला सहायता हेतु पिंक बूथ स्थापित किये जायेंगे।

सीएम ने कहा, ऑनलाइन फैमिली कॉउंसलिंग की जायेगी। भ्रूणहत्या करने वाले परिवारों की पहचान कर उनका सामाजिक बहिष्कार किया जायेगा। परिवार में लोगों को जागरूक कर दहेज हत्या व महिला हिंसा के प्रति सजग किया जायेगा। दहेज प्रथा का विरोध होगा। बेटियों को न्याय दिलाने के लिये फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट में मुकदमा चलाकर दोषियों को कड़ी सजा दिलाई जायेगी।


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Sunday, October 18, 2020

प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी की रणनीति

👩‍🏫प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में समय प्रबन्धन की रणनीति का है विशेष महत्व👩‍🏫


देश में कोविड महामारी के कारण हुए लॉकडाउन के पश्चात एक बार फिर से सरकारी नौकरियाँ हासिल करने के लिए प्रतियोगी परीक्षाओं का दौर आरंभ हो गया है। ऐसे में यह समझना बेहद जरुरी है कि प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता प्राप्त करने के लिए भी अलग रणनीति पर काम करना होता है। सभी प्रतियोगी परीक्षाओं में बुनियादी तरीके से सवाल पूछे जाते हैं। इसलिए आपको अपने बेसिक्स हमेशा तरोताजा बनाए रखने चाहिए। इसके लिए छोटी कक्षाओं यानी कक्षा-5 से 12 तक की विज्ञान और मानविकी से जुड़ी किताबों को पढ़ना फायदेमंद होता है।

Image Credit: Pixabay

यह भी ध्यान रखने वाली बात है कि प्रत्येक परीक्षा के लिए अलग रणनीति बनाने की आवश्यकता होती है। विषय और टॉपिक के आधार पर एक बेहतर रणनीति के साथ स्टेप बाई स्टेप तैयारी को अंजाम दिया जा सकता है। ऐसी परीक्षाओं में बहुविकल्पीय प्रकार के प्रश्न हों या फिर लिखित दोनों में ही समय प्रबंधन का बड़ा योगदान है।

कई लोग परीक्षाओं में पास होने के लिए परीक्षा के समय ही पढ़ते हैं और अपनी कोर्स की किताबों को पढ़ने तक ही सीमित रहते हैं। लेकिन प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता हासिल करने के लिए रोज पढ़ना जरुरी हैं। दैनिक राष्ट्रीय अखबार और समाचार चैनलों से रोजमर्रा की जानकारी को आत्मसात करने की आदत बनाना कारगार उपाय साबित होते हैं।

नवरात्र का द्वितीय दिवस माँ ब्रह्मचारिणी को समर्पित

🚩माँ दुर्गा का द्वितीय स्वरूप देवी ब्रह्मचारिणी🚩

Image Credit: Pinterest


आज मां दुर्गा के दूसरे स्वरूप माता ब्रह्मचारिणी की पूजा-अर्चना होगी। ब्रह्मा जी की शक्ति होने से माँ का यह स्वरूप ब्रह्मचारिणी नाम से लोक प्रसिद्ध हुआ। जब मानसपुत्रों से सृष्टि का विस्तार नहीं हो सका, तो ब्रह्मा जी की इसी शक्ति ने सृष्टि का विस्तार किया। इसी कारण स्त्री को सृष्टि का कारक माना गया। ब्रह्मचारिणी देवी ज्ञान, वैराग्य और ज्ञान की अधिष्ठात्री हैं। इनके एक हाथ में कमंडल और दूसरे में रुद्राक्ष की माला है। करमाला, स्फटिक और ध्यान योग नवरात्रि की दूसरी अधिष्ठापन शक्ति है। उपासक इस दिन जितना ध्यान करेंगे उतना ही उन्हें श्रेष्ठ फल प्राप्त होगा।


🐚उपासना मन्त्र🐚

या देवी सर्वभूतेषु सृष्टि रूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।


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Saturday, October 17, 2020

नवरात्र का प्रथम दिवस माँ शैलपुत्री को समर्पित

रोग-शोक विनाशक हैं माँ शैलपुत्री

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माँ भगवती के प्रथम स्वरूप को शास्त्रों में शैलपुत्री के नाम से सम्बोधित किया गया है। शैलपुत्री माता सती (पार्वती) का ही रूप हैं। माता सती के पिता, प्रजापति दक्ष ने एक विशाल यज्ञ आयोजित कराया और उसमें समस्त देवी-देवताओं को आमन्त्रित किया, किन्तु भगवान शिव और माता सती को निमन्त्रण नहीं भेजा। माता सती को जैसे ही यह ज्ञात हुआ, तो वे भगवान शिव के पास पहुँची और यज्ञ में जाने का मन्तव्य
 प्रकट किया। भगवान शिव ने उन्हें समझाया कि बिना निमन्त्रण के यज्ञ में जाना श्रेयस्कर नहीं होगा, लेकिन माता सती की इच्छा के कारण भगवान शिव ने उन्हें यज्ञ में जाने की अनुमति दे दी। माता सती जब अपने पिता दक्ष के यहॉं पहुँची, तो वहॉं परिजनों ने उनका उपहास उड़ाया और किसी ने भी ठीक से उनसे बात तक नहीं की। परिजनों के इस व्यवहार से उनके मन को अत्यन्त कष्ट पहुँचा। उन्होंने देखा कि वहाँ भगवान शिव के प्रति तिरस्कार का भाव भरा हुआ है। दक्ष ने भगवान शिव के प्रति कुछ अपमानजनक वचन भी कहे। यह सब देखकर उनका हृदय क्षोभ, ग्लानि और क्रोध से संतप्त हो उठा। उन्होंने सोचा, भगवान शिव की बात न मान, यहाँ आकर बहुत बड़ी गलती की है। माता सती अपने पति के इस अपमान को सह न सकीं। उन्होंने अपने उस रूप को तत्क्षण वहीं योगाग्नि द्वारा जलाकर भस्म कर दिया। वज्रपात के समान इस दारुण-दुःखद घटना को सुनकर शिवजी ने क्रोधित होकर अपने गणों को भेजकर दक्ष के यज्ञ का पूर्णतः विध्वंस करवा दिया। सती ने योगाग्नि द्वारा अपनी देह को भस्म कर अगले जन्म में शैलराज हिमालय की पुत्री के रूप में जन्म लिया। इस बार वे 'शैलपुत्री' के नाम से विख्यात हुईं। हेमवती भी उनका ही नाम है। माँ शैलपुत्री की आराधना से भक्तों को चेतना का सर्वोच्च शिखर प्राप्त होता है, जिससे शरीर में स्थित 'कुण्डलिनी शक्ति' जागृत होकर रोग-शोक रूपी दैत्यों का विनाश करती है।
माँ दुर्गा के प्रथम स्वरूप में शैलपुत्री मानव के मन पर आधिपत्य रखती हैं। जीवन में प्रत्येक क्षेत्र में सफलता के सर्वोच्च शिखर पर पहुँचने की शक्ति माँ शैलपुत्री ही प्रदान करती हैं। इनके एक हाथ में त्रिशूल तथा दूसरे में कमल पुष्प रहता है। इनका वाहन वृषभ (बैल) है।

या देवी सर्वभूतेषु प्रकृति रूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।
वन्दे वांछितलाभाय चन्द्रार्धशेखरम, वृषारूढांं शूलधरां शैलपुत्रींं यशस्विनीम्।।


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