🚩माँ भवानी का तृतीय स्वरूप- देवी चन्द्रघण्टा🚩
आज मां दुर्गा के तृतीय स्वरूप माता चंद्रघंटा की पूजा-अर्चना होगी। माँ चन्द्रघण्टा के शिख पर चंद्र और हस्त में घण्टा है, जो शान्ति व नाद के प्रतीक हैं। शास्त्रों में, आराधना में नाद पर विशेष ध्यान दिया गया है। की आराध्य शक्ति हैं। मां चंद्रघंटा नाद के साथ शांति का संदेश देती हैं। माँ के दस हाथ हैं। माँ का वाहन सिंह है। देवासुर संग्राम में देवी के घण्टा नाद से कई असुर काल के ग्रास बन गये।
शास्त्रों में, आराधना में नाद पर विशेष ध्यान दिया गया है। सुर व संगीत दोनों को ही वशीकरण का बीज मंत्र माना गया है। चन्द्रघण्टा देवी इसी की आराध्य शक्ति हैं। माँ चन्द्रघण्टा नाद के साथ शान्ति का संदेश देती है। माँ के इस स्वरूप की आराधना में सिद्धकुंजिका स्तोत्रम् का पाठ मंगल फलदायी है। दुर्गा माँ का यह स्वरूप कल्याणकारी है।
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