दशकों पश्चात् गंगाजल हुआ पीने योग्य
For first time in decades, Ganga water in Haridwar fit to drink.
Ganga just needs to be left alone.
Image Credit: Pixabay |
With industries that discharge effluents in Ganga shut and piers closed to public, the waters of the holy river at Rishikesh and Haridwar- twin cities that record pilgrim rush throughout the year- have seen a significant improvement in quality. In fact, for the first time in decades, the water quality at Har-ki-Pauri has been classified as "fit for drinking after chlorination."
Data accessed by a prominent Media House from the Uttrakhand Environment Protection and Pollution Control Board (UEPPCB) indicates that all parameters of water assessment at Har-ki-Pauri have significantly improved since the lockdown was put in place. There is a 34% reduction in fecal coliform (Human excreta) and 20% reduction in biochemical oxygen demand (a parameter to quality of effluent or wastewater) at Har-ki-Pauri in April.
Due to the lockdown, water in Har-ki-Pauri has ranked in Class A for the first time in recent history. The water has always been placed in Class B since Uttrakhand was formed in 2000.
Class A water has pH balance between 6.5 to 8.5. The pH is a measure of how acidic the water is and optimum pH for river water is considered around 7.4.
It also has adequate dissolved oxygen- 6mg/litre or more. Dissolved oxygen levels below 5mg/litre can cause stress to aquatic life. The water now has a low biochemical oxygen demand and a low count of total coliform. While Class A water is fit to drink after disinfection, Class B water is fit for bathing, that too after treatment.
Water quality at Devprayag has improved as well. Experts have suggested that the discharge of industrial effluents into the river and human activities must be checked to rejuvenate the river. Pollution levels seem to have drastically reduced due to the ongoing lockdown and its effect can be clearly seen in the river water.
The rejuvenation of Ganga has led seers in Haridwar- many of whom have fronted campaigns and fasts unto deaths- to claim that this is the course of action they have been calling for all along.
Why is the government wasting huge sum on revival of Ganga when all it needs to do is to leave the river alone? This can be done by banning human activities like reckless building of hydropower plants, mining and industrial waste being dumped into Ganga.
Ganga is an example of how 'the mad rush of development' must stop.
The main lesson here is that we must move in tandem with nature. How long will the water remain pure? The worry is that once the lockdown is lifted, things will return to what they were.
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हिन्दी संस्करण:
'कई दशकों के बाद पीने योग्य गंगाजल'
दशकों में पहली बार, हरिद्वार में गंगा का पानी पीने लायक हुआ।
गंगा को सिर्फ एकाकी छोड़ देने की आवश्यकता है।

गंगा में अपशिष्टों को विसर्जित करने वाले उद्योगों और घाटों को जनता हेतु बन्द कर देने से, ऋषिकेश और हरिद्वार में पवित्र नदी के जल - जहाँ वर्ष भर तीर्थयात्रियों का जमघट रहता है, की गुणवत्ता में महत्वपूर्ण सुधार देखा गया है। वास्तव में, दशकों में पहली बार, हर-की-पौड़ी में जल की गुणवत्ता को 'क्लोरीनीकरण के बाद पीने योग्य' के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
उत्तराखंड पर्यावरण संरक्षण और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (UEPPCB) से एक प्रमुख मीडिया हाउस द्वारा जुटाये गये डेटा से संकेत मिलता है कि तालाबन्दी होने के बाद से हर-की-पौड़ी में जल के मूल्यांकन के सभी मापदंडों में काफी सुधार हुआ है। अप्रैल में हर-की-पौड़ी में फेकल कोलीफॉर्म (मानव उत्सर्जन) में 34% की कमी और बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड (अपशिष्ट या अपशिष्ट जल की गुणवत्ता के लिए एक पैरामीटर) में 20% की कमी आई है।
लॉकडाउन के कारण, हाल के इतिहास में पहली बार में हर-की-पौड़ी में जल का स्थान क्लास ए में आया है। उत्तराखंड के 2000 में गठन के बाद से जल को सदा क्लास बी में रखा गया है।
क्लास ए के जल में 6.5 से 8.5 के बीच पीएच संतुलन होता है। पीएच एक उपागम है- कि जल कितना अम्लीय है तथा नदी के जल के लिए इष्टतम पीएच 7.4 के आसपास माना जाता है।
इसमें पर्याप्त घुली हुई ऑक्सीजन भी है- 6mg / लीटर या अधिक। 5mg / लीटर से निम्न घुलित ऑक्सीजन स्तर के होने से जलीय जीवन को संकट हो सकता है। जल में अब कम जैव रासायनिक ऑक्सीजन माँग और कुल कोलीफॉर्म की कम मात्रा है। जबकि क्लास ए जल कीटाणुशोधन उपरान्त पीने के योग्य फिट है, क्लास बी का जल स्नान के लिए फिट है, वह भी उपचार के बाद।
देवप्रयाग में भी जल की गुणवत्ता में सुधार हुआ है। विशेषज्ञों ने सुझाव दिया है कि नदी में औद्योगिक अपशिष्टों के विसर्जन और नदी को फिर से जीवंत करने के लिए मानवीय गतिविधियों पर रोक लगा देनी चाहिये। गतिमान लॉकडाउन के कारण प्रदूषण का स्तर काफी कम हो गया है और इसका असर नदी के जल में साफ देखा जा सकता है।
गंगा के कायाकल्प ने हरिद्वार में सन्तों को प्रेरित किया है - जिनमें से कई ने अभियान चलाये हैं और आमरण अनशन किये है - यह दावा करने के लिए कि वे सब आरम्भ से ही ऐसी क्रियाविधि की माँग कर रहे थे।
गंगा को पुनर्जीवित करने के लिए सरकार क्यों भारी धनराशि बर्बाद कर रही है? जबकि हमें बस नदी को एकाकी छोड़ देना चाहिये। यह सब गंगा में अदूरदर्शितावश जलविद्युत संयंत्रों की स्थापना, खनन और औद्योगिक कचरे को नदियों में दफन कर देने जैसी मानवीय गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाकर ही किया जा सकता है।
गंगा आज इस बात का उदाहरण है कि कैसे 'विकास की अन्धी दौड़' को रोकना चाहिए।
यहाँ मुख्य सीख यह है कि हमें प्रकृति के साथ मिलकर चलना चाहिए। जल कब तक शुद्ध रह सकेगा? चिंता का विषय यह है कि एक बार लॉकडाउन हटा लेने के बाद, परिस्थितियाँ पुनः वैसी ही हो जायेंगी जैसी पहले थीं।
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