कोरोनाकाल में भारतीय विधायिका की सराहनीय पहल
🇮🇳भारत सरकार द्वारा मन्त्रियों-सांसदों के वेतन में तीस फीसदी कटौती तथा दो वर्ष तक सांसद निधि पर रोक का जो निर्णय लिया है वह सिर्फ प्रतीकात्मक नहीं है, जिसे महामारी की बढ़ती चुनौती के चलते भलीभाँति समझा जा सकता है। वर्तमान में देश में उपलब्ध संसाधनों के अधिकतम उपयोग की दरकार है।
केन्द्र सरकार ने इस वर्ष समस्त मन्त्रियों व सांसदों के वेतन में तीस फीसदी कटौती करने एवम् अग्रिम दो वर्ष की सांसद निधि को कोविड-19 की महामारी से संघर्ष में व्यय करने का जो साहसिक, सराहनीय, अनुकरणीय व प्रेरणास्पद जो निर्णय लिया है, उसका महज सांकेतिक महत्व ही नहीं है अपितु यह महामारी जिस प्रकार विस्तारित हो रही है और निरन्तर संसाधनों की जैसी माँग बढ़ रही है, उसमें इस राशि की बहुपयोगिता समझी जा सकती है। यही नहीं, स्वयं राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और राज्यपालों ने भी अपने वेतन से तीस फीसदी की कटौती किया जाना प्रस्तावित किया है, जो न केवल स्वागतयोग्य है, बल्कि इसमें देश की एकता के सूत्र भी निहित हैं। सांसदों को अपने निर्वाचन क्षेत्र के विकास हेतु पाँच करोड़ रुपये मिलते हैं, इस तरह लोकसभा व राज्यसभा के समस्त सांसदों को दो वर्ष में मिलने वाली कुल सांसद निधि में 7900 करोड़ रुपये होते हैं, जिसे भारत के संचित कोष में स्थानांतरित किया जायेगा। वस्तुतः अनेक सांसदों ने अपने हिस्से की कुछ राशि कोविड-19 से निपटने के लिये निर्मित कोष में दान करने की पहल की थी, किन्तु सरकार के इस कदम से इसमें किसी प्रकार का असंतुलन नहीं रहेगा। निस्संदेह, हमारे यहाँ चीन, अमेरिका और पश्चिमी देशों की तुलना में काफी हद तक स्थिति नियन्त्रण में है, लेकिन अब मृत्यु का आँकड़ा 150 पार हो चुका है तथा संक्रमितों की संख्या पाँच हजार की दहलीज लाँघ चुकी है। कोविड-19 की बढ़ती चुनौती के मध्य, यह अपरिहार्य है कि देश में उपलब्ध संसाधनों का उचित दिशा में अधिकतम उपयोग सुनिश्चित हो। देश में अभी यह जंग दो स्तरों पर है, पहला, अग्रिम पंक्ति के स्वास्थ्य कर्मियों को पीपीई, ग्लव्स और मास्क जैसी सारी आवश्यक वस्तुयें उपलब्ध कराई जायें; और दूसरा, लॉकडाउन के कारण प्रभावित होने वाले एक भी व्यक्ति को भूखे या बिना छत के न रहना पड़े। कुछ दिन पूर्व ही केन्द्र सरकार के प्रशासनिक सुधार एवम् लोक शिकायत विभाग के आंतरिक सर्वे में मात्र चालीस फीसदी जनपदों के कलेक्टरों व अन्य अधिकारियों ने अवगत कराया कि उनके अस्पतालों में पर्याप्त सुविधायें उपलब्ध हैं, वहीं 28 फीसदी ने बताया कि अस्पतालों में आइसोलेशन बेड का अभाव है। सरकार निरन्तर इन दोनों ही मोर्चों पर प्रयासरत् है और जैसा कि स्वयं प्रधानमंत्री महोदय ने कहा कि इस आपदा से हम सब मिलकर लड़ेंगे तो उनकी अद्भुत नेतृत्व दक्षता एक आशाज्योति तो प्रज्वलित करती ही है।
🇮🇳उत्तर प्रदेश सरकार भी अनुकरणीय पदचिन्हों पर अग्रसर.....
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में बुधवार को सम्पन्न कैबिनेट की बैठक में विधायक निधि को एक वर्ष के लिये निलम्बित कर दिया गया। साथ ही मुख्यमंत्री, मन्त्रियों और विधानसभा व विधान परिषद् सदस्यों के वेतन में 30 फीसदी कटौती के प्रस्ताव को स्वीकृती दी गई। यह राशि यूपी कोविड केयर फण्ड में जमा होगी और इससे चिकित्सीय सुविधाओं, खाद्य पदार्थ, क्वारंटाइन कैम्प व अन्य सुविधाओं पर व्यय किया जायेगा। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सम्पन्न कैबिनेट बैठक के बाद वित्त मन्त्री सुरेश खन्ना व ग्राम्य विकास मन्त्री मोती सिंह ने बताया कि सभी मन्त्रियों व विधायकों के निर्वाचन क्षेत्र भत्ते एवम् कार्यालय भत्ते की तीस फीसदी राशि भी कोविड केयर फण्ड में जमा करने का निर्णय लिया गया है। केवल विधायक निधि से ही 1509 करोड़ रुपये कोविड केयर फण्ड में जमा होंगे। सुरेश खन्ना के अनुसार प्रदेश में 56 मन्त्री हैं। विधायक व विधान परिषद् सदस्यों की संख्या 503 है। इनके वेतन से 30 फीसदी कटौती से कुल मिलाकर 17 करोड़ 50 लाख 50 हजार रुपये एक वर्ष तक जमा होंगे।
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ENGLISH VERSION:
🇮🇳The decision taken by the Government of India to cut the salary of ministers and MPs by thirty percent and to stop the MP fund for two years is not just symbolic, which can be understood well due to the increasing challenge of the epidemic. Currently, there is a need for maximum utilization of available resources in the country.
The bold, commendable, exemplary and inspiring decision that the Central Government has made this year to cut the salary of all ministers and MPs by thirty percent and to spend the MPLAD fund for the next two years in the fight against the epidemic of Kovid-19. This initiative hasn't just a symbolic significance, but in the way this epidemic is expanding and the demand for resources is increasing, the versatility of this amount could be understood. Not only this, the President, the Vice-President and the Governors themselves have also proposed a 30 per cent deduction from their salary, which is not only welcome, but it also contains the sources of unity of the country. MPs get five crore rupees for the development of their constituency, thus the total MP fund received in two years to all MPs of Lok Sabha and Rajya Sabha stands at Rs 7900 crore, which will be transferred to the Consolidated Fund of India. In fact, many MPs had taken the initiative to donate some amount of their share to the fund created to deal with Kovid-19, but now there will be no imbalance in this move administered by the government. Undoubtedly, we have a much larger control situation than China, America and Western countries, but now the death toll has crossed 169 and the number of infected has crossed the threshold of 5865. Amidst the growing challenge of Kovid-19, it is inevitable that the available resources in the country can be optimally utilized in the right direction. This war has to be dealt on two levels in the country, firstly, all the essential items like PPE, Gloves and Masks should be made available to the frontline health workers; And secondly, not a single person affected by the lockdown has to stay hungry or without a roof. Only a few days ago, in the Internal Reforms of the Central Government's Administrative Reforms and Public Grievance Department, only forty percent of the district collectors and other officials informed that adequate facilities are available in their hospitals, while 28 percent said that there is lack of isolation beds in their hospitals. The government is constantly working on both these fronts and as the Prime Minister himself said that we will fight this disaster together, his amazing leadership skills ignite a spark of hope.
🇮🇳 The Uttar Pradesh government is also moving forward on exemplary footprints .....
The MLA fund was suspended for one year in a cabinet meeting held under the chairmanship of Chief Minister Yogi Adityanath on Wednesday. At the same time, a proposal to cut the salary of the Chief Minister, ministers and members of the Legislative Assembly and Legislative Council by 30 percent was approved. This amount will be deposited in UP Kovid Care Fund and will be spent on medical facilities, food items, quarantine camps and other facilities. After the cabinet meeting held through video conferencing, Finance Minister Suresh Khanna and Rural Development Minister Moti Singh informed that it has been also decided to deposit 30 percent of the constituency allowances and office allowances of all ministers and MLAs in the Kovid Care Fund. Rupees 1509 crore will be deposited in the Kovid Care Fund from the MLA Fund only. According to Suresh Khanna, there are 56 ministers in the state. The number of MLA and MLC members is 503. A total of 17 crore 50 lakh 50 thousand rupees will be deposited for one year with 30 percent deduction from their salary.
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