क्यों चर्चा में है भीलवाड़ा मॉडल??
⛅भीलवाड़ा मॉडल.....जो देश भर में हो रहा चर्चित, वुहान बनने से ऐसे रोका।
⛅21 संक्रमण पीड़ित स्वस्थ हुये, अब महज तीन शेष, केन्द्र सरकार ने भी की प्रशंसा।
देश सर्वप्रथम कोरोना जोन बने भीलवाड़ा ने वायरस के विरुद्ध युद्ध जीत लिया है। यह देश का एकमात्र नगर है, जिसने 20 दिन में कोरोना को परास्त किया है। यह यूँ ही सम्भव नहीं हुआ। जिला प्रशासन की ठोस रणनीति, कठोर निर्णय, चुनावों की भाँति प्रबन्धन और जीतने की जिद।
कलेक्ट्रेट कर्मचारियों ने रात-रात भर जागकर कार्य किया और भीलवाड़ा को बेमिसाल बना दिया। यहाँ स्थिति इतनी तीव्रता से बिगड़ी कि राजस्थान में सर्वाधिक 27 रोगी सामने आये। ये सभी एक निजी अस्पताल के स्टाफ व रोगी थे। बढ़ती संख्या से व्याकुल प्रशासन ने स्वयं कहा था, 'भीलवाड़ा बारूद के ढेर पर है।' लेकिन मनोबल कायम रहा।
19 मार्च को पहला रोगी सामने आया। अगले दिन पाँच और रोगियों की पुष्टि होते ही कलेक्टर राजेन्द्र भट्ट ने कर्फ्यू लागू कर दिया। प्रतिदिन कई बैठकें, अधिकारियों से प्रतिपुष्टि व योजना निर्माण। सरकार को रिपोर्टिंग। देर रात सोना। प्रातः शीघ्र उठकर फिर वही दिनचर्या। 3 अप्रैल से 10 दिन का महाकर्फ्यू। यही कठोर फैसले महायुद्ध में मील के पत्थर साबित हुये। अन्ततः जिद की जीत हुई। जिस नगर को पहले वुहान और इटली तक की संज्ञा दी जाने लगी। वहाँ गम्भीर रोगियों का देहान्त छोड़कर चिकित्सकों के कड़े परिश्रम ने कोरोना को मात दे दी। तीन चिकिसकों सहित 21 संक्रमित पुनः स्वस्थ हो चुके हैं। यही वजह है कि भीलवाड़ा को केन्द्र सरकार ने भी सराहा। क्लस्टर कन्टेनमेंट का यह मॉडल देशभर में लागू हो रहा है, अब कोरोना से संघर्ष की विधि पूरा देश भीलवाड़ा से सीखेगा।
✌️सफलता की कहानी...
🔹दो बार सेनेटाइजेशन: नगर के 55 वार्डों में नगर परिषद् के माध्यम से दो बार सेनेटाइजेशन कराया गया। हर गली-मोहल्ले, कॉलोनी में हाइपोक्लोराइड का एक प्रतिशत मात्रा में छिड़काव किया गया।
🔹संक्रमण प्रसारक अस्पताल सील-
सर्वप्रथम प्रशासन ने संक्रमित स्टाफ वाले अस्पताल को सील कराया। 22 फरवरी से 19 मार्च तक अस्पताल पहुँचे रोगियों की सूची निकलवाई। 4 राज्यों के 36 व राजस्थान के 15 जिलों के 498 रोगी पहुँचे थे। इन सभी को कलेक्टर ने सूचित कर आइसोलेट कराया। अस्पताल के 253 स्टाफ व जिले के 7 हजार रोगियों की स्क्रीनिंग की गई।
🔹पहली बार 25 लाख जनसंख्या की स्क्रीनिंग-
भीलवाड़ा जिले में देश की सबसे बड़ी 25 लाख नागरिकों की स्क्रीनिंग कराई गई। छह हजार कर्मचारी जुटे। रोगी के सम्पर्क में आये व्यक्तियों को चिन्हित किया गया। 7 हजार से अधिक संदिग्ध होम क्वारंटाइन में रखे गये। एक हजार लोगों को 24 होटलों, रिसॉर्ट व धर्मशालाओं में क्वारंटाइन किया गया।
🔹रात तीन बजे तक डाटा कलेक्शन-
सर्वे का उत्तरदायित्व चिकित्सा विभाग का था। गाँवों में फील्ड सर्वे की जिम्मेदारी एडीएम राकेश कुमार को दी गयी। यह बड़ी चुनौती थी। कोर टीम रात तीन बजे तक सम्बन्धित एसडीएम से डाटा कलेक्शन कर कम्पाइल करती। अगले दिन सूर्योदय के साथ ही रिपोर्ट कलेक्टर की टेबल पर होती थी जिसके आधार पर भावी रणनीति तय होती थी।
🔹जहाँ कोरोना रोगी, वहाँ कर्फ्यू-
जिले के जिस ग्रामीण क्षेत्र या गाँव का व्यक्ति कोरोना से संक्रमित मिला, उस गाँव या क्षेत्र को केन्द्र बिन्दु मानते हुये एक किमी की परिधि को नो मूवमेंट जोन घोषित कर दिया गया यानी वहाँ भी कर्फ्यू प्रभावी हो गया।
🔹पहले कर्फ्यू फिर महाकर्फ्यू-
छह पॉजिटिव केस आते ही 20 मार्च को भीलवाड़ा शहर में कर्फ्यू लगा दिया गया। फिर 14 दिन बाद 3 से 13 अप्रैल तक 10 दिन के लिये महाकर्फ्यू। ऐसा करना अपरिहार्य था ताकि लोग घरों में रहें और वायरस का सामुदायिक प्रसार न हो सके।
🔹आइसोलेशन वाॅर्ड बदलते रहे स्टाफ-
जिले के राजकीय अस्पताल में कोरोना रोगियों के लिये बनाये गये आइसोलेशन वाॅॅर्ड में कार्यरत डॉक्टर्स व मेडिकल स्टाफ की हर सप्ताह ड्यूटी बदलती रही। वे कोरोना से संक्रमित न हों, इसलिये सात दिन की ड्यूटी के बाद उन्हें भी 14 दिन क्वारंटाइन में रखा। परिणामस्वरूप, अब तक 69 के स्टाफ में से एक भी संक्रमित नहीं हुआ।
🔹जिले की सीमायें सील...
प्रशासन ने जिले की सीमायें सील कर दीं। 20 चेक पोस्ट बनाकर कर्मचारी तैनात कर दिये, ताकि न कोई अन्दर आ सके और न ही बाहर जा पाये।
🔹सभी बसें व ट्रेनें बन्द कराईं...
शहर व जिले में रोडवेज व निजी बसों सहित सभी तरह के वाहन, यहाँ तक कि ट्रेने भी बन्द कराईं जिससे संक्रमण का प्रसार शून्य रहे।
🔹राशन वितरण...
कर्फ्यू में जनता को खान पान का सामान उपलब्ध कराने के लिये सहकारी भंडारों के माध्यम से वाहनों द्वारा घर-घर राशन सामग्री, फल-सब्जियाँ डेयरी के जरिये दूध पहुँचाया गया। श्रमिकों, असहाय व जरूरतमंदों को निःशुल्क भोजन व किराना सामान भेजा गया।
🔹जन सहयोग से हुआ सम्भव-
भीलवाड़ा के जिलाधिकारी राजेन्द्र भट्ट के कथनानुसार, भीलवाड़ा में उन्होंने प्रथम चरण में कोरोना से महायुद्ध जीत लिया है। अब तक 21 संक्रमित पॉजिटिव से निगेटिव हो चुके हैं जिनमें से 15 को घर भेजा जा चुका है। केन्द्र सरकार ने उनके द्वारा पारित निर्णयों व रणनीति को आदर्श माना है। यह सब पूरी टीम के सहयोग से ही सम्भव हो सका। भीलवाड़ा की जनता का भी भरपूर सहयोग मिला। अब महायुद्ध का द्वितीय चरण जिसे भी वे सभी लोगों के सहयोग से जीतेंगे, ऐसा उन्हें विश्वास है और पूरे देश को भी कि हमारा प्रिय भारत महायोद्धा व पथप्रदर्शक बनकर उभरेगा।।
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ENGLISH VERSION:
'Bhilwara model - an illustration'
⛅Bhilwara model ..... which is being discussed across the country, prevented itself from becoming Wuhan.
⛅21 infection victims became healthy, now only three remaining, the Central Government also praised their efforts.
Becoming the first ever corona zone in the country, Bhilwara has won the war against the virus. It is the only city in the country that has defeated Corona in just 20 days. This was not possible just like that. Solid strategy of district administration, strict decision, management like elections and insistence on winning.
The collectorate staff worked awake overnight and made Bhilwara unmatched. The situation deteriorated so rapidly that the maximum number of 27 patients appeared in Rajasthan at that time. All of them were staff and patients of a private hospital. Disturbed by the increasing numbers, the administration itself said, "Bhilwara is on a pile of gunpowder." But morale persisted.
On March 19, the first patient appeared. The next day, as soon as five more patients were confirmed, Collector Rajendra Bhatt imposed the curfew. Many meetings per day, feedback from officials and planning. Reporting to the government. Sleeping late at night, Waking up early in the morning and then the same routine. Imposing 10 days Grand curfew from 3rd April. These stiff decisions proved to be milestones in the Great War. Ultimately, tenacity won. The city which was earlier referred to as Wuhan and Italy. Apart from the sad demise of serious patients, the hard work of the doctors defeated Corona. 21 infected, including three doctors, have recovered. This is the reason why the central government also appreciated Bhilwara. This model of Cluster Containment is being implemented across the country, now the whole country will learn the method of struggle from Bhilwara against corona.
✌️Story of success ...
🔹Two times sanitization: In 55 wards of the city, sanitation was done twice through the city council. One percent concentrate of hypochloride mixed in water was sprayed in every street and colony.
🔹Infection Disseminator Hospital Sealed-
First of all the administration sealed the hospital with infected staff. A list of patients was extracted out who reached the hospital from 22 February to 19 March. There were 498 patients from 36 districts in 4 states and 15 districts of Rajasthan. All these visitors were apprised by the collector and their isolation was ensured. 253 staff of the hospital and 7 thousand patients of the district were screened.
🔹First time screening of 25 lakh population-
Screening of the country's largest 2.5 million citizens was conducted in Bhilwara district. Six thousand employees grappled. People who came in contact with the patients were identified. More than 7 thousand suspects were placed in quarantined homes. One thousand people were quarantined in 24 hotels, resorts and hospitals.
🔹Data collection till 3 am-
The medical department was responsible for the survey. The responsibility of field survey in villages was given to ADM Rakesh Kumar. This was a huge challenge. The core team would collect and compile data from the concerned SDM till 3 pm. The next day, with the sunrise, the report would be on the collector's table, based on which the future strategy was decided.
🔹Corona patients where, Curfew there-
The rural area or village of the district where the person got infected with corona, the area of one km was declared as no movement zone, considering that village or area as the radius, curfew was also effective there.
🔹 First curfew then Grand curfew-
The curfew was imposed in Bhilwara city on March 20 with the arrival of six positive cases. Then 14 days later, from 3 to 13 April, Grand curfew for 10 days came into effect. It was unavoidable to do so that people live in homes and the community could not spread the virus.
🔹Staff kept changing the Isolation Ward-
The duty of doctors and medical staff working in the isolation ward made for corona patients at the state hospital of the district changed every week. As a precautionary measure to prevent them from getting infected with corona, After seven days of duty, they were kept in quarantine for 14 days. As a result, not a single of the 69 staff has been infected so far.
🔹Sealing the territories of the district ...
The administration sealed the boundaries of the district. Employed 20 check posts and deployed personnels there, so that no one could come in nor go out.
🔹 Stopped all buses and even trains ...
In the city and district, all types of vehicles including roadways and private buses, even trains were closed so that the spread of infection remained zero further.
🔹Ration Distribution ...
Ration materials, fruits and vegetables to provide food and food to the public in the curfew. Milk was distributed door to door through dairies. Free food and groceries were sent to laborers, helpless and needy.
🔹Became possible with public cooperation-
According to the statement of Bhilwara District Magistrate Rajendra Bhatt, In Bhilwara, they won the Great War from Corona in the first phase. So far, 21 have become negative from positive, out of which 15 have been sent home. The Central Government has considered the decisions and strategies passed by them as a model. All this happened possible only with the support of the entire team. The people of Bhilwara also shown full support. Now they believe in the second phase of the great war, they will win with the support of all the people and the whole country believes too that our beloved India will emerge as a Great Warrior and leader against this pandemic.
Disclaimer: All the Images belong to their respective owners which are used here to just illustrate the core concept in a better & informative way.
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