संक्रमण चक्र को चीन ने कैसे किया ध्वस्त??!!
🇨🇳ऐसे जीता चीन: चप्पे-चप्पे पर जाँच, लॉकडाउन तोड़ने पर दण्ड।
🇨🇳प्रतिबद्धता एवम् तीव्र तैयारियों के दम पर डटा रहा चीन।
🇨🇳चीनी सेना तथा चेतावनी तन्त्र ने निभाई मुख्य भूमिका।
चीन से उपजी कोरोना महामारी विश्वभर में पाँव पसार चुकी है। पृथ्वीवासी आश्चर्यचकित हैं कि जिस राष्ट्र से इतनी भीषण महामारी का उदय हुआ, उसने न सिर्फ इसे समय रहते नियन्त्रित कर लिया बल्कि तुलनात्मक रूप से जान-माल की अधिक हानि भी नहीं होने दी। इसका मुख्य कारण था चीन द्वारा चप्पे-चप्पे पर जाँच की सुदृढ़ व्यवस्था तथा लॉकडाउन तोड़ने वालों के विरुध्द कठोर दण्ड का प्रावधान। इसमें चीनी सेना ने भी पर्याप्त योगदान दिया।
जानकारों का मानना है कि इस दक्षता और तीव्र तैयारी के नेपथ्य में वहाँ की दलीय व्यवस्था की भी व्यापक भूमिका है। चीनी मामलों के जानकार व कुछ महामारी विशेषज्ञ चीन के प्रयासों से सीखने को प्रेरित भी कर रहे हैं। किसी महामारी के अवरोधन में प्रारम्भिक उपाय सर्वाधिक महत्वपूर्ण होते हैं। इसके अन्तर्गत देश में एक चेतावनी तन्त्र स्थापित करना अत्यावश्यक होता है, जो चीन ने तैयार किया था।
🗺️विश्व के समक्ष दो विकल्प➡️
कुन फाउंडेशन के चेयरमैन डॉ. रॉबर्ट लॉरेंस कुन का मत है कि कोरोना के लिये चीन को उत्तरदायी ठहराना समाधान नहीं है। दो ही विकल्प हैं- या तो देश एकजुटता का प्रदर्शन कर इस वायरस से लड़कर जीतें या आपस में लड़कर कोरोना से हारें। इस समय कोरोना जलवायु परिवर्तन से भी बड़ी समस्या के रूप में सामने है और दुनिया को प्रथम विकल्प के साथ आगे बढ़ना चाहिये।
🇨🇳संगठित ढाँचा भी सहायक➡️
चीन रिफार्म फ्रेंडशिप मेडल (2018) के विजेता और कुन फाउंडेशन के चेयरमैन डॉ. रॉबर्ट लॉरेंस कुन बताते हैं कि कम्युनिस्ट सरकार ने किसी भी कार्यक्रम के क्रियान्वयन हेतु संगठित ढाँचा बना रखा है। इस ढाँचे में केंद्र सरकार समेत पाँच स्तर (प्रान्तीय, नगरीय, जिला, कस्बाई व ग्रामीण सरकार) सम्मिलित हैं। सीपीसी के आदेश पर निम्न स्तर तक पूरा नेतृत्व एकजुट रहता है।
🗺️दुनिया की सहायता ऐसे सम्भव➡️
संक्रमण को अवरुद्ध करने हेतु चीन अपना अनुभव व समझ प्रत्येक देश से साझा कर सकता है। वहाँ के स्वास्थ्यकर्मियों तथा लॉजिस्टिक विशेषज्ञों की कार्यशैली अन्य देश भी सीख सकते हैं। चीन आवश्यक स्वास्थ्य सामग्री एवम् उपकरण दुनिया को उपलब्ध करा सकता है।
📱स्मार्टफोन के 'हरे संकेत' से चल रहा चीन में नव जीवन📲
चीन में कोरोना वायरस के प्रकोप उपरान्त जीवन स्मार्टफोन के एक ग्रीन सिग्नल से चलने लगा है। हरा संकेत एक ऐसा 'स्वास्थ्य कोड' है जो बताता है कि सम्बन्धित व्यक्ति संक्रमण के लक्षण से मुक्त है। यह संकेत किसी सब-वे में जाने, किसी होटल में प्रवेश या वुहान में दाखिल होने के लिये आवश्यक है।
इस स्वास्थ्य कोड का बनना इसलिये सम्भव हो सका क्योंकि चीन में लगभग सभी के पास स्मार्टफोन है। चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के पास अपने नागरिकों की निगरानी और उन्हें नियंत्रण में रखने के लिये लोगों की जानकारियों का 'विशाल डाटा' है। वस्त्र उत्पादन करने वाली कम्पनी की एक प्रबन्धक वु शेंगहोंग ने वुहान सब-वे स्टेशन पर अपना स्मार्टफोन निकाला और वहाँ लगे एक पोस्टर के बार कोड को अपने फ़ोन से स्कैन किया। इससे उनका पहचान पत्र संख्या और हरा संकेत आ गया। इसके बाद उन्हें सब-वे पर जाने की अनुमति मिल गयी।
📱अन्य सरकारें भी यह तरीका अपनायें📲
ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के अनुसंधानकर्ताओं ने विज्ञान पत्रिका 'साइंस' में प्रकाशित 'डिजिटल कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग' यानी 'डिजिटलीकरण के माध्यम से सम्पर्कों को पता लगाना' नामक एक रिपोर्ट कहा है कि इस चीनी तरीके को अन्य सरकारों को भी स्वीकार करना चाहिये।
🇨🇳🤝🇮🇳भारत से नये सम्बन्धों का प्रस्ताव➡️
कोरोना संकट के मध्य चीन भारत के साथ रिश्तों के सूत्रपात का एक नया प्रस्ताव रखा है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द तथा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को प्रेषित अपने सन्देश में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने दोनों देशों के द्विपक्षीय सहयोग एवम् कूटनीतिक रिश्तों की 70वीं वर्षगाँठ पर बधाई दी है।
अपने सन्देश में जिनपिंग ने कहा कि विगत 70 वर्षों में भारत और चीन ने मिलकर विकास और शान्ति के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किया है। अब इस सहयोग व रिश्ते को नये सिरे से आगे ले जाने की आवश्यकता है। यदि दोनों देश मिलकर कार्य करें तो एशिया ही नहीं, दुनिया के अधिकांश देशों के बीच एक सकारात्मक संदेश जायेगा।।
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