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Friday, April 3, 2020

विषाणु जगत के समक्ष असहाय विज्ञान

वायरस जगत के समक्ष लाचार विज्ञान


🔳विषाणु-मण्डल: 250 विषाणु प्रजातियाँ ही मानव पर आक्रामक।

🔳7 हजार प्रजातियों की ही हो सकी है पहचान, 10 खरब की खोज लम्बित।





विगत दो दशकों में सार्स, मर्स, इबोला, निपाह के बाद अब कोरोना वायरस ने संसार को झकझोर कर रख दिया है। एक के बाद एक सामने आ रहे भयानक विषाणुओं ने वैज्ञानिकों के हाथ भी बाँध दिये है। सम्भवतः पृथ्वी पर लगभग 10 खरब ऐसे वायरस हैं जिनके नाम तक हमें ज्ञात नहीं है। सिडनी विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों का कथन है कि अभी तक इस विविध विष्णुमण्डल की लगभग सात हजार प्रजातियों के प्रतिदर्श ही जुटाये जा सके हैं। 
दुनिया सबसे भयानक वायरसों में सम्मिलित इबोला और कोविड-19 पर शोधरत प्रसिद्ध वैज्ञानिक फोर्ट डायट्रिक का कथन है कि विषाणुओं के विषय में बहुत कुछ खोजा जाना शेष है।


🔳100 वर्ष पूर्व भी मास्क व सामाजिक दूरी➡️

1918 में स्पेन से प्रसारित फ्लू के समय भी परिस्थितियाँँ वर्तमानकाल जैसे ही थे। जनमानस का मास्क धारण करना अनिवार्य कर दिया गया था तथा सामाजिक दूरी का अनुपालन सुनिश्चित किया जा रहा था। विश्वभर में लगभग 5 करोड़ मनुष्यों ने अपने प्राण गवाँ दिये। 15 माह की अवधि में मात्र भारत में ही 1.8 करोड़ नागरिक काल-कवलित हो गये।


🔳6828 प्रजातियों का ही नामकरण➡️

17वीं सदी के अन्त में विषाणुओं की खोज के पश्चात् यह तथ्य ज्ञात हुआ कि रेबीज व इन्फ्लूएंजा जैसे रोगों के कारक ये विषाणु ही थे। दशकों के परिश्रम उपरान्त भी 6828 प्रजातियों का ही नामकरण हो सका है। तथापि इसके सापेक्ष कितविज्ञानशास्त्रियों ने कीटों की 380000 प्रजातियों का नामकरण करने में सफलता प्राप्त की है।

🔳सागर में 15 हजार विषाणु➡️

हाल के वर्षों में वैज्ञानिक वायरस के सैंपल में जेनेटिक पदार्थ एवम् उन्नत कम्प्यूटर प्रोग्राम के माध्यम से जीन ज्ञात करते है। अमेरिका के ओहियो विश्वविद्यालय के विशेषज्ञ मैथ्यू सुलिवैन व उनके साथियों ने 2016 में सागर के भीतर 15 हजार से अधिक विषाणुओं की पहचान की। उन्होंने दो लाख नये वायरस ढूँढे़।


🔳कोरोना की हैं 39 प्रजातियाँ➡️

कोरोना वायरस की 39 प्रजातियों की पहचान की जा चुकी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चीन की खोज के बाद मौजूदा महामारी को 'कोरोनावायरस डिजीज 2019' या 'कोविड-19' नाम दिया। इस वायरस में व सार्स में आनुवंशिक समानतायें हैं। मार्च में 'इंटरनेशनल कमिटी ऑन टैक्सोनॉमी ऑफ वायरसेज' ने कहा कि ये दोनों वायरस एक ही प्रजाति से हैं। सार्स के प्रसार को उत्तरदायी वायरस को सार्स-कोव के रूप में जाना जाता है इसलिये कोविड-19 को सार्स-कोव-2 भी कहा जा रहा है।


🔳पशुओं-पौधों को करोड़ों वायरस करते हैं प्रभावित➡️

वैज्ञानिकों के मतानुसार, अब तक विषाणुओं की 250 प्रजातियों ने ही मानव देह को अपना होस्ट चुना है। अर्थात् वायरोस्फीयर में अत्यन्त लघु अंश ही मनुष्य को संक्रमित करता है। विशेषयज्ञों का कथन है कि पशुओं, पौधों, कवक एवम् प्रोटोजोआ को प्रभावित करने वाले विषाणुओं की संख्या करोड़ों में है।


🔳जीन की अदला-बदली से पहचान कठिन➡️

वायरोस्फीयर में मौजूद प्रजातियों के वर्ग का पता लगाना बेहद चुनौतीपूर्ण कार्य रहा है। वायरस अन्य प्रजातियों के साथ जीन आदान-प्रदान कर लेते हैं, जिससे इनके समूहों में स्पष्ट अन्तर करना दुष्कर हो जाता है। इस वर्ष फरवरी में पाया गया कि एक झील में मिले वायरस की 74 जीन्स में से 68 इससे पहले किसी भी वायरस में नहीं मिलीं।।


Disclaimer: All the Images belong to their respective owners which are used here to just illustrate the core concept in a better & informative way.



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